राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सरहद पार से आया है स्वाद...
20-Sep-2025 5:57 PM
राजपथ-जनपथ : सरहद पार से आया है स्वाद...

सरहद पार से आया है स्वाद...

राजधानी रायपुर में दूसरे प्रदेशों से ट्रैक्टर-ट्रॉली में लादकर सेंधा नमक लाकर बेचा जा रहा है। अब सेंधा नमक, और काला नमक, बैनर तो दोनों का लगा है, और दोनों की बड़ी-बड़ी चट्टानें सरीखी ट्रैक्टर-ट्ऱॉली पर लदी हुई हैं, और उन्हीं के ऊपर मचान बनाकर रह रहा परिवार साथ-साथ चल रहा है। एक ही ट्रैक्टर घर, दुकान, और गोदाम सब खींचकर ले जा रहा है।

बदले हुए माहौल में अब ये मजदूर सरीखे कारोबारी यह चर्चा करना नहीं चाहते कि यह नमक आया कहां से है। फिलहाल जिन लोगों को न पता हो, वे जान लें कि पाकिस्तान से आए हुए सेंधा नमक के बिना हिंदुओ का उपवास का खाना नहीं होता। पाकिस्तान से यह स्वाद अगर न आए तो लोग हिंदु-उपवास का खाना गले नहीं उतार पाएंगे क्योंकि उसमें साधारण और सफेद नमक तो चलता नहीं है। कम से कम जिस एक दिन उपवास में यह नमक खाएं, उस एक दिन तो दुश्मनी की बात नहीं करना चाहिए।

रेत के कारोबार में एआई की एंट्री

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक शेषराज हरबंश सिंह का एक कथित ऑडियो पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर तहलका मचा रहा है। इसमें विधायक को महानदी से अवैध रेत खनन करने वालों से कथित रूप से कमीशन मांगते हुए सुना जा सकता है। लाखों के लेनदेन का जिक्र हो रहा है। ऑडियो वायरल होते ही विधायक ने पत्रकार वार्ता कर इसे एआई जनरेटेड फेक ऑडियो करार दिया। उन्होंने कहा कि यह मेरी आवाज की नकल है, जो आधुनिक तकनीक से बनाई गई है। आजकल कुछ भी संभव है।

सवाल उठता है कि क्या यह दावा सही है? अगर हां, तो कैसे साबित होगा? आसानी से नहीं होगा। यह एक तकनीकी जांच का विषय है। लेकिन हम आप भी कुछ बुनियादी संकेतों से शक पैदा कर सकते हैं। आपके पास ऑडियो हो तो दो चार बार ध्यान से सुनें और अपनी राय बना सकते हैं। इसके कुछ सरल तरीके हैं। असली आवाज में उतार-चढ़ाव, हिचकिचाहट या भावनाएं होती हैं। एक ऑडियो में आवाज सपाट या रोबोटिक लग सकती है, जैसे कोई मशीन पढ़ रही हो। सुनकर देखें कि ऑडियो में विधायक की आवाज में सामान्य तनाव या स्थानीय छत्तीसगढ़ी लहजा गायब है, तो आपका शक जायज है। इसी तरह से जब इंसान बोलते समय सांस लेता है या ‘उम्म’  जैसे कुछ फिलर्स का इस्तेमाल करता है। एआई में ये नेचुरल ब्रेकिंग पैटर्न अक्सर गायब होते हैं। असली रिकॉर्डिंग में हल्का शोर हो सकता है। जैसे हवा या फोन की गूंज हो सकती है। एआई में ऑडियो में भी यह डाला जा सकता है पर वह बनावटी लगेगा। इंटरनेट पर कई फ्री टूल्स हैं, जैसे इलेवन लैब, एआई स्पीच क्लासिफियर, एआई वाइस डिटेक्टर। दावा है कि ये साइट्स ऑडियो की असलियत को 90 फीसदी तक परख सकते हैं।

जो एक्सपर्ट्स इस फील्ड में काम कर रहे हैं उनके पास उन्नत तरीके हैं, जो मशीन लर्निंग और फॉरेंसिक एनालिसिस पर आधारित होते हैं। वे ऑडियो को विजुअल वेवफॉर्म में बदलकर देखते हैं। ऑडियो में असमान फ्रीक्वेंसी या साउंड ब्लेंडिंग की खामियों को पहचान लेते  हैं। अगर विधायक की असली आवाज के सैंपल से तुलना करें, तो एआई क्लोन में माइक्रो-पॉज या इमोशनल प्रवाह को गायब पाएंगे। विशेषज्ञ विधायक की पुरानी स्पीच के आधार पर वाइस प्रिंट तैयार करेंगे- जिसके लिए फिर कई लर्निंग मॉडल हैं। यदि एआई से तैयार है तो यह भी पता चल सकता है कि किस टूल का इस्तेमाल कर एआई ऑडियो तैयार किया गया।

जांजगीर पुलिस ने मामले को जांच में लिया है। विधायक की शिकायत के आधार पर आवाज की फोरेंसिक जांच कराई जाएगी। इसे हैदराबाद के सीडीएफडी लैब में भेजा जा सकता है। दिल्ली में भी फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में एक लैब है। यहां अब एआई वाइस और वीडियो डिटेक्शन की सुविधा मौजूद हैं। अपने रायपुर स्थित फोरेंसिक लैब में भी इस तरह की जांच एक सीमा तक हो सकती है।

बहरहाल, यदि यह साफ हो जाता है कि ऑडियो एआई जनरेटेड है तो यह छत्तीसगढ़ में पहला मामला होगा, जिसके जरिये किसी राजनीतिक हस्ती को फंसाने की कोशिश की गई। मगर, यदि जांच में पाया जाता है कि ऑडियो वास्तविक है, छेड़छाड़ नहीं है तो यह विधायक शेषराज हरबंश ही नहीं- कांग्रेस के लिए भी बड़ा झटका होगा।

 

GST प्रचार का जिम्मा पार्टी पर भी

केन्द्र सरकार ने जीएसटी में कमी की है। इसका असर दैनिक वस्तुओं की कीमतों पर पड़ेगा, और 22 सितंबर से रोजमर्रा की वस्तुओं के दामों में कमी आएगी। भाजपा ने इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए रणनीति बनाई है। प्रदेश, और जिले स्तर पर समिति बनाई गई है। शुक्रवार को प्रदेश की समिति की कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में बैठक हुई, तो तमाम मंत्रियों को भी  बुला लिया गया।

प्रदेश की समिति के संयोजक महामंत्री यशवंत जैन हैं। इसमें सांसद बृजमोहन अग्रवाल, अमर अग्रवाल, और जगदलपुर के मेयर संजय पाण्डेय व रायपुर नगर निगम के पूर्व सभापति प्रफुल्ल विश्वकर्मा सदस्य हैं। बैठक में बृजमोहन तो दिल्ली प्रवास की वजह से नहीं आ पाए, लेकिन बाकी सदस्य मौजूद थे। सीएम विष्णुदेव साय, और सरकार के सभी मंत्री भी बैठक में पहुंच गए। कुल मिलाकर एक बड़ी बैठक हो गई। बैठक में यह साफ तौर पर हिदायत दी गई है कि जीएसटी की कमी का फायदा आम उपभोक्ताओं तक पहुंचे, इसके लिए जागरूकता लाने की जरूरत है।

यह तय किया गया है कि पार्टी के छोटे-बड़े नेता दुकानों तक जाएंगे, और कीमतों में कमी का स्टीकर लगाएंगे। प्रदेशभर में होर्डिंग्स लगाए जाएंगे। प्रचार प्रसार की रणनीति पर चर्चा के लिए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केके शर्मा भी यहां आए हुए हैं। उन्होंने रायपुर, और दुर्ग में प्रवक्ताओं व पार्टी के मीडिया सेल के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। आम उपभोक्ताओं  की क्या राय है, यह जानकारी भी पार्टी हाईकमान को भेजी जाएगी। देखना है कि उपभोक्ताओं का क्या रुख रहता है।

रात में कहां जा रही हैं छात्राएं? 

छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की मांग को लेकर यूनिफॉर्म पहनी लड़कियों को सडक़ जाम करते हुए हमने हाल ही में देखा। आए दिन करते रहते हैं। पर, यह हालत अकेले छत्तीसगढ़ की नहीं है, दूसरे राज्यों में इससे भी ज्यादा नाजुक हालात हैं।   अरुणाचल प्रदेश की 90 बेटियां अपने गांव में स्कूल में टीचरों की कमी से परेशान थीं। कई बार शिकायत की लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। बस फिर क्या था स्कूल का यूनिफार्म पहन 65 किलोमीटर की पदयात्रा शुरू किया। अपने गांव नयंग्नो से निकलीं, पूरी रात पैदल चलती रही और सुबह जिला मुख्यालय लेम्मी पहुंच गईं। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन की हालत खराब हुई। रात भर की जोखिम भरी यात्रा रंग लाई और उनके स्कूल में टीचर्स की नियुक्ति कर दी गई।

भुगतान का इंतजार

वेतन भत्ते में बढ़ोतरी की मांग या पूरी होने के बाद भुगतान वर्षों से लंबित रहने का मामला केवल छत्तीसगढ़ या राज्यों तक नहीं है। बल्कि देश को चलाने वाले सांसदों और उनके पर्सनल स्टाफ की भी है। कल एक कर्मचारी संगठन के कार्यकारिणी घोषणा के कार्यक्रम में जाने पर इसका खुलासा हुआ। प्रदेश के कर्मचारी पेंशनर 20 माह से डीए के एरियर्स से वंचित और इंतजार में हैं।

वहीं राज्यसभा के 238 निर्वाचित, 12 मनोनीत सांसद और उनका निजी स्टाफ 24 महीने से। इन्हें वर्ष 2023 में  बढ़ोतरी के बाद से नए भत्ते और वेतन नहीं मिला है। जबकि लोकसभा सांसदों को पिछले महीनों में मिला है। इनके वेतन भत्तों का इंतजाम करने वाले विभाग का कहना है कि बजट नहीं है। इसका व्यय भार 30 लाख रुपए बताया गया है।

देश को बजट देने वाली सरकार भी अर्थ संकट से इतनी गुजर रही है कि उसके पास इन्हें देने के लिए 30 लाख रुपए नहीं हैं। यह बताते हुए ट्रेड यूनियन से जुड़े एक नेता ने कहा कि इसलिए गारंटी को पूरा होने की गारंटी न माना जाए।


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