राजपथ - जनपथ
चुनाव निपटने के बाद सक्रिय
टिकट कटने के बाद कांग्रेस के दर्जनभर विधायक पार्टी के भीतर अपनी उपयोगिता साबित करने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। कुछ तो वर्तमान में निगम-मंडल में हैं, और वो चाहते हैं कि सरकार रिपीट होने की दशा में उन्हें यथावत पद पर बने रहने दिया जाए। इनमें बृहस्पति सिंह भी हैं, जो सरगुजा विकास प्राधिकरण के प्रमुख हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है।
टिकट से वंचित बृहस्पति सिंह समेत अन्य विधायक इन दिनों रायपुर में हैं, और वो सीएम से मेल मुलाकात भी कर रहे हैं। पिछले दिनों इंडोर स्टेडियम में बड़ी स्क्रीन पर भारत-ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट मैच देखने की व्यवस्था की गई थी। बिलाईगढ़ के विधायक चंद्रदेव राय पार्टी के प्रमुख नेताओं को स्टेडियम में मैच देखने का न्योता देते नजर आए। टिकट कटने के बाद ये विधायक अपने क्षेत्र में भले ही सक्रिय नहीं थे, लेकिन चुनाव निपटने के बाद सक्रिय दिख रहे हैं।
पार्टी से बाहर का रास्ता
भाजपा में भीतरघातियों की सूची लंबी हो गई है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक भीतरघातियों की सूची तैयार की गई है। इनमें तो कई प्रभावशाली पदाधिकारी हैं। खुद प्रत्याशियों ने पार्टी संगठन को ये नाम सौंपे हैं।
पार्टी के रणनीतिकार फिलहाल शिकायतों की पड़ताल कर रहे हैं। चुनाव नतीजे आने के बाद तमाम शिकायतें पार्टी की अनुशासन समिति को भेजी जाएगी, और फिर नोटिस जारी किया जाएगा। चर्चा है कि एक दर्जन से अधिक नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। देखना है आगे क्या होता है।
ज्ञानियों की बात
नेता, प्रत्याशी और पत्रकार तीन दिसंबर को आने वाले नतीजों को लेकर एग्जिट पोल के संभावित रिजल्ट का इंतजार कर रहे है ताकि कुछ संकेत मिल सके। तो प्रदेश के ज्योतिषी ग्रह, नक्षत्र, राशि और चौघडिय़ा में उलझे हैं। इनकी चाल जो भी हो, ये ज्योतिष न भाजपा को नाराज करना चाहते हैं न कांग्रेस को। तो बस ग्रह चाल के विपरीत दोनों दलों को 50-50 देकर खुश करने लगे। एक चैनल ऐसे ही पांच ज्ञानी बैठे थे। एंकर हरेक से उनकी गणना पूछते गए और जवाब उपरोक्त ही मिलता रहा। अंत में एंकर ने यह कहकर चर्चा खत्म कि चुनाव कश्मकश भरा है।
इनमें से एक ज्ञानी के बारे में बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व धोनी की सेना ने विश्व कप जीता था। उस फाइनल मैच से पहले किसी ने इंडिया की प्लेइंग इलेवन के प्रदर्शन पर पूछा । पंडित जी ने कहा कि मैं कप्तान होता तो युवराज सिंह को बाहर कर देता। सहवाग पर कहा कि वे 20-20 में सेंचुरी बनाएगा। शाम को जब मैच खत्म हुआ तो स्कोर बोर्ड पर सहवाग के सिर्फ 9 रन थे और युवराज ने 70 रन बनाकर मैच जीता दिया।
आखिर बीएसएनएल ही काम आया
एक वक्त था जब बीएसएनएल की लैंडलाइन सुविधा लेने के लिए जनप्रतिनिधियों की सिफारिशी चि_ियां लगती थी। पर अब घरों दफ्तरों से बीएसएनएल फोन लगभग गायब हैं। उसकी जगह एयरटेल ने ले ली है। निजी कंपनियों के आक्रामक प्रचार और उन्हें मिले सरकारी प्रोत्साहन के बाद तो बीएसएनएल किसी प्रतिस्पर्धा में ही नहीं रह गया है। रिमोट इलाकों में कवरेज के लिए पहले लोग बीएसएनएल के सिम कार्ड को भरोसेमंद मानते थे, पर उसकी जगह भी अब जियो सिम ने ले ली है। लैंडलाइन में एयरटेल मीलों आगे निकल चुकी है तो मोबाइल सेवा में जियो और एयरटेल उसे बहुत पीछे छोड़ चुकी है।
मगर, आपदा के मौके पर बीएसएनएल ही फिर काम आया है। उत्तरकाशी की उस दुर्गम पहाड़ी सिलक्यारा पर बीएसएनएल ने लैंड लाइन सुविधा पहुंचा दी है, जहां सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंसे हैं। अब वे अपने शुभचिंतकों और परिवार के लोगों से सीधे बात कर रहे हैं। राहत कार्य में लगी टीम को भी इससे मदद मिल रही है, क्योंकि सुरंग के भीतर कोई भी मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा था। तीन साल पहले हुए इसी तरह का एक हादसा ऋषिगंगा-तपोवन बांध में हुआ था, तब वहां फंसे हुए मजदूरों के बीच भी बीएसएनएल ने लैंडलाइन फोन चालू किया । इसके कई मजदूरों को डूबने से बचाने में मदद मिली। सार्वजनिक और निजी उपक्रमों में सबसे बड़ा फर्क यही तो है कि एक अपने सामाजिक दायित्व को निभाने के दौरान नफा-नुकसान के बारे में नहीं सोचता, दूसरे की प्राथमिकता सिर्फ मुनाफे की होती है। अब ऐसे में क्या ‘भीतर से नहीं लगता’ कहकर बीएसएनएल की हंसी उड़ाई जानी चाहिए?
मोबाइल रिचार्ज कब तक वैध?
किसी भी ऑनलाइन सेवा में समय की गणना रेलवे टाइमिंग की तरह 24 घंटे में होती है। सभी तरह के ऑनलाइन भुगतान में भी यही होता है। यदि किसी भुगतान के लिए 10 तारीख आखिरी दिन है तो उस रात 11.59 बजे तक ऑनलाइन पेमेंट किया जा सकता है। पर जियो के एक सिम धारक के पास मेसैज आया है कि उसका प्लान सुबह 10.46 मिनट पर समाप्त हो गया है। या तो यह सेवा 19 नवंबर की रात 11.59 बजे तक मिलनी चाहिए और यदि 20 तारीख तक वैध है तो फिर सुबह से खत्म कैसे किया जा सकता है? रात 11.59 तक सिम चालू रहना चाहिए। एक ग्राहक ने यह शिकायत सोशल मीडिया पर की है।
सदस्य नहीं फिर निष्कासित कैसे?
मतदान से मतगणना के बीच कांग्रेस, भाजपा दोनों में ही भितरघात और बगावत से निपटने-निपटाने का दौर चल रहा है। कांग्रेस ने कई पदाधिकारियों को नोटिस दी है, कुछ को निलंबित तो कुछ को निष्कासित कर दिया है। समीक्षा अब भी हो रही है। यह सिलसिला चुनाव परिणाम आने के बाद भी जारी रहने के आसार हैं। मगर, जगदलपुर में एक अजीब मामला हुआ है। उम्मीदवार के खिलाफ काम करने के आरोप में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुशील मौर्य ने दो पूर्व पार्टी पदाधिकारियों विक्रम शर्मा और महिला नेत्री कमल छज्ज को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया। निष्कासन की प्रेस नोट जारी कर दी गई। अब इन दोनों पूर्व पदाधिकारियों का कहना है कि वे तो कांग्रेस के प्राथमिक सदस्य भी नहीं, फिर निष्कासन किस आधार पर किया गया, यह हमारा अपमान है। दोनों ने अध्यक्ष को पत्र लिखकर जवाब मांगा है। महिला नेत्री ने तो वकील के जरिये भी नोटिस भेजकर माफी मांगने अथवा कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार रहने कहा है। (rajpathjanpath@gmail.com)