राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दिल के अरमां आसुओं में बह गए...
18-Sep-2025 6:26 PM
राजपथ-जनपथ : दिल के अरमां आसुओं में बह गए...

दिल के अरमां आसुओं में बह गए...

योगी के यूपी में वाराणसी से अभी एक ऐसा वीडियो सामने आया जिसमें अदालत परिसर में वकीलों की पिटाई से लहूलुहान पुलिस दारोगा को देखकर पुलिस कमिश्नर की आंखें भर आईं, और उन्होंने कहा कि सीसीटीवी से सबकी पहचान हो गई है, और किसी भी हमलावर को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसा कहीं-कहीं पर होता है जब वकील एकमुश्त किसी पर टूट पड़ते हैं तो वे मुजरिम को भी पीट देते हैं, और पुलिस को भी। लेकिन पुलिस कमिश्नर के इस डबडबाए हुए वीडियो के नीचे लोगों ने जो टिप्पणियां लिखी हैं, वे देखने लायक हैं।

एक ने लिखा है कि आपको अंदाज नहीं है कि वकीलों ने जिस तरह पुलिस को पीटा है, उससे कितने गरीबों का दिल ठंडा हुआ होगा क्योंकि पुलिस लोगों का दिल दुखाती रहती है। एक दूसरे ने लिखा है आज आप आंसू बहा रहे हैं, लेकिन आपकी पुलिस ने विनय तिवारी को जेल में पीट-पीटकर मार डाला था तब आंसू नहीं निकले, कभी पुलिस आर्मी के जवानों को पीटती है, कभी वकीलों को, और कभी किसानों को।

सीआरपीएफ के एक जवान ने लिखा है कि उसे पुलिस चौकी में चौकी प्रभारी के सामने कुछ लोगों ने डराया-धमकाया और दारोगा जी मुस्कुरा रहे थे। सबसे ज्यादा भ्रष्ट पुलिस हो गई हो जो मनमानी करती है, दबंगों का साथ देती है, और कमजोर गरीबों को परेशान करती है।

एक अन्य ने लिखा है- पुलिस विद्यार्थियों को जब लहूलुहान करती है तब दिल नहीं पिघलता? अगले ने लिखा है- वकील कभी गलत नहीं करते, और वकीलों से ही पुलिस काबू में है वरना यूपी में जंगलराज कायम करने में पुलिस की भूमिका सबसे बड़ी है।

एक ने लिखा- तुम लोग सिर्फ आम जनता पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने में अपनी वर्दी का इस्तेमाल करते हो। जब खुद जूता-लात खाते हो तो भावुक हो जाते हो। और जब दूसरों को प्रताडि़त करते हो तो मेडल पाते हो, तुमको सिर्फ वकील ही सही कर सकते हैं। नीचे पोस्ट की गई दर्जनों प्रतिक्रियाओं में शायद एक भी पुलिस के पक्ष में नहीं थी, और पूरी पोस्ट, जो कि पुलिस कमिश्नर के आंसुओं से भीगी हुई थी, वह बर्बाद हो गई।

एनटीपीसी में लगातार उजागर होते घोटाले

रायगढ़ में एनटीपीसी के डिप्टी जीएम विजय दुबे को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने 4.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। मामला जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास मुआवजे से जुड़ा था। शिकायतकर्ता पिता और बेटों को अधिग्रहित जमीन का मुआवजा मिल चुका था, लेकिन पुनर्वास योजना के 30 लाख रिलीज करने के लिए घूस मांगी गई। इसका एक हिस्सा पहले ही दिया जा चुका था, शेष राशि लेते वक्त अफसर पकड़ा गया।

यह घटना एनटीपीसी लारा परियोजना में हुए बड़े घोटाले की याद ताजा करती है। परियोजना के लिए 9 गांवों से जमीन अधिग्रहित की गई थी। शुरू में खातेदारों की संख्या केवल 500 थी, लेकिन परियोजना शुरू होते ही यह संख्या बढक़र 2000 हो गई। राजस्व अफसरों ने छोटे-छोटे टुकड़ों में जमीन बांट दी, क्योंकि प्रत्येक खाते पर 5 लाख मुआवजा मिलना था। नतीजतन, एनटीपीसी को अरबों रुपये अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा।

मामले की तत्कालीन कमिश्नर और कलेक्टर ने जांच कराई तथा मोटी फाइल तैयार हुई। इस जांच में डिप्टी कलेक्टर तीर्थराज अग्रवाल पर सबसे अधिक संदेह था, लेकिन कुछ माह पहले उन्हें क्लीन चिट देकर फाइल बंद कर दी गई। सामान्य प्रशासन विभाग इस निष्कर्ष पर कैसे पहुंचा, यह आज तक स्पष्ट नहीं है।   इधर, प्रभावित परिवार पुनर्वास नीति का लाभ पाने के लिए एनटीपीसी अफसरों को रिश्वत देने को मजबूर हैं।

एनटीपीसी रायगढ़ में दूसरे घोटाले भी हो रहे हैं। हाल ही में फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्ट घोटाला सामने आया। यहां से निकली फ्लाई ऐश की गाडिय़ां भारतमाला परियोजना के लिए अभनपुर ले जाने के बजाय रायगढ़ के पास के खाली प्लॉट में डंप करती पाई गईं। जांच में खुलासा हुआ कि जीपीएस ट्रैकर हैक कर वाहनों को नजदीक ही डंप कराया जाता है और पूरा भाड़ा वसूला जाता है। यह सब एनटीपीसी अफसरों की जानकारी में होने का आरोप है।

इन सबने रायगढ़ की पहले से प्रदूषित हवा को और जहरीला बना दिया है। यहां के अधिवक्ताओं ने न केवल जिलाधीश बल्कि जिला जज से भी कार्रवाई की मांग की है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जब सोशल मीडिया पर इस मामले को उठाया तो उन्हें फोन पर ट्रांसपोर्टरों से धमकी मिली। पुलिस ने इस पर एक कारोबारी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की। केंद्रीय उपक्रम हर साल सतर्कता सप्ताह मनाते हैं। संकल्प लेते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस रखेंगे। लोगों की राय भी आम तौर पर यही है कि राज्य सरकार के दफ्तरों के मुकाबले केंद्रीय संस्थानों में भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख कड़ा होता है, पर एनटीपीसी के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले चर्चाओं में लगातार है।

बृजमोहन, और बाकी की भी अनदेखी

रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के समर्थक, और नगर निगम में भाजपा के पार्षद खफा हैं। इसकी वजह यह है कि पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस  के मौके पर बुधवार को लोक कल्याण उत्सव आयोजित किया गया था। कार्यक्रम रायपुर के मेडिकल कॉलेज के सभागार में हुआ। कार्यक्रम में सीएम विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव, और रायपुर के चारों विधायक थे। मगर कार्यक्रम के होर्डिंग्स में सांसद, मेयर, और विधायकों की तस्वीर नहीं थी। इस पर पार्षदों ने आपत्ति जताई है।

कार्यक्रम में सीएम ने सभी को स्वच्छता की शपथ दिलाई। साथ ही डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। भाजपा के पार्षद इस बात से खफा थे कि सांसद बृजमोहन अग्रवाल, और मेयर तक की तस्वीर नहीं लगी है। एक-दो पार्षदों ने तो मेयर से पूछ लिया कि निगम के कार्यक्रम में आपकी तस्वीर क्यों नहीं है? एक जोन अध्यक्ष ने तो कई जगहों पर आपत्ति दर्ज कराई है।

जोन अध्यक्ष का तर्क था कि पिछली सरकार में रायपुर नगर निगम के कार्यक्रम में सांसद,और विधायकों की तस्वीर जरूर होती थी। तब निगम में कांग्रेस काबिज थी। बावजूद इसके भाजपा सांसद सुनील सोनी का प्रमुख कार्यक्रमों में आमंत्रण के साथ-साथ उनकी तस्वीर रहती थी। सरकार बदलते ही कई जगहों पर प्रोटोकॉल को अनदेखा करने की बात सामने आ रही है। इससे पहले भी राजभवन में शिक्षक दिवस के मौके पर सम्मान समारोह में सांसद, और विधायकों को एक तरह से नजर अंदाज कर दिया गया था। सांसद-विधायक कार्यक्रम में नहीं गए थे। अब फिर उसी तरह की चूक सामने आई है।  इससे भाजपा के अंदरखाने में शिकवा शिकायतें चल रही हैं।

अफसर जोड़े आगे बढ़ते

सब कुछ सामान्य रहा तो इस माह या अक्टूबर में छत्तीसगढ़ के दो अफसर केंद्र में सचिव बनेंगे। डीओपीटी ने 1995 बैच से देश भर के 30 आईएएस अफसरों को इंपैनल कर लिया है। जो केंद्रीय विभागों के सचिव बनाए जाएंगे। हालांकि इनमें से 20 अफसर अभी भी सचिव के समकक्ष पदों पर कार्यरत हैं। इस बैच से छत्तीसगढ़ कैडर की श्रीमती डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी और गौरव द्विवेदी शामिल हैं। ये दोनों भी सचिव स्तर के पदों पर हैं।

गौरव प्रसार भारती में 2022 से सीईओ, और मनिंदर कौर जुलाई  23 से राष्ट्रीय बीज निगम (एनएससी) की वर्तमान अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हैं। गौरव ने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी ऑनलाइन नागरिक मंच, माय गव इंडिया शुरू किया था जो सफलता से चल रहा है। छत्तीसगढ़ की ऑनलाइन पीडीएस सिस्टम को भी गौरव ने डिजाइन किया था। वे दोनों कुल मिलाकर 15-17 वर्षों से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत रहे हैं।

वैसे इनके अलावा छत्तीसगढ़ के दो और आईएएस अमित अग्रवाल आधार कार्ड बनाने वाले प्राधिकरण के सीईओ, और निधि छिब्बर नीति आयोग में डायरेक्टर हैं। उनके पति विकासशील भी एडीबी में ईडी पद पर कार्य करने के बाद हाल में वापसी के लिए रिलीव हो चुके हैं।


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