राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : ननकीराम के स्थायी बागी तेवर
13-Sep-2025 6:39 PM
राजपथ-जनपथ : ननकीराम के स्थायी बागी तेवर

दिग्गज आदिवासी नेता ननकी राम कंवर एक के बाद एक डीएमएफ, और अन्य मामले को लेकर सीधे पीएमओ को शिकायत भेज रहे हैं। एक-दो मामलों पर पीएमओ ने सरकार ने जांच प्रतिवेदन भी मांगा है। चर्चा है कि कंवर की शिकायतों से राज्य सरकार, और संगठन के नेता नाखुश हैं।

 पिछले दिनों मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक कोरबा में थी। सीएम विष्णु देव साय और अन्य कई मंत्री व विधायक बैठक में थे। कई फैसले भी लिए गए। मगर पूर्व गृहमंत्री कंवर सौजन्य मुलाकात के लिए भी नहीं गए। इसको लेकर पार्टी के भीतर काफी चर्चा भी रही। कंवर की नाराजगी कोरबा कलेक्टर के खिलाफ भी है। वो कलेक्टर को बदलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि पार्टी में पूछपरख नहीं होने से कंवर भी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। मगर नंदकुमार साय का हाल देखकर ऐसा कुछ करेंगे, इसको लेकर संदेह जताया जा रहा है। देखना है आगे क्या होता है।

पितृ पक्ष, और फूले मुँह

सरकार के निगम-मंडलों, और भाजपा संगठन की दूसरी सूची पर फिलहाल ब्रेक लग गया है। सूची अब अक्टूबर-नवंबर में जारी हो सकती है।

नाम फाइनल होने के बाद भी सूची अटकने के पीछे कई वजहें सामने आई है। बताते हैं कि पितृपक्ष में पार्टी नई नियुक्तियों से परहेज़ करते आई है। इससे परे पार्टी हाईकमान ने 2 अक्टूबर तक कई कार्यक्रमों की सूची भेजी है। इन कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए प्रदेश और जिला कार्यालयों में बैठकें चल रही है।

पार्टी नेता मानते हैं कि सरकार और संगठन की सूची जारी होने असंतोष भी उभर कर सामने आ सकता है।  वैसे भी पार्टी के पुराने नेता संगठन में जगह नहीं मिलने से मुंह फुलाए बैठे हैं। इन सब वजहों से पार्टी के कार्यक्रम प्रभावित होने का खतरा दिख रहा था। इस वजह से  नियुक्तियों को फिलहाल रोक दिया गया है।

आंदोलन को जीवंत रखने के तरीके

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के हजारों कर्मचारी पिछले 25 दिनों से हड़ताल पर हैं। उनकी मुख्य मांग भाजपा सरकार से चुनाव पूर्व किए गए उस वायदे को पूरा करने की है, जिसमें नियमितिकरण और सरकारी सेवा में शामिल किए जाने की बात कही गई थी। संगठन पदाधिकारियों का दावा है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने घरों के बाहर बैनर लगाए थे, जिन पर लिखा था, कि यहां कांग्रेसियों का प्रवेश वर्जित है। कांग्रेस शासन से उन्हें धोखा मिला और अब भाजपा सरकार ने भी उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। लंबी हड़तालों में सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों का उत्साह बनाए रखना होता है। रोज-रोज कर्मचारियों को धरना स्थल तक लाना और आंदोलन को जीवंत रखना आसान काम नहीं है। लेकिन एनएचएम कर्मियों ने इसके लिए पहले से पुख्ता तैयारी कर रखी है। जगदलपुर में कल आंदोलनकारियों ने पुराना कृषि उपज मंडी प्रांगण में लोकनृत्य किया। कुछ कर्मचारियों ने सरकार की वादाखिलाफी पर गीत तैयार किए, जिन्हें धुन में गाकर सुनाया गया। इससे पहले वे बारिश में बाइक रैली निकाल चुके हैं। धरना स्थल पर ढोल-मंजीरा संग भजन और पैरोडी गाए जा रहे हैं, जिनमें उनकी मांगों की फेहरिस्त होती है। कभी समूह में मंदिरों में देवी दर्शन, तो कभी चुनरी यात्रा निकालकर वे लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं।

वैसे हड़ताल का असर सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों तक है। ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम भी हड़ताल पर हैं, जिनके भरोसे मिनी पीएचसी (आरोग्य मंदिर) चलते हैं। बड़े अस्पतालों में भी मरीजों को मरहम-पट्टी और दवाओं के लिए भटकना पड़ रहा है। जब भी उल्टी-दस्त और डायरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप फैलता है, तो एनएचएम कर्मचारी ही फील्ड में सबसे ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इस काम पर भी असर पड़ा है। महामारी नियंत्रण, जन्म-मृत्यु पंजीयन, महतारी प्रसव, ओपीडी सेवाओं समेत दर्जनों स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

सरकार की ओर से आंदोलनकारियों की कुछ मांगों पर आश्वासन दिया गया है, लेकिन कर्मचारी केवल मौखिक भरोसे से संतुष्ट नहीं हैं। वे लिखित आश्वासन और समयबद्ध निराकरण की मांग पर कर रहे हैं।


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