राजपथ - जनपथ
क्या मिलेगा?
आईएएस के 89 बैच के अफसर अमिताभ जैन 30 तारीख को सीएस के दायित्व से मुक्त हो जाएंगे। जैन करीब पौने पांच सीएस रहे। वो सबसे लंबे समय तक प्रदेश के सीएस के पद पर रहे हैं। अमिताभ जैन राज्य के पहले सीएस हैं जिन्हें एक्सटेंशन भी मिला है।
जैन का रिटायरमेंट पुनर्वास भी तय माना जा रहा है। उन्हें क्या मिलेगा,यह अभी अस्पष्ट है। अमिताभ जैन, योजना आयोग के उपाध्यक्ष के प्रभार भी हैं। कुछ लोगों का अंदाज है कि वो योजना के उपाध्यक्ष पद पर यथावत बने रह सकते हैं। इसके बाद चाहे तो वो स्टेट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। चेयरमैन के लिए विज्ञापन अगले हफ्ते जारी होने की उम्मीद है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीजी अमिताभ जैन रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन के लिए सारी अहर्ता को पूरी करते हैं।
एक बात और, चेयरमैन की नियुक्ति के लिए अलग से कमेटी बनाने की जरूरत नहीं है। कुछ महीने पहले इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन में मेंबर की नियुक्ति हुई, ये सलेक्शन कमेटी अब भी प्रभावशील है।
कमेटी में हाईकोर्ट जस्टिस के अलावा सीएस व सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के मेम्बर हैं। सब कुछ ठीक रहा, तो अक्टूबर के आखिरी तक चेयरमैन की नियुक्ति हो जाएगी। इसके अलावा जैन चाहे तो सीआईसी भी बन सकते हैं। वो इस पद के लिए इंटरव्यू तो दे ही चुके हैं। यानी उनके दो हाथ में लड्डू है। उन्हें क्या कुछ मिलता है, ये मंगलवार को साफ हो पाएगा।
क्यों नहीं आए?
दो दिन पहले छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ की बैठक में बड़ा फैसला हुआ। संघ ने फैसला लिया है कि प्रदेश से जो कोई भी ओलंपिक में हिस्सा लेगा, उसे 21 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई बैठक में साई के रीजनल सेंटर, जो अभी भोपाल में हैं, उसे रायपुर लाने के लिए पहल करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। साय और बाकी पदाधिकारी बैठक में थे, लेकिन सदस्यों की नजरें उपाध्यक्ष बृजमोहन अग्रवाल को ढूंढ रही थी, जो कि बैठक में नहीं आए।
वैसे बृजमोहन के दैनिक कार्यक्रम में ओलंपिक संघ की बैठक में शामिल होने की सूचना दी गई थी। मगर वो बैठक से दूर रहे। बैठक में क्यों नहीं आए, इसको लेकर कई चर्चा है। एक चर्चा यह भी है कि बृजमोहन अग्रवाल को पहली बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। मगर ये आदेश अब तक जारी नहीं हो पाया।
हल्ला यह भी है कि वो संघ के एक पदाधिकारी से नाखुश हैं। इसलिए बैठक में नहीं आए। हालांकि जिस समय संघ की बैठक चल रही थी, उस समय वो जीएसटी महोत्सव में थे। वे दुकानों में जाकर ग्राहकों, और संचालकों से बात कर रहे थे। कुल मिलाकर ओलंपिक संघ की बैठक में बृजमोहन की गैरमौजूदगी की चर्चा रही।
गवर्नर की किस्सागोई
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका का लंबा और गहरा राजनीतिक अनुभव है। शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठे होने के कारण उनकी बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सिल्वर जुबली समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डेका ने राजनीति और न्याय व्यवस्था से जुड़े कई रोचक किस्से साझा किए।
अपने संबोधन में उन्होंने न्याय व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल उठाए। डेका ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि जमानत पाना आरोपी का अधिकार है और उसका न मिलना अपवाद, तो फिर व्यवहार में ऐसा क्यों नहीं होता? आखिर क्यों आम लोगों को जमानत के लिए ऊंची अदालतों की शरण लेनी पड़ती है? इस टिप्पणी ने न्यायाधीशों का ध्यान खींचा।
उन्होंने वकीलों के कामकाज पर भी तंज कसा। एक प्रसंग सुनाते हुए डेका ने कहा कि राज्यपाल बनने से पहले वे एक मामले में कैविएट दायर करने किसी हाईकोर्ट में पहुंचे थे। अपने नियमित वकील के अनुपस्थित रहने पर उन्होंने एक परिचित वकील से मदद ली। वकील ने भरोसा दिलाया कि कैविएट दाखिल हो जाएगा, लेकिन अगले दिन पता चला कि ऐसा हुआ ही नहीं और विरोधी पक्ष को स्टे मिल गया।
राज्यपाल डेका ने अपने संबोधन में प्रसिद्ध विधिवेत्ता राम जेठमलानी का एक दिलचस्प किस्सा भी सुनाया। उन्होंने बताया कि जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने, तब जेठमलानी उनसे मिले और मंत्री बनाए जाने की मांग रखी। देसाई ने उनके योगदान को स्वीकारते हुए भी यह कहकर इंकार कर दिया कि मंत्रिमंडल का सदस्य शराब पीता हो, यह उचित नहीं लगेगा। यह बात जेठमलानी को खल गई। कुछ समय बाद मोरारजी देसाई की सरकार अल्पमत में आ गई और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। अगले ही दिन जेठमलानी उनके पास पहुंचे और कटाक्ष करते हुए बोले- देसाई जी, आपकी सरकार गिराने वाले चरण सिंह और जगजीवन राम हैं, और दोनों ही शराब नहीं पीते।


