राजपथ - जनपथ

झुलसने से कहीं नहीं बचेंगे
देश के कई दूसरे हिस्सों की तरह छत्तीसगढ़ में भी भीषण गर्मी पड़ रही है। यदि आप राजधानी रायपुर, जिसका तापमान आज दोपहर 3 बजे 41 डिग्री सेल्सियस था, उससे बचने के लिए छत्तीसगढ़ के किसी हिल स्टेशन में जाना चाहते हों तो बमुश्किल पांच-छह डिग्री की राहत ही मिलेगी। आज दोपहर में कुछ प्रमुख हिल स्टेशन और वन आच्छादित इलाकों का तापमान इतना है- मैनपाट 36 डिग्री सेल्सियस, चिल्फी 37 डिग्री, चिरमिरी 38 डिग्री, बैलाडीला 34 डिग्री, कांकेर 37 डिग्री, अंबिकापुर 38 डिग्री, पेंड्रारोड भी 38 डिग्री सेल्सियस, जगदलपुर का भी इतना ही यानि 38 डिग्री सेल्सियस तापमान है। मैनपाट, चिरमिरी, बैलाडीला, कांकेर आदि में ठंड के दिनों में तापमान दहाई अंकों से नीचे चला जाता है। मैनपाट और चिल्फी घाटी में ठंड पर 3-4 डिग्री सेल्सियस तापमान हो जाता है और बर्फ की चादर भी जमीन पर बिछी दिखाई देती है। पर धीरे-धीरे औसत तापमान बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग गर्मियों में छत्तीसगढ़ से बाहर अमरकंटक जाना चाहते हों तो वहां का भी तापमान 35 डिग्री सेल्सियस दोपहर में पहुंच रहा है। छत्तीसगढ़ के 40 फीसदी इलाके को वनों से आच्छादित बताया जाता है इसलिये वैसे तो पूरे प्रदेश को ही ठंडा होना चाहिए, पर रायपुर और चांपा देश के सर्वाधिक तापमान वाले शहरों में शामिल हो चुके हैं। तीन साल पहले तो यहां का तापमान कुछ देर के लिए 49 डिग्री सेल्सियस तक चला गया था। अब शहरों और जंगलों के बीच तापमान का फासला ही घटता चला जा रहा है। तिब्बती शरणार्थियों के लिए मैनपाट को इसीलिये चुना गया था कि यह देश के सबसे ठंडे इलाकों में से एक माना जाता है। लोग गर्मियों से राहत पाने यहां पहुंचते हैं, पर यह जानकारी दिलचस्प हो सकती है कि मैनपाट में रहने वाले कुछ तिब्बती परिवार खुद गर्मी से राहत पाने के लिए नार्थ ईस्ट भ्रमण पर निकल गए हैं।
पटवारी के बगैर काम चल जाए तो?
एक महीने से अधिक लंबी पटवारी हड़ताल खत्म हो गई। पदाधिकारियों ने कहा कि आम जनता की तकलीफ को देखते हुए वे लौटे। मगर दूसरी ओर सरकार ने एस्मा लगाने के साथ कुछ ऐसी व्यवस्था कर दी थी कि पटवारियों के बिना भी लोगों के काम हो जाएं। उनके बहुत से अधिकार तहसीलदारों को दे दिए गए। ज्यादातर रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध हैं, उसी के मुताबिक फैसला लेने कहा गया। पटवारियों की आईडी ब्लॉक कर दी गई। सबसे ज्यादा परेशानी छात्रों, युवाओं को जाति, निवास, आमदनी प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर हो रही थी। सरकार ने इसका भी अधिकार राजस्व निरीक्षकों और तहसीलदारों को दे दिया और कहा कि आवेदकों से कोई भी ऐसा दस्तावेज नहीं मांगा जाए जिसके लिए उन्हें पटवारी की जरूरत पड़े। कुल मिलाकर सरकार ने ऐसा बंदोबस्त कर दिया था कि पटवारी हड़ताल चाहे जितनी लंबी खिंचे राजस्व विभाग के काम ना अटकें। तब पटवारी नेताओं को लगने लगा कि जब उनके बगैर काम निपटने लगेंगे तो उनकी कोई पूछ-परख ही नहीं रह जाएगी। एस्मा लगने के बाद तनख्वाह भी कटेगी और निलंबन, बर्खास्तगी की फाइल भी चलने लगेगी। वैसे पटवारियों के पीछे चक्कर लगाने से परेशान लोगों को सरकार का वह फैसला ठीक ही लग रहा था जिसमें उनके अधिकार छीन लिए गए थे। खुद राजस्व सचिव एनएन एक्का ने अपना अनुभव बताया कि छात्र जीवन में उन्हें कई किलोमीटर साइकिल चलाकर अंबिकापुर पहुंचना पड़ा। कई-कई बार, तब जाति प्रमाण पत्र बन सका।
दूसरी तरफ, सरकार ने उनकी दो मांगें मान ली हैं, एक तो बिना विभागीय जांच के उनके खिलाफ एफआईआर नहीं होगी, जो एक बड़ी राहत है। इसके अलावा वेतन में संशोधन की बात भी मान ली गई है। मुख्यालय में रहने से छूट देने की मांग नहीं मानी गई। वैसे बिना छूट लिए भी पटवारी ज्यादातर तैनाती गांवों में रुकने के बजाय शहरों में रहते हैं। लोगों की परेशानी का उनका गायब रहना भी एक बड़ा कारण है।
सूर्या के आने से पहले
छत्तीसगढ़ पीएससी भर्ती में हुई कथित गड़बड़ी और घोटाले के खिलाफ भारतीय जनता युवा मोर्चा ने 19 जून को मुख्यमंत्री निवास घेराव का कार्यक्रम बनाया है। इसमें मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद तेजस्वी सूर्या भी आने वाले हैं। पिछले साल अगस्त में भी मुख्यमंत्री निवास के घेराव के लिए सूर्या रायपुर आए थे। तब बेरिकेड्स टूटे थे, कुछ पुलिस कर्मियों ने बताया था कि उन पर हमला भी हुआ। कुछ नेता कुछ घंटों के लिए गिरफ्तार भी किए गए थे। लगता है कि इस बार सरकार सोमवार को होने वाले प्रदर्शन को लेकर कुछ अधिक ही सतर्क है। पीएससी संग्राम नाम से मुख्य मार्गों पर लगाए गए पोस्टर बैनर नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी दस्ते ने उखाड़ दिए और गाड़ी में भरकर ले गए। (rajpathjanpath@gmail.com)