राजपथ - जनपथ

फटा पोस्टर, निकला पार्टी का ही कोई ?
विधानसभा चुनाव में अभी पांच माह बाकी हैं, लेकिन भाजपा में टिकट के दावेदारों में जंग छिड़ गई है। दावेदार एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। रायपुर शहर से सटे धरसींवा विधानसभा में पोस्टर फाडऩे की घटना को इसी से जोडक़र देखा जा रहा है।
हुआ यूं कि प्रधानमंत्री की योजना के प्रचार-प्रसार, और उपलब्धियों को लेकर दावेदारों ने पोस्टर लगाए थे। धरसींवा में टिकट के लिए आधा दर्जन से अधिक दावेदार मशक्कत कर रहे हैं। आर्थिक रूप से सक्षम इन दावेदारों ने विधानसभा मार्ग से लेकर अन्य जगहों पर पोस्टर लगवाए, लेकिन एक-दो दिनों बाद एक को छोडक़र बाकी दावेदारों के पोस्टर फटे पाए गए।
इसकी शिकायत भाजपा के प्रमुख पदाधिकारी ने थाने में भी की है। पार्टी के नेता उस दावेदार पर शक जता रहे हैं, जिसके पोस्टर सही सलामत हैं। कुछ इसी तरह का अंदाजा पुलिस भी लगा रही है। मगर कार्रवाई मुश्किल है। वजह यह है कि पोस्टर फाडऩे की घटना के प्रमाण नहीं है। शिकायत भी नामजद नहीं है। लेकिन इससे भाजपा में अंदरूनी लड़ाई और तेज हो गई है।
दारू के साथ रेत का चखना !
खबर है कि कोल-परिवहन शराब के बाद ईडी अब रेत कारोबार की पड़ताल में जुट गई है। कहा जा रहा है कि शराब ठेकेदारों ने रिंग बनाकर ऑन लाइन फार्म भरे, और खदानें भी हासिल कर ली। पहली नजर में तो प्रक्रियागत त्रुटि नहीं है। क्योंकि सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हुई थी। मगर पहले ही जांच से घिरे शराब ठेकेदारों के रेत कारोबार की पड़ताल हो रही है। चर्चा है कि पिछले दिनों एक कारोबारी से सिर्फ रेत को लेकर भी पूछताछ हुई है। कुछ लोगों का अंदाजा है कि जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।
हालांकि अब तक के छापे में क्या कुछ मिला, ये तो ईडी बता नहीं पाई है। ईडी की कार्रवाई के खिलाफ कई पीडि़त कोर्ट भी गए थे। ये अलग बात है कि किसी को राहत नहीं मिल पाई। सीएम से भी आबकारी अफसर ईडी की शिकायत कर चुके हैं। कुल मिलाकर हालात यह है कि गिरफ्तारियां हुई, तो प्रतिक्रिया भी उसी तरह की होगी। अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में तापमान बढऩे के साथ-साथ राजनीतिक पारा भी चढ़ा रहेगा।
बालक बजरंगी क्या बोल रहा?
सआदत हसन मंटो ने कभी कहा था कि मजहब जब दिलों से निकलकर दिमाग पर चढ़ जाए तो वह जहर बन जाता है। और जब यह जहर बच्चों के दिमाग में आ जाए तो वह और भी खतरनाक है।
इस बच्चे के हाथ में एक ध्वज है। किसी जुलूस में शामिल है। जब इससे कहा गया कोई नारा लगाओ, उसने पूछा क्या नारा लगाऊं? बोला गया –जय श्री राम बोलो...। बच्चे ने जय श्री...तक कहा, फिर रुक गया। क्या दिमाग में आया, उसने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर एक बेहूदे गाली का नारा लगाया, और फिर आगे बढ़ गया। खुद मुख्यमंत्री ने इस वीडियो को अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है। उन्होंने लिखा है- भगवान राम का नाम लेने से परहेज कर रहा ये बच्चा मुझे गाली दे रहा है। यह बजरंग दल का सदस्य है। धर्म की आड़ में इन लोगों ने हमारे बच्चों को क्या बना दिया है देखिए। मैं इस बच्चे के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं। ईश्वर सभी बच्चों को हनुमान जी की तरह ज्ञानवान और बलवान बनाए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा आज बजरंग दल को जिस तरह बजरंगबली से जोड़ रहे हैं, उसकी हकीकत सामने है।
दुरुस्त हाईवे पर दुर्घटनाएं...
बालोद के पुरूर और चारामा के बीच बीती रात हुई सडक़ दुर्घटना में 11 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इनमें महिलाएं और बच्चे भी हैं। प्राय: सभी एक ही परिवार के थे। बीते फरवरी 23 तारीख को बलौदाबाजार जिले में ट्रक और पिकअप के बीच टक्कर हुई थी। इसमें भी 11 लोगों की मौत हो गई थी। मृतकों में चार बच्चे थे। 9 फरवरी को कांकेर जिले के कोकर में ट्रक से आटो रिक्शा की भिड़ंत हो गई थी। इसमें 7 बच्चों की मौत हो गई थी। रायपुर- बिलासपुर नेशनल हाईवे पर बीते नवंबर में एक खड़े ट्रक से कार टकराई थी, तीन की मौत हो गई। इनके अलावा भी दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें एक या दो लोगों की मृत्यु इस हाईवे पर हुई। कटघोरा अंबिकापुर रोड में साल भर के भीतर कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। बिलासपुर से पथर्रापाली के बीच लगभग बनाई जा चुकी सडक़ पर कुछ ऐसे ब्लैक स्पॉट हैं जिनमें लगातार सडक़ पर मौतें हो रही हैं। हाईकोर्ट में प्रदेश की खस्ता हाल सडक़ों पर सुनवाई हो रही है। इसमें न्याय मित्रों से रिपोर्ट भी ली जा रही है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश की कई खराब सडक़ों का जिक्र किया है वह तो अपनी जगह है, पर जो ठीक ठाक और चौड़ी सडक़ें बनी हैं उनमें हो रही दुर्घटनाओं का ब्यौरा भी दिया गया है। चालकों की लापरवाही, नशे में ड्राइविंग न हो तब भी हो रही हैं।
अधिकतर दुर्घटनाएं रात में हो रही हैं। नेशनल हाईवे ने सडक़ों को बना लिया पर गति को नियंत्रित रखने के लिए संकेतक नहीं, हाईवे पेट्रोलिंग लचर हैं। सामने से आ रही गाडिय़ों की रोशनी से बचने के लिए डिवाइडर पर पौधे नहीं लगाए गए हैं। ब्रेक डाउन खड़े भारी वाहनों को हटाया नहीं जाता, बिना रिफ्लेक्टर खड़े होते हैं। यह तस्वीर बेमेतरा-दुर्ग सडक़ की है। छोटी गाडिय़ों के साथ भारी गाडिय़ां चल रही हैं, दिन में तो टूटी रेलिंग दिख रही है लेकिन रात में गाड़ी नीचे गिरे इसका पूरा इंतजाम है।
टॉपर बिरहोर छात्रा का हाल
राष्ट्रपति की दत्तक संतान कही जाने वाली समूचे बिरहोर जाति की निर्मला पहली लडक़ी थी जिसने तीन साल पहले 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। उस दौरान कलेक्टर, मंत्री सबने निर्मला को बुलाकर सम्मानित किया। सीएम के हाथों से भी सम्मान कराया गया। एक जिला पंचायत सदस्य ने घोषणा की कि सिंहदेव फाउंडेशन से उसे नीट की तैयारी कराई जाएगी। निर्मला डॉक्टर बनना चाहती थी। उस वक्त दर्जनों लोगों की तस्वीर अलग-अलग खबरों के साथ छपीं, मदद के लिए हाथ बढ़ाने के वादे के साथ। इस वाहवाही और आश्वासन के बाद ऐसा लगा कि निर्मला का भविष्य उजला है, उसे आसमान छूने से कोई नहीं रोक सकता। पर स्वागत-सम्मान कुछ ही दिनों का था। उसके बहाने अपना प्रचार करने के बाद सब उसे भूल गए। सरकार ने जरूर योजना के मुताबिक 2 लाख रुपये देकर उसे प्रोत्साहित किया। लडक़ी का परिवार बेहद गरीब है। उसने ये रुपये घर बनाने के लिए अपनी मां को दे दिया। आगे निर्मला की पढ़ाई छूट गई। बड़ी बड़ी बातें करने वाले सामने नहीं आए। घर में खाली-खाली बैठी रह गई। ऊपर से घर बनाने व एक भाई की शादी में परिवार पर कर्ज चढ़ा था, जिसे लौटाने का दबाव था। निर्मला की एक सहेली जो बाहर काम करती है, निर्मला उसके साथ पुणे, महाराष्ट्र चली गई।
यहां पर यह ध्यान रखना जरूरी है कि छत्तीसगढ़ और झारखंड के इस सीमा पर मानव तस्करी एक बड़ी समस्या है। धोखे से युवक युवतियों को ले जाया जाता है और कैद कर लिया जाता है, तमाम तरह से शोषण होता है। हालांकि प्रशासन की मुस्तैदी से ऐसी घटनाएं कम हुई हैं, पर खत्म नहीं। इनसे घरों, होटलों और सेहत के लिए खतरनाक किस्म की फैक्ट्रियों में रखकर 14-16 घंटे काम लिया जाता है। इसलिए निर्मला कितनी बेहतर स्थिति में पुणे में होगी, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है। सीएम की घोषणा के अनुरूप 12वीं परीक्षा पास 142 विशेष संरक्षित जाति के युवाओं को सहायक शिक्षक बनाया गया है। इस सूची के मुताबिक निर्मला अकेली ही बिरहोर समुदाय से है, जिसे नियुक्ति दी गई है। शेष 141 पहाड़ी कोरवा हैं। नौकरी मिलने की खबर निर्मला की मां बिरसमणि को दी गई तो चौंक गईं। अब वह अपनी बेटी की सहेली को फोन लगा रही है तो फोन बंद मिल रहा है। साथ गए अन्य परिचितों के जरिये वह संपर्क कर जल्द से जल्द बेटी को वापस बुलाना चाहती है। उम्मीद कर सकते हैं, निर्मला जल्द लौटकर सरकारी नौकरी ज्वाइन कर लेगी। निर्मला तो सरकारी नौकरी मिल जाने के चलते लौट रही हैं, पर न जाने कितनी ही बच्चियां जो 12वीं पढ़ भी नहीं पाईं वे अपने करियर के किस मुकाम पर होंगी।
हेराफेरी मिली पर कार्रवाई नहीं
यह भाजपा सरकार के दौरान हुए चावल घोटाले के मुकाबले छोटा है पर ताजा-ताजा है। राशन दुकानों में स्टाक की गड़बड़ी को लेकर प्रदेशभर में जांच की गई थी। फूड विभाग ने जांच की तो 4900 राशन दुकानों के स्टाक में करीब 42 हजार टन चावल, गेहूं, शक्कर गायब मिला, जिसका मूल्य 260 करोड़ रुपये से अधिक है। इसकी एक बड़ी वजह यह सामने आई कि दुकानदारों की स्टोरेज क्षमता को नजरअंदाज कर चावल आवंटन किया जाता रहा। इसके चलते गोदाम तो भरे दिखाई देते थे लेकिन अतिरिक्त राशन सीधे राइस मिल या बाजार में चला जाता था। मार्च माह के आखिरी सप्ताह में प्राय: सभी जिलों की रिपोर्ट कलेक्टर व खाद्य संचालनालय में भेज दी गई, पर एक माह से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कार्रवाई का अता-पता नहीं है। प्रदेश में कुल 13 हजार 487 राशन दुकानें हैं। मतलब करीब 40 प्रतिशत दुकानों में गड़बड़ी थी। पर कार्रवाई की फाइल एक साथ सभी जिलों में दबी हुई है। क्या इतनी बड़ी संख्या में दुकानों पर कार्रवाई होने से राशन वितरण की व्यवस्था बिगडऩे का खतरा है? या फिर नुकसान की वसूली कर मामला समेटने की कोशिश हो रही है? यह भी गौर करने की बात है कि अधिकांश दुकान पूर्ववर्ती सरकार के दौरान आवंटित किए गए थे। इसलिए यदि विपक्ष ने इस घोटाले को मजबूती से नहीं उठाया है तो इसकी वजह समझी जा सकती है। (rajpathjanpath@gmail.com)