राजपथ - जनपथ
अब आईटीआर रिफंड के नाम पर ठगी
ईडी, सीबीआई के नाम पर डिजिटल अरेस्ट करने ठगों ने इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने के इन दिनों में आपके खाते खाली करने का एक नया पैंतरा निकाला है। इसलिए रिटर्न फाइल करने में जल्दबाजी न बरतें। ठगों और हैकर्स द्वारा आनलाइन भेजे ऐसे कथित नोटिस को गंभीरता से देखें पढ़े। वैसे आपको बता दें कि एक शब्द की स्पेलिंग मिस्टेक को पकड़ लेंगे तो ठगी से बचा जा सकता है। खासकर जिन लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल कर दिया है। उन्हें एक ई-मेल भेज कहा जा है कि आपके कर की गणना में त्रुटि हुई है और आपको रिफंड जारी किया जाना है, कृपया इसे अनदेखा न करें।
यह हैकर्स द्वारा फैलाया गया है। जैसे ही आप इस लिंक पर क्लिक करेंगे, यह आपको नेट बैंकिंग लॉगिन पेज पर ले जाएगा और जैसे ही आप इसमें लॉग इन करेंगे, आपका बैंक खाता हैक हो जाएगा।
सच्चाई यह है कि ऐसे ईमेल को अनदेखा करें। आयकर विभाग आपको रिफंड/देय राशि के बारे में एक उचित नोटिस के माध्यम से सूचना भेजेगा।
भाजपा की टीम
भाजपा में टीम किरण देव की सूची को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति के बाद से किरण देव जल्द से जल्द सूची जारी कराने के लिए प्रयासरत हैं। पिछले सप्ताह रायपुर से दूर दिल्ली में बैठक कर बड़े नेताओं ने सूची को अंतिम रूप दे दिया था। और फिर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, के जरिए राष्ट्रीय अध्यक्ष से अनुमोदन के लिए भेजी गई। उम्मीद और दावा जताया जा रहा था कि रविवार को घोषणा कर दी जाएगी। लेकिन खबर है कि सूची फिर वेटिंग में डाल दी गई है। इस बार तीन में से एक महामंत्री को लेकर अटक गई है।
राजनांदगांव कोटे के यह महामंत्री हाईकमान की भी पसंद बताए जा रहे हैं। प्रदेश नेतृत्व ने ‘ना’ कह दिया है। दरअसल, प्रदेश नेतृत्व नहीं चाहता है कि एक ही जाति के दो महामंत्री हो जाए। और तो और इसी वर्ग से अध्यक्ष स्वयं हैं हीं। बस इसी एडजस्टमेंट की वजह से पूरी सूची रूक गई है।
खबर तो यह भी है कि निगम मंडल में नियुक्त दो महामंत्री, दोहरे प्रभार में बने रहने भी जोर लगा रहे हैं। नई टीम में कार्यालय प्रभारी से लेकर मीडिया प्रकोष्ठ, प्रवक्ता भी बदले जा रहें। पार्टी के लिए कानूनी लड़ाई लडऩे वाले एक प्रभारी को प्रवक्ता बनाया जा रहा है। यानी वे अब खुलकर सब कुछ बोल- बता सकेंगे। अब सूची आने के बाद ही खुलासा हो पाएगा। ठाकरे परिसर के निकटवर्तियों का कहना है कि सूची 15 अगस्त की पूर्व संध्या पर आ सकती है।
मूलनिवासी, वनवासी, या आदिवासी?

प्रदेश की भाजपा सरकार ने विश्व आदिवासी दिवस (9-10 अगस्त) पर कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं किया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि आरएसएस के आदेश के चलते इस दिन की उपेक्षा की गई है। यह आरोप नया नहीं है। पिछले साल भी यही आरोप था। 2024 में मुख्यमंत्री को कुछ संगठनों ने कार्यक्रमों में आमंत्रित किया था, लेकिन उसमें वे शामिल नहीं हुए। उस दिन वे डिप्टी सीएम अरुण साव की बहन के यहां, उनके बेटे के आकस्मिक निधन पर संवेदना प्रकट करने गए थे। दरअसल, यहां विचारधारा और दृष्टिकोण का प्रश्न आ गया है, जिसके ऐतिहासिक संदर्भ वैश्विक स्तर पर जुड़े हैं।
9 अगस्त 1982 को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उप-समिति के अधीन यूएन वर्किंग ग्रुप ऑन इंडिजिनस पॉपुलेशंस की पहली बैठक हुई थी। इस बैठक की स्मृति में 1994 में, संयुक्त राष्ट्र ने 9 अगस्त को वर्ल्ड इंडिजेनस डे के रूप में मनाने की घोषणा की। उद्देश्य था-आदिवासियों के भूमि और सांस्कृतिक अधिकारों का संरक्षण, उनकी मौलिक स्वतंत्रता और पहचान बनाए रखना, भेदभाव समाप्त करना तथा शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाना। इसकी पृष्ठभूमि उन ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़ी है, जब ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसे देशों में औपनिवेशिक ताकतों ने मूल निवासियों पर हमले किए, नरसंहार किया, उनकी जमीन और संसाधनों पर कब्जा कर लिया और उनके अस्तित्व को संकट में डाल दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसका सहयोगी संगठन वनवासी कल्याण आश्रम इस दिन को भारत के लिए अप्रासंगिक मानता है। उनका तर्क है कि भारत के सभी लोग, जिनमें वनवासी भी शामिल हैं- मूल निवासी हैं और सभी हिंदू हैं। यह दिवस पश्चिमी देशों के औपनिवेशिक अपराध बोध से जुड़ा मामला है, जिसका भारत से कोई संबंध नहीं। उनके अनुसार भारत में आदिवासी (आरएसएस के शब्दों में वनवासी) हमेशा मुख्यधारा का हिस्सा रहे हैं, इसलिए किसी अलग विश्व आदिवासी दिवस की आवश्यकता नहीं।
आरएसएस की विचारधारा में आदिवासी शब्द को अलगाववादी मानकर नकारा गया है। 2020-21 में आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर में प्रकाशित लेखों में कहा गया कि यह दिवस उनकी मूल मान्यता, आदिवासियों को वनवासी मानने और उन्हें हिंदू समाज का अभिन्न अंग मानना- के विपरीत है। 2024 में वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष सतीश कुमार ने तो 9 अगस्त के आयोजनों को ईसाई मिशनरियों की साजिश करार दिया और कहा कि यह धर्मांतरण को बढ़ावा देता है।
विश्व आदिवासी दिवस के विकल्प के रूप में आरएसएस, भाजपा और सहयोगी संगठन बिरसा मुंडा की जयंती (15 नवंबर) पर जनजातीय गौरव दिवस मनाते हैं। मोदी सरकार ने इसे 2021 में आधिकारिक रूप से घोषित किया था।
इस प्रकार, कांग्रेस के आरोप अपनी जगह हैं, लेकिन 9 अगस्त की अनदेखी आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों की विचारधारा और हिंदुत्व के दृष्टिकोण से जुड़ा मामला है।
बहस इस पर जरूर हो सकती है कि क्या जनजातीय गौरव दिवस, 9 अगस्त का विकल्प है? गौरव दिवस भारतीय इतिहास व स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदाय के योगदान को याद करने के लिए है। विश्व आदिवासी दिवस, उनकी पहचान, अस्तित्व और संसाधनों को बचाए रखने के लिए है। दोनों ही दिन एक दूसरे के पूरक हो सकते हैं। पर राजनीति ऐसा होने नहीं देगी।


