राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कांग्रेस के 1 के साथ 3 फ्री ?
09-May-2025 7:19 PM
राजपथ-जनपथ : कांग्रेस के 1 के साथ 3 फ्री ?

कांग्रेस के 1 के साथ 3 फ्री ?

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। पार्टी हाईकमान ने गुरुवार को केरल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सन्नी जोसेफ, और तीन कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में भी केरल फार्मूला अपनाया जा सकता है।

केरल में पार्टी ने कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति में जाति समीकरण को ध्यान में रखा है। अनुसूचित जाति वर्ग से एक कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। इससे परे विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज को बदलने की चर्चा चल रही है। हल्ला है कि पखवाड़े भर के भीतर पार्टी इस दिशा में कोई फैसला कर सकती है। ऐसे में  पार्टी हाईकमान केरल की तरह नियुक्तियां छत्तीसगढ़ में भी कर सकती है।

वैसे भी कांग्रेस  वर्ष-2014 में कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति कर चुकी है। तब भूपेश बघेल को प्रदेश अध्यक्ष, और रामदयाल उईके व डॉ. शिव कुमार डहरिया को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। उस वक्त टीएस सिंहदेव नेता प्रतिपक्ष के पद थे।

पार्टी ने चुनाव को देखते हुए अहम पदों पर नियुक्तियों में पिछड़ा, दलित, आदिवासी, और सामान्य वर्ग का समीकरण बनाया था। हालांकि बाद में रामदयाल उइके कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए थे। बावजूद इसके वर्ष-2018 के विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिली थी। अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में क्या कुछ बदलाव होता है, इस पर निगाहें टिकी हैं।

मोर्चे पर छत्तीसगढ़ से

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, और गुजरात के सीमावर्ती जिलों में तनाव की स्थिति है। इनमें से जम्मू-कश्मीर का सबसे संवेदनशील जिलों में से एक सांभा जिला भी है, जहां पाकिस्तान के साथ गोलीबारी चल रही है। खास बात यह है कि सांभा डीएम के पद पर अभिषेक शर्मा हैं, जो कि छत्तीसगढ़ कैडर के वर्ष-2018 बैच के आईएएस अफसर हैं।

अभिषेक मूलत: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के रहने वाले हैं, और वो प्रतिनियुक्ति पर हैं। केन्द्र सरकार ने वर्ष-2024 सितंबर में अभिषेक शर्मा की प्रतिनियुक्ति खत्म होने के बाद एक साल का एक्सटेंशन दिया था। अभिषेक शर्मा के अलावा छत्तीसगढ़ कैडर के एक और अफसर शिव अनंत तायल भी जम्मू-कश्मीर सरकार में सेवाएं दे रहे हैं। ये अफसर छत्तीसगढ़ सरकार के यहां पदस्थ अफसरों के संपर्क में भी रहते हैं, और वहां की स्थितियों से समय-समय पर अवगत भी कराते हैं। स्वाभाविक है कि देश का ध्यान इन दिनों सीमा पर है।

ब्रांड निरीक्षक मंत्री जी

जब पूरा स्वास्थ्य तंत्र हांफ रहा हो, तब मंत्री जी शराब दुकान में ब्रांड की जांच करने पहुंच गए। इसे कोई असंवेदनशीलता का नाम न दे। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, मध्यप्रदेश की सीमा से सटा जिला है। यहां शराब दुकानों में तस्करी की दारू नहीं बिकनी चाहिए, यह वहां के प्रभारी मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की चिंता होनी ही चाहिए। सोशल मीडिया पर कुछ नासमझ लोग उनके इस कदम पर ऐतराज जता रहे हैं, यह कहकर कि उन्हें पूरा ध्यान स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ सीधी करने पर देना चाहिए।

मंत्री जी जानते ही होंगे कि छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत दयनीय है। करोड़ों की दवाएं खराब हो रही हैं, महंगे चिकित्सा उपकरण धूल फांक रहे हैं, अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं, और गांवों में मरीज एंबुलेंस के इंतजार में दम तोड़ रहे हैं। राज्य की जनता बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद करती है। किसी न किसी दिन मंत्री जनता की इन उम्मीदों पर खरा उतरेंगे। इसका सबूत यह है कि विधानसभा में खुद मंत्री ने स्वीकार किया कि 28 करोड़ रुपये के रिएजेंट खराब हो चुके हैं और 300 करोड़ के खराब होने की आशंका है। कैग रिपोर्ट पर भी कोई ऐतराज नहीं है, जिसमें बताया गया कि दवाएं ब्लैकलिस्टेड कंपनियों से खरीदी गईं, करोड़ों के उपकरण बिना तकनीकी स्टाफ और फ्रिज के गांवों-कस्बों के अस्पतालों में भेज दिए गए। मंत्री जी को पता है कि बड़ी संख्या में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के पास न तो भवन हैं और न ही बुनियादी सुविधाएं। यह भी मालूम है कि एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंचने के चलते मरीजों को खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। उन घटनाओं का भी संज्ञान होगा, जब कोई गर्भवती महिला अस्पताल पहुंची, तो वहां न तो डॉक्टर मिले, न नर्स मिलीं।

मंत्री जी के जीपीएम जिले की शराब दुकानों के निरीक्षण को अन्यथा नहीं लेना चाहिए। शराब पीने वालों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो, इसे देखना उनकी जिम्मेदारी है। अस्पताल में भी मरीजों के पहुंचने पर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो, यह भी वे देखेंगे। धैर्य रखिए।

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