राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कथावाचक के जरिये सीएम से गुहार
02-Sep-2024 4:40 PM
राजपथ-जनपथ :  कथावाचक के जरिये सीएम से गुहार

कथावाचक के जरिये सीएम से गुहार

अगस्त के पहले सप्ताह में राजनांदगांव में हुए प्रख्यात कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा के शिवपुराण कार्यक्रम के आयोजकों में से एक मेजबान ने राज्य सरकार की लालबत्ती की पहली सूची में जगह पाने के लिए प्रदीप मिश्रा के जरिये सरकार से गुहार लगाई है। पं. मिश्रा के सप्ताहभर के कार्यक्रम में लालबत्ती इच्छुक मेजबान को खास मौके की तलाश थी। 

पंडितजी से मिलने आए सीएम विष्णुदेव साय तक अपनी फरियाद पहुंचाने मेजबान को एक शानदार अवसर मिल गया। पं. प्रदीप मिश्रा ने मेजबान की ख्वाहिश को एक पत्र के माध्यम से सीएम तक लगे हाथ पहुंचा भी दिया। पंडित मिश्रा से अच्छे रिश्ते का फायदा उठाने के लिए मेजबान व्यक्ति ने मौका देकर चौका लगा दिया। 

सुनते हैं कि सीएम को चि_ी देने की भनक भाजपा के कई खाटी नेताओं को बाद में लगी। अब लालबत्ती की उम्मीद में बैठे भाजपा नेताओं के मन में इस बात की धुकधुकी भी हो रही  है कि कहीं ग्रामीण परिवेश के मेजबान के हाथ लाटरी न लग जाए। बताते हैं कि सीएम ने मेजबान की गुहार को लेकर खास संकेत नहीं दिया, अलबत्ता प्रवचनकर्ता के हाथों अपनी नैया पार होने की मेजबान को पूरा भरोसा है।

भाजपा सदस्यता और बैस !!

भाजपा का सदस्यता अभियान शुरू हो रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी दिल्ली में पार्टी की सदस्यता का नवीनीकरण कराएंगे। इससे परे सभी प्रदेशों में पार्टी के नेता भी अपनी सदस्यता का नवीनीकरण कराएंगे।  छत्तीसगढ़ में भी सीएम विष्णुदेव साय, और सरकार के मंत्री व प्रमुख नेता तीन सितंबर को पार्टी की सदस्यता लेंगे। 

छत्तीसगढ़ में पूर्व राज्यपाल रमेश बैस पर नजर है। यह अभी साफ नहीं है कि बैस पार्टी की सदस्यता लेंगे अथवा नहीं। पिछले दिनों दिल्ली में बैस की पीएम मोदी, और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हो चुकी है। हालांकि शाह पिछले दिनों रायपुर में तीन दिन रूके तो रमेश बैस से मुलाकात नहीं हो पाई। 

बताते हैं कि शाह के स्वागत के लिए बैस का नाम सूची में था, लेकिन पास उन तक नहीं पहुंच पाया। इसलिए वो स्वागत के लिए नहीं  जा पाए। सात बार के सांसद बैस की पार्टी क्या कुछ उपयोग करेगी, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

जिम्मा बृजमोहन पर ही होगा?

सांसद बृजमोहन अग्रवाल की विधानसभा सीट रायपुर दक्षिण पर कब्जा बरकरार रखने के लिए भाजपा एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। उपचुनाव के तारीख की घोषणा भले ही नहीं हुई है, लेकिन संगठन ने प्रभारी नियुक्त करना शुरू कर दिया है। 
वैसे तो प्रदेश उपाध्यक्ष शिवरतन शर्मा, और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को चुनाव का प्रभारी बनाया है, लेकिन प्रदेश संगठन ने वार्ड स्तर पर प्रभारी नियुक्त करना शुरू कर दिया है। सभी पार्षदों को उनके वार्ड का प्रभारी बनाया गया है, और हारे हुए प्रत्याशियों को उनके अपने वार्ड में जिम्मेदारी दी जा रही है।

प्रचार की कमान खुद बृजमोहन अग्रवाल संभालेंगे, और टिकट के दावेदार भी उनके दरवाजे मत्थे टेक रहे हैं। संगठन के रणनीतिकारों ने संकेत दिए हैं कि बृजमोहन की पसंद को ही तवज्जो दिया जा सकता है। यही वजह है कि दावेदार अपने समर्थकों के साथ उनसे मिल रहे हैं। विधानसभा उपचुनाव की घोषणा अगले कुछ दिनों में हो सकती है। इसके बाद चुनावी हलचल तेज होने के आसार हैं। 

टीकाकरण का विरोध

छत्तीसगढ़ के कोटा तहसील में मलेरिया से चार मौतें हाल ही में हुई। कहीं पर झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से यह नौबत आई थी तो कहीं सरकारी अस्पतालों में समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण। इसके बाद बिलासपुर कलेक्टर ने अस्पतालों की कॉम्बिंग चेकिंग कराई गई तो ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों से दर्जनों स्टाफ और डॉक्टर गायब पाए गए। कुछ लोगों का नोटिस दी गई, कुछ का वेतन काटा गया। अब इसी क्षेत्र में आंगनबाड़ी में टीकाकरण के बाद दो नवजातों की मौत हो गई और पांच शिशुओं की तबीयत खराब हो गई। ये टीके भविष्य में होने वाली बीमारियों से रोकथाम के लिए होती हैं। इस घटना का एक बुरा असर यह हुआ है कि अब टीका लगाने के लिए गांव पहुंचने वाले कार्यकर्ताओं का विरोध हो रहा है। माताओं को टीके के लिए समझाना मुश्किल हो गया है। वे मना कर रही हैं। जो होगा बाद में देख लेंगे। अभी तो अपने बच्चों की जान को खतरे में नहीं डालेंगे।

कोटा से लगे तखतपुर ब्लॉक में कुछ साल पहले नसबंदी कराने के बाद 13 महिलाओं की जान चली गई थी। इसके बाद पूरे प्रदेश में महिला नसबंदी पर असर पड़ा था। पुरुष नसबंदी का प्रतिशत तो कम रहता ही है। उस घटना के बाद कैंप लगाने और नसबंदी का लक्ष्य देने के सिलसिले पर रोक लग गई थी। जनसंख्या नियंत्रण के राष्ट्रीय कार्यक्रम को इस घटना से बड़ा नुकसान हुआ। दो शिशुओं की मौत के बाद टीकाकरण का विरोध यहां हो रहा है, मगर स्वास्थ्य विभाग को शायद इसकी परवाह नहीं है।

मोबाइल कैमरे के जमाने में...

हर हाथ में मोबाइल फोन होने से हर कोई फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी कर सकता है, लेकिन इस तस्वीर में मौजूद लोग दिखाते हैं कि असली फोटोग्राफी एक गंभीर और श्रमसाध्य कला है, जो तकनीकी कौशल और रचनात्मकता की मांग करती है। इसके लिए, दृष्टि, धैर्य और सही समय की गहरी समझ की आवश्यकता होती है। हर क्लिक के पीछे एक कहानी, एक अनुभव छिपा होता है, जिसे एक अनुभवी फोटोग्राफर ही समझ सकता है। जंगल सफारी रायपुर की यह तस्वीर पुरुषोत्तम सिंह ठाकुर ने सोशल मीडिया पर पोस्ट की है।

(rajpathjanpath@gmail.com)


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