राजपथ - जनपथ
कमल का गुजरात कनेक्शन
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह जगदलपुर प्रवास के दौरान बस्तर राज परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, तो भाजपा के अंदरखाने में कानाफूसी शुरू हो गई। राज परिवार के मुखिया कमलचंद भंजदेव रमन सिंह सरकार में युवा आयोग के अध्यक्ष रहे हैं। वो विधानसभा टिकट के दावेदार भी रहे हैं। अब केन्द्रीय गृहमंत्री उनके घर गए, तो पार्टी के लोग उन्हें कोई पद मिलने की अटकलें लगा रहे हैं।
कुछ लोगों का अंदाजा है कि कमलचंद भंजदेव को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। राज्यसभा की एक सीट अगले साल मार्च में खाली होने वाली है। कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य श्रीमती फूलो देवी नेताम का कार्यकाल खत्म हो रहा है। विधानसभा सदस्यों की संख्या बल के हिसाब से राज्यसभा की सीट भाजपा की झोली में जाना तय है। मगर कमलचंद भंजदेव राज्यसभा में जाएंगे, इसकी गुंजाइश कम दिख रही है। इसकी वजह यह है कि भाजपा, पहले ही रायगढ़ राजपरिवार के सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह को राज्यसभा भेज चुकी है। ऐसे में एक और राजपरिवार को राज्यसभा में भेजे जाने की संभावना नहीं के बराबर है।
फिर भी कमलचंद भंजदेव को भाजपा के भीतर महत्व मिल सकता है। इसकी एक वजह यह भी है कि उनका ननिहाल गुजरात की एक रियासत है। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी, और अमित शाह उनसे व्यक्तिगत तौर पर परिचित हैं। ऐसे में कमलचंद भंजदेव को क्या कुछ मिलता है, इस पर पार्टी के लोगों की नजरें हैं।
कांग्रेस में दुर्ग बड़ा मुद्दा

कांग्रेस में जिलाध्यक्ष के चयन की कवायद चल रही है। दावेदारों से नाम लिए जा रहे हैं, और कई जगहों में एआईसीसी के पर्यवेक्षकों ने रायशुमारी शुरू कर दी है। इन सबके बीच दुर्ग ग्रामीण जिलाध्यक्ष को लेकर पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू आमने-सामने हो सकते हैं।
वैसे तो दुर्ग ग्रामीण जिलाध्यक्ष पद के लिए 7 दावेदार सामने आए हैं। पार्टी ने कुछ माह पहले राकेश ठाकुर को जिलाध्यक्ष बनाया था। ठाकुर पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं। भूपेश अब भी उनके पक्ष में हैं। मगर ताम्रध्वज साहू ने पूर्व जिला पंचायत सदस्य बंटी हरमुख का नाम आगे बढ़ा दिया है। हरमुख ने बकायदा आवेदन दे दिया है। बंटी के अलावा ताम्रध्वज के एक और करीबी रूपेश देशमुख भी दावेदारी कर रहे हैं। पार्टी के अंदरखाने में चर्चा है कि ताम्रध्वज, राकेश को छोडक़र किसी और नाम पर सहमति बनाने के लिए जोर दे सकते हैं।
हालांकि ब्लॉक के ज्यादातर पदाधिकारी, राकेश के ही पक्ष में बताए जाते हैं। एआईसीसी के पर्यवेक्षक अजय कुमार लल्लू ने ब्लॉक का दौरा शुरू कर जिलाध्यक्ष पद के लिए कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन चर्चा कर रहे हैं। वो एक से अधिक नामों पर पैनल हाईकमान को भेजेंगे। ऐसे में स्वाभाविक है कि दिल्ली में भूपेश, और ताम्रध्वज अपने-अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनाने के लिए अड़ सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
अपने पराए मिल गए नेताजी के विरोध में

राजधानी निगम के एक एमआईसी मेंबर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनके खिलाफ पार्टी के अपने और विरोधियों ने हाथ मिला लिया है। डेढ़ वर्ष पहले नेताजी का चुनाव के दौरान पेश किया गया जाति प्रमाण पत्र का लोचा सामने आया है। अपने पराए सब मिलकर आरटीआई लगा रहे हैं कि आखिर नेताजी किस जाति हैं और किस जाति का प्रमाण पत्र लगाकर चुनाव लड़ा था। वैसे विरोधियों को कुछ सबूत तो हाथ लगे हैं। वह यह कि उनके प्रमाण पत्र का क्यू आर कोड स्कैन करने पर किसी दूसरे का नाम और जाति डिस्प्ले होती है।
इस आधार पर आरोप है कि नेताजी ने,दूसरे की जाति प्रमाण पत्र में अपना नाम एडिट करवाकर आरक्षण का लाभ ले लिया। और राजधानी के 24 से 28 के बीच के एक वार्ड से चुनाव जीत गए। बस इसी आधार पर विरोधी आरटीआई लगा दस्तावेज हासिल करने में जुट गए हैं। वैसे प्रदेश में ये अकेले नहीं हैं। जिला हाईकोर्ट में ऐसे ही पार्षदों के 4 मामले चल रहे हैं। एक मामले में मई 24 में भिलाई में कांग्रेस के एक पार्षद को हाईकोर्ट बर्खास्त कर दिया था।


