राजपथ - जनपथ

दक्षिण की टिकट पश्चिम या उत्तर से
चार जून जैसे जैसे नजदीक आ रहा है रायपुर दक्षिण से नया विधायक कौन होगा इसकी चर्चाएं तेज हो गई है। उससे पहले प्रत्याशी कौन होगा,भाजपा कांग्रेस में यह संघर्ष तेज हो गया है। पहले भाजपा की बात कर ले- इसी कॉलम में हमने पहले बताया था कि दक्षिण से 45 दावेदार हैं। क्षेत्र के निवासी सभी 45 दावेदार इन दिनों रांची, झारसुगुड़ा, बरगढ़ ,संबलपुर, टिटलागढ़ में खूब पसीना बहा रहे। इन पर बड़े भाई साहब नजर रखे हुए हैं। इनमें से दक्षिण की टिकट पश्चिम ओडिशा संबलपुर में सक्रिय नेता को मिलती है या उत्तरी इलाके के झारसुगुड़ा के नेता को।
वैसे चर्चा यह भी है कि टिकट वीआईपी रोड स्थित अग्रवाल एन्क्लेव में से ही किसी को मिल जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। बात कांग्रेस की- यहां से दो दो पूर्व महापौर फिर सपने संजोए हुए हैं। एक तो इस बार श्रीमती जी के लिए भी प्रयासरत है। इसे लेकर वो नवंबर से जुगत बिठा रहे हैं। तो हाईकमान की बात मानकर लोकसभा में कूदे विकास भी अपनी दावेदारी कर सकते हैं। वैसे कवर्धा वाले भाईजान का भी नाम लिया जा रहा है। वीरेंद्र नगर, कवर्धा जाने से पहले वे कभी रायपुर ग्रामीण से हार चुके थे। शहर अध्यक्ष भी जुगाड़ू हैं।सिंधी बहुल सीट होने के कारण उत्तर से पराजित नेता भी दांव खेल सकते हैं या दरबार का कोई प्रत्याशी किसी दल से मिल जाए।
छत्तीसगढ़ की लपटें हरियाणा में !
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दो दर्जन भूतपूर्व पदाधिकारी हरियाणा के सिरसा में डेरा डाले हुए हैं। इनमें बिलासपुर के जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सिंह चौहान, पूर्व महापौर वाणी राव, पूर्व विधायक प्रमोद शर्मा, चंद्रशेखर शुक्ला व चौलेश्वर चंद्राकर सहित अन्य हैं। इन नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर सिरसा से कांग्रेस प्रत्याशी सैलजा के खिलाफ खूब आग उगला, और उन्हें छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार में हुए शराब-कोयला घोटाले का संरक्षक भी करार दिया।
सैलजा छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी रही हैं। ये सब नेता विधानसभा टिकट नहीं मिल पाने के कारण सैलजा से नाराज रहे हैं। और अब कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए हैं, तो भाजपा के रणनीतिकार नाराज भूतपूर्व कांग्रेसियों को कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ प्रचार में झोंक दे रहे हैं। इन सबके बीच सैलजा की स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है।
सैलजा केन्द्र की नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रही हैं। छत्तीसगढ़ के नेताओं के आरोपों का सिरसा के मतदाताओं पर क्या असर पड़ता है, यह तो नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल तो भूतपूर्व कांग्रेसी काफी सुर्खियां बटोर रहे हैं।
कब्जों का जिम्मेदार कौन ...
गास मेमोरियल खेल मैदान के लिए तो निगम नेता और एक समाज आमने सामने हैं। विवाद गहरा रहा है, लेकिन उस खेल मैदान पर हो रहे बेजा कब्जों के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या यह समाज को ओर साइकल स्टैंड के ठेके लिए लड़ रहे नेता को नजर नहीं आता। खेल मैदान पर अस्तबल, मकान और अन्य निर्माण कर यह नहीं बताया जा रहा कि शहर के बीचों बीच के इस मैदान पर कैसे लोगों की नीयत खराब है। ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। 27-28 साल पहले भी इस मैदान का कुछ लोगों ने सौदा किया था। तब समाज के युवाओं ने सडक़ की लड़ाई लडक़र उसे बचाया था। तब कोई खिलाड़ी क्यों सामने नहीं आया था? उसके बाद सालेम स्कूल की बाउंड्री से सटकर मिशन की जमीन पर भी कब्जा कर दुकाने खड़ी कर दी गई। और अब नजर गास मेमोरियल खेल मैदान पर है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग के जोखिम
ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग के जरिये लोगों को रोजाना लाखों रुपयों की चपत लग रही है। राजधानी रायपुर में बीते 15 दिन के भीतर निवेश कर भारी-भरकम मुनाफा कमाने का झांसा देकर आधा दर्जन लोगों से ठगी की गई है। सोशल मीडिया पेज, खासकर न्यूज पोर्टल, फेसबुक और यूट्यूब में शेयर ट्रेडिंग कर लाखों रुपये कमाकर देने का दावा करने वाले विज्ञापनों की भरमार है। इनमें से कितने वास्तविक हैं और कितने फर्जी- यह पता करना मुश्किल है। इन सोशल मीडिया साइट्स पर विज्ञापन डालना बेहद आसान है। रायपुर में हुई ऑनलाइन धोखाधड़ी की घटनाओं में हाल के दिनों में लोग 6 करोड़ रुपये से अधिक राशि गंवा चुके हैं। यह सामान्य सी समझ है कि कोई यह कहे कि 1 लाख रुपये का निवेश करने पर 15 दिनों में वह एक करोड़ का हो जाएगा, विश्वसनीय दावा हो नहीं सकता। पर हाल के ठगी के मामलों में ऐसे ही दावे कर ठगी की गई। हैरत की बात यह भी है कि जालसाजों के झांसे में आने वालों में सीए, प्रोफेसर, बैंक और मार्केटिंग से जुड़े लोग भी शामिल हैं, जिनसे ज्यादा सतर्कता की उम्मीद की जाती है।
मेहनतकश की जीवटता
मेहनतकश बोलता कम है और काम ज्यादा करता है। ठेला खींच रहे इस ग्रामीण का नाम रामअसीस है। सीधी सपाट सडक़ तक तो ठीक है पर कभी-कभी यह गड्ढे में भी फंस जाती है। तब इसे निकालना कठिन हो जाता है। छत्तीसगढ़ में इस तरह के ठेले कम दिखते हैं, पर ऐसी जीवटता जरूर दिखती है। यह तस्वीर मधुबनी की है, जिसे एक सोशल मीडिया यूजर ने पोस्ट की है।
नये कानून का किसे पता?
एक जुलाई से देशभर में लागू होने जा रहे नए कानून- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता को लेकर पुलिस विभाग मुस्तैद हो गया है। रेंज और जिला स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों को नई संहिता की जानकारी देने के लिए शिविर लगाए जा रहे हैं। सुधार के चलते उन्हें कई सहूलियतें मिल सकती हैं। कुछ में प्रावधान कड़े भी किए गए हैं। जैसे राजद्रोह का पुराना कानून रद्द कर दिया गया है अब सिर्फ देशद्रोह के मामले दर्ज किए जाएंगे। मगर, इसमें सजा पहले से कठोर कर दी गई है। अधिकतम 3 सालों में मुकदमों के निपटारे का लक्ष्य रखा गया है। एफआईआर और कोर्ट में चालान पेश करने का काम डिजिटल किया जा रहा है। किसी पर कोई मुकदमा चलता है तो वह यह कहकर नहीं छूट सकता कि उसे कानून की जानकारी नहीं। यह मानकर चला जाता है कि जो अपराध करता है उसे पता है कि उसने अपराध किया है। जिन आम लोगों पर सर्वाधिक असर होना है, वे आम लोग हैं। पर उन्हें इसकी जानकारी मिले, इसके लिए कोई अभियान नहीं चल रहा है।
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