राजपथ - जनपथ
देवेंद्र वर्मा का महत्व वहां समझा
छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रमुख सचिव रहे देवेन्द्र वर्मा को मध्यप्रदेश में बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें संसदीय सलाहकार बनाया गया है। देवेन्द्र वर्मा अपने अपार संपर्कों, और संसदीय ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
देवेन्द्र वर्मा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेमप्रकाश पाण्डेय, और बृजमोहन अग्रवाल जैसे दिग्गजों से घनिष्ठता रही है। और जब गौरीशंकर अग्रवाल विधानसभा के अध्यक्ष बने, तो उन्हें प्रमुख सचिव पद पर फिर से एक्सटेंशन देने की बात आई, लेकिन गौरीशंकर अग्रवाल राजी नहीं हुए।
हालांकि देवेन्द्र वर्मा को अध्यक्ष का सलाहकार पद की पेशकश की गई थी। लेकिन देवेन्द्र वर्मा तैयार नहीं हुए। इसके बाद भोपाल शिफ्ट हो गए। मध्यप्रदेश में नरेन्द्र सिंह तोमर के विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद देवेन्द्र वर्मा को अहम जिम्मेदारी मिलने की चर्चा रही। देवेन्द्र वर्मा का मध्य प्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से घरोबा है। साथ ही सीएम मोहन यादव से भी अच्छे रिश्ते हैं। तमाम समीकरण उनके अनुकूल थे। इस वजह से उन्हें संसदीय सलाहकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
यहां भी होंगे सलाहकार?
छत्तीसगढ़ में भी संसदीय सलाहकार की नियुक्ति की चर्चा है। रमन सिंह सरकार के पहले कार्यकाल में मध्यप्रदेश विधानसभा के अफसर अशोक चतुर्वेदी को संसदीय सलाहकार बनाया गया था। इसके बाद वे लगातार पद पर बने रहे।
भूपेश सरकार ने अपने करीबी राजेश तिवारी को संसदीय सलाहकार बनाया था। साय सरकार ने अब तक किसी की नियुक्ति नहीं की, लेकिन कई नाम चर्चा में हैं। कुछ लोगों ने फिर चतुर्वेदी का नाम सुझाया है। इससे परे डॉ. सत्येन्द्र तिवारी के नाम की चर्चा है।
डॉ. तिवारी छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव रहे हैं, और संसदीय विषयों पर उनकी गहरी पकड़ है। वर्तमान में प्रशासन अकादमी में उनका लेक्चर होता है। इसी तरह डॉ. चंद्रशेखर गंगराडे के नाम की भी चर्चा है। देखना है कि साय सरकार किसे संसदीय सलाहकार बनाती है।
अच्छी साख वाले दो बढ़ेंगे
सरकार में जल्द ही एक प्रशासनिक फेरबदल हो सकता है। आईएएस के वर्ष-2005 बैच के अफसर रजत कुमार संभवत: अगले हफ्ते मंत्रालय में जॉइनिंग दे देंगे। इसी तरह पीएमओ में संयुक्त सचिव रहे आईएएस के वर्ष-03 बैच के अफसर डॉ. रोहित यादव भी हफ्ते-दस दिन में यहां जॉइनिंग दे रहे हैं।
दोनों अफसरों की वजह से प्रशासनिक फेरबदल होने की चर्चा है। रजत कुमार, रमन सिंह सरकार में सीएम सचिवालय में रहे हैं। वे कई अहम पदों पर काम कर चुके हैं। इसी तरह डॉ. रोहित यादव भी रायपुर, राजनांदगांव जिले के कलेक्टर रहे हैं। दोनों अफसरों की साख अच्छी है। लिहाजा, उन्हें अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
राज्यपाल की सक्रियता
राज्यपाल रमेन डेका ने कल बिलासपुर में अफसरों की बैठक ली और उसी तरह से अधिकारियों को निर्देश दिया जैसा मुख्यमंत्री, मंत्री देते हैं। उन्होंने स्वास्थ्य, किसान, अपराध से जुड़े मुद्दों पर कई सवाल-जवाब किए। बिलासपुर से पहले वे दुर्ग और महासमुंद में भी बैठक ले चुके हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसा माहौल नया है। राज्यपाल प्राय: अधिकारियों को सीधे निर्देश देने से बचते हैं। किसी विषय पर यदि उन्हें हस्तक्षेप जरूरी लगता है तो वे मुख्यमंत्री या मंत्रालय के अधिकारियों के माध्यम से अपनी बात रखते रहे हैं। जैसे पूर्व राज्यपाल अनुसूईया उइके ने सूपेबेड़ा का दौरा करके फैली किडनी की बीमारी को लेकर चिंता जताई थी। चूंकि राज्य में भाजपा की सरकार है और केंद्र की ओर से नियुक्त राज्यपाल से उनका कोई टकराव नहीं है, इसलिए उनकी सक्रियता को लेकर कोई सवाल नहीं उठ रहा है। पर, यदि केंद्र और राज्य में सरकार परस्पर विरोधी दलों की होती तो इसे दखलंदाजी करार दे दिया जाता और काफी हंगामा खड़ा हो जाता। अब तो इंतजार किया जाना चाहिए कि किस दिन वे मंत्रालय में ऐसी बैठक बुलाते हैं।
खूबसूरती सबका हक
इस तस्वीर में भैंस मानो अपनी बारी का इंतजार कर रही हो। शायद सोच रही है कि आज जरा मेकओवर करवा ही लिया जाए, आखिर खूबसूरती पर तो सबका हक है! अब देखना यह है कि इस पार्लर की खूबसूरती भैंस पर चढ़ती है या उसकी मासूमियत पार्लर पर भारी पड़ती है। (सोशल मीडिया से)
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