राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पीएससी में किस जात के कितने?
01-Dec-2024 3:05 PM
	 राजपथ-जनपथ :  पीएससी में किस जात के कितने?

पीएससी में किस जात के कितने?

छत्तीसगढ़ पीएससी के इस बरस के नतीजों में जिन 703 लोगों का चयन किया गया है उनमें जातियों का एक विश्लेषण छत्तीसगढ़ के जानकार ने किया है। उन्होंने यह बताया है कि इस मेरिट लिस्ट में 43 साहू समाज के हैं, इनमें से नियुक्ति पाने वाले 17 लोगों के नाम भी उन्होंने लिखे हैं। उन्होंने कहा है कि पिछले 5 वर्ष से हर बार 20-22 साहू नियुक्ति पाते हैं, इस बार यह संख्या 17 ही है। कुल पदों के 7 फीसदी पर साहू उपनाम लिखने वाले लोगों का चयन हुआ है जबकि कुल ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी है।

इसके अलावा उन्होंने  कुर्मी समाज के लोगों का आंकड़ा भी निकाला है इनमें नियुक्ति पाने वाले 18 लोग हैं। उनका कहना है कि 17 साहू और 18 कुर्मी नियुक्ति पा रहे हैं जो कि ओबीसी आरक्षण का 90 फीसदी है। ओबीसी आरक्षण का 90 फीसदी हिस्सा यही दो जातियां ले ले रही हैं। जबकि ओबीसी आबादी के भीतर इन दोनों की आबादी का जोड़ 15-16 फीसदी ही है।  इसी तरह अनुसूचित जाति और जनजाति में भी शासक जातियों के लोगों को ही अधिक लाभ मिल रहा है, ऐसा उनका विश्लेषण है। इन तीनों आरक्षित वर्गों में गिनी-चुनी जातियों का ही कब्जा है। 

लेकिन जो सबसे दिलचस्प और सनसनीखेज बात है, वह यह कि कुल 252 नियुक्तियों में से 45 ऐसे ओबीसी हैं, जो कि अनारक्षित वर्ग में चुने गए हैं।  इनमें 4 यादव, 5 देवांगन, 1 कोलता, 1 कुम्हार, और 1 नाई हैं। बाकी सारे के सारे साहू और कुर्मी हैं!

घोटाले का रेट कैसे जारी रखें?

प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी चल रही है, लेकिन राइस मिलर्स मुंह फुलाए बैठे हैं। वे मिलिंग के लिए एग्रीमेंट नहीं कर रहे हैं। मिलर्स मिलिंग की राशि 120 रूपए से घटाकर 60 रुपए प्रति क्विंटल करने से खफा हैं। वो चाहते हैं कि मिलिंग की राशि यथावत रखी जाए।  सरकार मिलर्स के दबाव में तो है, लेकिन राशि यथावत रखने के पक्ष में नहीं है। 

दरअसल, पिछली सरकार में कस्टम मिलिंग घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। इसमें सरकार ने मिलिंग की राशि प्रति क्विंटल 40 रुपए से बढ़ाकर सीधे 120 रूपए कर दी थी। इसके एवज में मिलर्स से प्रति क्विंटल 40 रुपए की उगाही हुई थी। ये सारी बातें ईडी की जांच में आई है, और इसमें अहम भूमिका निभाने वाले एक बड़े फूड अफसर मनोज सोनी, और राइस मिलर रोशन चंद्राकर जेल में हैं। इन सबको देखते हुए सरकार फूंक फूंककर कदम रख रही है। 

कस्टम मिलिंग घोटाला उजागर होने के बाद साय सरकार ने पहले तो कस्टम पॉलिसी बदल दी, और जब नई पॉलिसी के विरोध में मिलर्स ने काम बंद कर दिया, तो बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की जा रही है। सीएम विष्णुदेव साय, और सरकार के मंत्रियों से चर्चा के बाद मिलिंग पॉलिसी में संशोधन पर सहमति बनी है। 

सरकार मिलिंग की राशि 60 से बढ़ाकर 80 रूपए करने के लिए तैयार हो गई है। फिर भी, सरकार को 40 रुपए प्रति क्विंटल की बचत होगी। राइस मिलर्स भी संतुष्ट है कि उनकी बात कुछ हद तक मान लिया गया है। ये अलग बात है कि पिछली सरकार में जितनी कमाई की थी उतना इस बार नहीं होगा। इस बात का डर भी है कि ज्यादा दबाव बनाने से ईडी अपनी जांच तेज कर सकती है। संकेत हैं कि सोमवार से मिलर्स एग्रीमेंट करना शुरू कर देंगे। देखना है आगे क्या होता है। 

आयकर बीट में सन्नाटा 

कल एक आयकर अन्वेषण विंग के अफसर से चर्चा के दौरान किसी ने यूं ही पूछ लिया क्या सर लंबा अर्सा हो गया है। कोई सर्वे, रेड नहीं हो रही। आयकर बीट में सन्नाटा क्यों है? उन्होंने कहा हां करीब मई के बाद से कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इसकी वजह लोकसभा चुनाव, उसके बाद विभाग में महानिदेशालय से लेकर सर्कल स्तर पर बड़े अफसर से लेकर कर्मचारियों के तबादले। 

हर सर्किल में नया अमला पदस्थ है जो स्थानीय बाजार को समझ रहा है। इसके अलावा सबसे बड़ा कारण यह है कि पिछले वर्षों में इतने रेड सर्वे हो चुके थे कि सबके डाक्यूमेंटेशन और अपील प्रकरणों के जवाब दावे के पेपर वर्क में सभी व्यस्त हैं। 20-22 विभागों को कोआर्डिनेट कर फाइल तैयार करनी पड़ रही है।

इस पर पूछा कि इससे तो कर राजस्व में असर पड़ रहा होगा? उन्होंने कहा कि रेड का रेवेन्यू लॉस या टारगेट से सीधा संबंध नहीं है। टैक्स रेवेन्यू की आवक तो बनी रहती है। और टारगेट भी पूरा हो जाता है। इस पर जब हमने कारोबारियों से चर्चा की तो उनका कहना था कि डबल इंजन की सरकार होने से भी रेड केस छंटनी करने में दिक्कत होती है।

हवाई सेवा के नाम पर खानापूर्ति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंबिकापुर के मां महामाया एयरपोर्ट से हवाई सेवाओं का 20 अक्टूबर को उद्घाटन कर दिया था। इसके ठीक दो माह बाद 19 दिसंबर से अंबिकापुर से बिलासपुर के बीच उड़ान शुरू करने की घोषणा की गई है। फ्लाई बिग की ओर से यह सुविधा दी जा रही है। यह जरूर है कि बिलासपुर से अंबिकापुर के लिए दिन भर बसें चलती हैं लेकिन वे हवाई मुसाफिऱों के दर्जे की नहीं हैं। अंबिकापुर-बिलासपुर के बीच की दूरी निजी वाहन में चार से पांच घंटे में तय की जा सकती है। जिन्हें फ्लाइट से बिलासपुर या अंबिकापुर जाना है उन्हें एक डेढ़ घंटे चेक इन करने में लगेगा और इतना ही समय दरिमा या चकरभाठा से शहर आने-जाने में। इसके लिए उन्हें टैक्सी या निजी वाहन का सहारा लेना होगा। यह जरूर है कि हाईकोर्ट में जिन यात्रियों को काम है उन्हें चकरभाठा हवाई अड्डा नजदीक पड़ेगा। देखना होगा कि इस हवाई सेवा को कितना प्रतिसाद मिलता है। अंबिकापुर से रांची और वाराणसी के लिए हवाई सेवाओं की मांग जनप्रतिनिधियों और कारोबारियों की थी, जो अभी अधूरी है। अभी तो अंबिकापुर से आने वाली फ्लाइट को दिल्ली, कोलकाता, रायपुर या जगदलपुर से कनेक्ट करने की भी योजना नहीं है। हवाई सेवा वाले शहर के रूप में अंबिकापुर का नाम जरूर दर्ज हो जाएगा लेकिन यह लोगों की मांग और जरूरतों के हिसाब से शुरू की गई उड़ान तो फिलहाल नहीं लगती।

सभी यात्रियों का स्वागत...

सरकारी प्रतिवेदन कुछ इसी तरह से बनते हैं और उसे पढक़र भड़ास भी पलटकर निकाली जाती है। दरभंगा एयरपोर्ट ने ट्विटर (एक्स) पर लिखा- विमानों की कुल आवागमन संख्या- जीरो, यात्री आवागमन की संख्या-जीरो..। आगे लिखा हम दरभंगा हवाई अड्डे पर सभी यात्रियों का स्वागत करते हैं। आपकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। जब यात्रियों की संख्या जीरो है तो उनका स्वागत और सुरक्षा किस तरह की गई? यही सवाल एक व्यक्ति ने अपने अंदाज में पूछ लिया है।

(rajpathjanpath@gmail.com)


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