राजपथ - जनपथ
तारीख पर तारीख
हाल फिलहाल में कैबिनेट विस्तार होगा या नहीं, यह साफ नहीं है। मगर इस मसले पर भाजपा में हलचल मची है। दरअसल, सीएम विष्णु देव साय ने शनिवार को मीडिया से चर्चा में कह दिया था कि कैबिनेट विस्तार जल्द होगा। वो 21 तारीख को दस दिन के विदेश दौरे पर जाने वाले हैं।
सीएम के बयान के बाद नए मंत्रियों के नामों को लेकर कयास लगाए जाने लगा। और जब सीएम शनिवार को राज्यपाल से मिलने पहुंचे, तो कैबिनेट विस्तार की संभावित तिथि को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी। भाजपा के कुछ विधायकों के घर में मजमा लगना शुरू हो गया। कुछ उत्साही कार्यकर्ताओं ने तो सरगुजा के एक युवा विधायक को रायपुर बुलवा लिया। उन्हें संभावित मंत्री बताए जाने लगा।
रायपुर जिले के एक युवा विधायक पर तो समर्थक शपथ ग्रहण के लिए सूट सिलवाने के लिए दबाव बनाने लगे। इससेे पुराने विधायकों में भी बेचैनी देखने को मिली। जिन दो सीनियर विधायकों को काफी समय से मंत्री बनने की चर्चा रही है, उन्हें दौड़ से बाहर बताया जाने लगा। इसके बाद भाजपा के छोटे-बड़े नेता, कैबिनेट विस्तार के मसले पर सीएम हाउस और राजभवन के अपने संपर्कों को टटोलने लगे। हल्ला यह है कि प्रदेश के एक बड़े नेता ने हाईकमान से संपर्क कर नए नामों को लेकर आपत्ति जताई है। इसके बाद शनिवार देर रात खबर उड़ी कि कैबिनेट विस्तार टल सकता है। यह सब अब सीएम के विदेश से लौटने के बाद होगा।
इन चर्चाओं के बीच एक खबर यह है कि पार्टी संगठन के एक प्रमुख नेता दिल्ली में हैं। कहा जा रहा है कि कैबिनेट फेरबदल, और अन्य विषयों पर पार्टी हाईकमान से चर्चा चल रही है। इस बैठक के बाद ही सही तस्वीर सामने आने की अटकलें लगाई जा रही है। कुल मिलाकर कैबिनेट विस्तार के मसले पर कोई साफ-साफ कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। यानी तारीख पर तारीख।
सैरगाह में एक खुला आशियाना

राजधानी रायपुर का तेलीबांधा इलाका रोज़ाना बड़ी संख्या में सैर करने वालों से गुलजार रहता है। लेकिन जरा इस तस्वीर को देखिए। गेट के बिल्कुल पास ढेर सारा कचरा जमा है। यह कचरा यहां आने-जाने वालों का नहीं है, बल्कि यहां बसे एक परिवार का है, जिसने लंबे समय से यहीं डेरा डाल रखा है। यह परिवार पार्क में रोजाना फेंके जाने वाले कचरे इक_ा करता है। दिनभर शहर में भी घूम-घूमकर कचरा बीनता है और शाम को वापस यहीं लौट आता है। रात भी इन्हें इसी जगह गुजारनी पड़ती है।
दिलचस्प बात यह है कि यहां रक्तदान शिविर, गीत-संगीत की महफिल जैसे कार्यक्रम अक्सर होते रहते हैं। प्रशासनिक अधिकारी और स्थानीय नेता भी यहां आते हैं। पास में पुलिस सहायता केंद्र भी मौजूद है। बावजूद इसके, शायद ही किसी की निगाह अब तक इस परिवार पर पड़ी हो। शायद उन्हें लगता हो कि इस परिवार को यहीं पड़ा रहने दें, क्या फर्क पड़ता है, साफ-सफाई करके नगर-निगम का काम थोड़ा हल्का ही कर रहे हैं। मगर, दूसरा सवाल यह भी है कि गर्मी, बरसात, ठंड हर मौसम में यही फुटपाथ इनका ठिकाना होता है। क्या अफसरों, नेताओं को नहीं लगता कि इनके लिए छत की कोई व्यवस्था कर दी जाए? कचरा तो फैलता रहेगा, उसकी सफाई भी होती रहेगी।
शादी हुई, मोहब्बत गई
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हिन्दुस्तान में शादीशुदा जिंदगी में रोमांस बड़ी तेजी से बाहर हो जाता है। घर में बच्चे आते हैं, और उनके माँ-बाप के बीच मोहब्बत को मानो घरनिकाला मिल जाता है। अभी सोशल मीडिया, एक्स पर महिलाओं की एक किटी पार्टी का एक वीडियो खिलखिलाते हुए घूम रहा है जिसमें मौजूद तमाम महिलाओं से कहा जा रहा है कि वे अपने पति को फोन लगाएं, और आई लव यू कहें, और जिसे जवाब में आई लव यू नहीं मिलेगा, उसे खेल के बाहर कर दिया जाएगा। इसके बाद एक-एक महिला अपने पति को फोन लगाती है, और आई लव यू कहती है। जवाब में पतियों की जैसी हक्का-बक्का प्रतिक्रिया सुनने मिलती है, उससे लगता है कि पतियों को यह समझ ही नहीं पड़ता कि उनकी पत्नियों का दिमाग क्यों चल गया है! मोहब्बत शादी के बाद इस तरह छोडक़र चली जाती है, है कि नहीं?
ओपी-विरोधी गया, शर्मा-समर्थक को मौका
प्रदेश भाजपा पदाधिकारियों की लिस्ट में भाजयुमो अध्यक्ष रवि भगत का नाम नहीं है। उनकी जगह राहुल टिकरिया को युवा मोर्चा की कमान सौंपी गई है। डीएमएफ के मसले पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ मोर्चा खोलना भगत को भारी पड़ गया। उन पर निष्कासन की तलवार लटकी है।
हालांकि पार्टी के कुछ बता रहे हैं कि रवि भगत के जवाब के बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित करने का मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। भगत वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े रहे हैं, और बाद में वो भाजपा में आए। उन्हें रायगढ़ इलाके में हिंदुत्व का चेहरा माना जाता है। संघ परिवार उनके खिलाफ किसी तरह कार्रवाई के पक्ष में नहीं है। इससे परे नए भाजयुमो अध्यक्ष राहुल टिकरिया बेमेतरा जिला पंचायत के दूसरी बार सदस्य हैं।
टिकरिया विधानसभा चुनाव में भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन आखिरी क्षणों में उनकी जगह गोपेश साहू को टिकट मिल गई। चर्चा है कि राहुल टिकरिया को भाजयुमो अध्यक्ष बनवाने में डिप्टी सीएम विजय शर्मा की अहम भूमिका रही है। टिकरिया, विजय शर्मा की टीम में काम कर चुके हैं। वो युवा मोर्चा अध्यक्ष का रोल किस तरह निभाते हैं, यह देखना है।
वन अधिकार पत्रों की ‘चोरी’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ से जुड़े एक गंभीर मामले पर सोशल मीडिया एक्स पर टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा है- कागज मिटाओ, अधिकार चुराओ- भाजपा का नया हथियार।
दरअसल, इस टिप्पणी के साथ उन्होंने एक अखबार ‘द हिंदू’ की कटिंग चस्पा की है। इस रिपोर्ट में आरटीआई के हवाले से कुछ खुलासे किए गए हैं। इसके मुताबिक छत्तीसगढ़ के कई जिलों में वन अधिकार पत्रों की संख्या कम हो चुकी है। कुछ उदाहरण भी दिए गए हैं, जैसे- बस्तर जिले में जनवरी 2024 में व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों की संख्या 37,958 थी, जो मई 2025 तक घटकर 35,180 रह गई। यानी 2,778 पत्र गायब हो गए। इसके अलावा, आईएफआर, यानि व्यक्तिगत दावों की संख्या भी 51,303 से घटकर लगभग 48,000 हो गई। राजनांदगांव जिले में सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआरआर) पत्रों की संख्या पिछले साल एक महीने के भीतर 40 से घटकर 20 हो गई, यानी आधी संख्या गायब। ऐसे ही बीजापुर जिले में मार्च 2024 तक 299 सीएफआरआर पत्र वितरित किए गए थे, जो अप्रैल 2024 तक घटकर 297 रह गए। दावा किया गया है कि राज्य सरकार की मासिक प्रगति रिपोर्टों में ये आंकड़े दर्ज किए गए हैं। केंद्र सरकार के एफआरए प्रोग्रेस डेटा में केवल राज्य-स्तरीय जानकारी होती है, जो इस तरह की विसंगतियों को उजागर नहीं करती। मई 2025 तक, छत्तीसगढ़ में 30 जिलों में 4.82 लाख आईएफआर और 4,396 सीएफआरआर पत्र वितरित किए गए थे, जो देश के कुल एफआरए वन क्षेत्र का 43त्न से अधिक है। एफआरए प्रदेश के केवल रायपुर, दुर्ग और बेमेतरा जिलों में नहीं होता है। फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत मिलने वाले पट्टे हस्तांतरित नहीं हो सकते न ही बेचे जा सकते। केवल उत्तराधिकारी के नाम पर बाद में दर्ज किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अफसरों ने यह गड़बड़ी मानी तो है लेकिन कहा है कि इसे सुधार लिया गया है। ग्राम सभा, राजस्व अनुभाग और जिला स्तर के अफसरों के बीच गलत कम्युनिकेशन की वजह से यह गड़बड़ी हुई थी। मगर, यह सवाल बचा हुआ है एक बार दिया गया वन अधिकार पत्र वापस लेने का नियम सिर्फ तब है जब ग्राम सभा इसमें सहमति दे।
चूंकि जानकारी आरटीआई से निकाली गई है, इसलिए इसके गलत होने की गुंजाइश भी कम है। हैरानी इस बात पर हो सकती है कि कांग्रेस का जमीनी स्तर पर सूचना तंत्र कमजोर है। यह गड़बड़ी पिछले 17 महीनों के भीतर हुई है लेकिन कांग्रेस के किसी नेता ने यह मुद्दा नहीं उठाया। सीधे राहुल गांधी ने मुद्दा उठाया है, वह भी अखबार में रिपोर्ट आने के बाद।


