राजपथ - जनपथ

आनंददायक शैक्षणिक भ्रमण
रायपुर नगर निगम के पार्षदों ने हाल ही में साउथ इंडिया का एक अद्भुत ‘एजुकेशन टूर’ किया। मेयर, कांग्रेस और भाजपा के पार्षदों ने आपसी मतभेदों को ताक पर रखकर इस टूर में जमकर इंजॉय किया। आखिर, जब सीखने की बात हो तो राजनीति कहां आड़े आती है!
मैसूर और अन्य नगर निगमों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, और पेयजल आपूर्ति जैसे गंभीर विषयों पर ज्ञानवर्धन करने का दावा किया गया है। लेकिन, जैसे ही टूर का दूसरे चेहरा सोशल मीडिया पर चर्चा में अधिक है। पार्षदों के नृत्य संगीत के प्रेमी होने का पता चलता है। वे नाचते-गाते और मस्ती करते हुए दिख रहे हैं।
अब, जब नगर निगम का कार्यकाल खत्म होने वाला है और आचार संहिता का साया सिर पर मंडरा रहा है, तो क्या इस ‘शैक्षणिक’ अनुभव का कोई लाभ होगा? शायद नहीं। हाँ, एक बात जरूर रहेगी - पार्षद रहते हुए जनता के टैक्स के पैसों से एक यादगार यात्रा हो गई!
प्रदेश के अधिकांश नगर निगमों में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है, करोड़ों-अरबों का बिजली बिल बाकी है, और वित्तीय प्रबंधन की हालत पतली है। मगर इससे क्या फर्क पड़ता है !
जांच चलती ही जा रही है
लोकसभा, और विधानसभा चुनाव में हार के कारणों की रिपोर्ट सौंपने से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता वीरप्पा मोइली, और हरीश चौधरी ने प्रदेश के चुनिंदा नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक की। जिन नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया गया था उनमें नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, टीएस सिंहदेव, मोहन मरकाम, ताम्रध्वज साहू, और धनेंद्र साहू थे।
डॉ. महंत को छोडक़र बाकी नेताओं से मोइली, और चौधरी ने अलग-अलग चर्चा की। डॉ. महंत अमेरिका में थे इसलिए मोइली कमेटी की उनसे चर्चा नहीं हो पाई। हल्ला है कि हार के लिए बाकी नेताओं ने भूपेश बघेल को अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया है। चर्चा है कि भूपेश बघेल से कहा बताते हैं कि सरकार की लाभकारी योजनाओं के बारे में लोगों को ठीक से समझा नहीं पाए, और भाजपा सांप्रदायिक-जाति ध्रुवीकरण कर चुनाव जीतने में कामयाब हो गई। विधानसभा चुनाव में हार से कार्यकर्ता लोकसभा चुनाव में उबर नहीं पाए, और इसकी वजह से लोकसभा में भी हार का सामना करना पड़ा।
मोइली कमेटी से चर्चा के बाद भूपेश बघेल ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से भी मुलाकात की। छत्तीसगढ़ में हार पर मोइली कमेटी क्या सोचती है, इसका खुलासा आने वाले समय में पता चलेगा।
तिरंगा पकडऩा तो सिखा दो...
तिरंगा थामने का अधिकार तो हमें सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया था, मगर लगता है कि इसका राजनीतिक आंदोलनों, समारोहों में इस्तेमाल करते, कराते हैं वे भूल जाते हैं कि अधिकार देते समय कहा गया है कि इसके सम्मान में चूक नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर हर घर तिरंगा अभियान जोरों पर है। लोगों को तिरंगा पकडऩे का मौका मिल रहा है और वे इसे गर्व से फहरा भी रहे हैं। लेकिन महासमुंद की इस तस्वीर में, आगे चल रही महिला ने तिरंगे को उल्टा पकडक़र यह साबित कर दिया कि झंडा पकडऩे से पहले दिशा का ज्ञान होना भी जरूरी है। गौर करने वाली बात यह है कि पीछे चल रही दर्जनों महिलाओं में से किसी ने भी उल्टे तिरंगे पर ध्यान नहीं दिया। यह गलती नजऱअंदाज हो जाती, यदि यूथ कांग्रेस ने कलेक्टर को शिकायत नहीं किया होता। कार्रवाई होगी या नहीं पर अभी 15 अगस्त तक इस तरह के कई और किस्से सुनने को मिलने की पूरी आशंका है।
(rajpathjanpath@gmail.com)