राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन झुलसेगा आदिवासियों की नाराजगी से?
12-Oct-2022 6:16 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कौन झुलसेगा आदिवासियों की नाराजगी से?

कौन झुलसेगा आदिवासियों की नाराजगी से?

आदिवासी आरक्षण का मुद्दा ठीक ऐसे वक्त में सुलगना शुरू हुआ है जब दोनों प्रमुख दल कांग्रेस, भाजपा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर चुके हैं। एक को अपना पिछला नतीजा दोहराने की तो दूसरे को खोई हुई सीटें वापस हासिल करने की चुनौती है। हाईकोर्ट के फैसले से होने वाले चुनावी असर का नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट में बड़े वकीलों की टीम इसे कांग्रेस की ओर से चुनौती देने जा रही है, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की बात भी हो रही है। भाजपा ने आंदोलन की लंबी रूपरेखा बना रही है। दोनों दलों के नेता कोर्ट में हार के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं।

आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने की मांग पर सन् 2011 में आंदोलन हुआ। उसके बाद 2012 में इस पर कानून लाया गया। भाजपा के पास 6 साल और कांग्रेस के पास 4 साल का वक्त था कि इस प्रावधान को कानून और संविधान की कसौटी पर मजबूत कर ले। अनुसूचित जिलों में केवल स्थानीय बेरोजगारों की भर्ती का प्रावधान भी कोर्ट ने रद्द किया है। यह फैसला सरकार ने इन जिलों में पांचवी अनुसूची लागू होने का हवाला देते हुए लिया था। अब हाईकोर्ट के फैसले को भाजपा अवसर के रूप में देख रही है। उसने चरणबद्ध आंदोलन शुरू कर दिया है। यह कहा जा रहा है कि जब तक वापस 32 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलेगा, वह संघर्ष करेगी।

वैसे हाल के कुछ ऐसे फैसले केंद्र और राज्य सरकार दोनों ने लिए हैं, जिन्हें लेकर आदिवासी वर्ग नाराज चल रहा है। पांचवी अनुसूची क्षेत्र की ग्राम सभाओं में पेसा कानून के तहत भूमि के आवंटन का अधिकार ग्राम सभा को अब तक रहा है, जिसमें अब संशोधन कर उनकी भूमिका परामर्शदाता तक सीमित कर दी गई है। केंद्र सरकार ने वन संरक्षण कानून 2022 के जरिये वन क्षेत्रों में गतिविधियां शुरू करने के लिए स्थानीय लोगों की अनुमति लेने की बाध्यता खत्म कर दी है।

मतदाता चाहे कांग्रेस, भाजपा दोनों से नाराज हों पर उनके पास तीसरा विकल्प तो है नहीं। मगर एक खास तथ्य यह है कि बस्तर का कोंडागांव ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जहां सन् 2018 में सर्वाधिक करीब 10 हजार वोट पड़े। इसके सहित बस्तर की तीन सीटें ऐसी थीं, जिसमें नोटा में पड़े वोटों की वजह से बाजी पलट गई। इनमें तत्कालीन मंत्री  केदार कश्यप की सीट भी शामिल थी। यह भी उल्लेखनीय है कि बीते दो विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक नोटा वोट छत्तीसगढ़ में डाले गए। सन् 2013 में तीन प्रतिशत और 2018 में दो प्रतिशत। पर नोटा में वोट डालने के बाद भी जीत कांग्रेस या भाजपा के ही किसी उम्मीदवार की होगी।

कार्रवाई तो हो रही है...

खराब सडक़ों को लेकर सीएम की लगातार फटकार का असर जमीन पर दिखाई देना लगा है। यह नहीं कि सडक़ तेजी से बनने लगे, बल्कि यह हुआ कि विपक्ष ने इसे हाथों हाथ लिया है और अफसर अपने से नीचे के अधिकारियों पर एक्शन ले रहे हैं। रायगढ़ की खराब सडक़ों को लेकर भाजपा नेता और पूर्व आईएएस अधिकारी ओपी चौधरी पदयात्रा पर निकल गए हैं। तत्काल इसका नतीजा निकला, कलेक्टर रानू साह ने पीडब्ल्यूडी के ईई को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। सीएम की नाराजगी और बीजेपी के सडक़ पर आने के बाद ही पता चला कि रायगढ़-धरमजयगढ़ सडक़ के लिए साल भर पहले टेंडर हो चुका है, कुछ अन्य जर्जर सडक़ों की मरम्मत के लिए वर्क आर्डर निकल चुके हैं पर काम अब तक पूरा नहीं हुआ है। नोटिस वगैरह जारी करते रहना चाहिए, ऊपर पूछा जाए तो जवाब देते बनता है। 

पहली महिला बाइक मैकेनिक

कुछ कामों में सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व होना चाहिए, इस धारणा को बस्तर की हेमवती नाग ने तोड़ा है। इन्हें जिले की पहली महिला मैकेनिक के रूप में जाना जा रहा है। वह दूसरे मैकेनिकों की तरह दोपहिया गाडिय़ों की मरम्मत कर लेती हैं, पंचर बना लेती हैं। उनके पति भी मैकेनिक हैं। उन्होंने ही गाडिय़ां को सुधारना सिखाया। दोनों के दो बच्चे हैं। सिर्फ आठवीं पास हेमवती कहती हैं कि शुरू में आर्थिक तंगी की वजह से यह काम उसे सीखना पड़ा, तब यह काम अजीब और कठिन लगता था, पर अब आनंद आता है।

धान बेचने की जल्दी नहीं...

मॉनसून के लौट जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस बार अच्छी बारिश के चलते धान की बंपर पैदावार होने का अनुमान लगाया है। समर्थन मूल्य पर खरीदी का लक्ष्य भी बढ़ाकर 110 लाख टन कर दिया गया है। पर बारिश के चलते फसल सूख नहीं पा रही है। धान खरीदी शुरू 1 नवंबर से शुरू होती है। किसानों को पिछले वर्षों में शिकायत रहती थी खरीदी देर से शुरू की जा रही है, पर इस बार स्थिति दूसरी है। कटाई शुरू कर भी दी जाए तो नमी का रोड़ा बना रहेगा। धान सूखने पर ही सोसाइटी में बेचने के लिए ले जाया जा सकेगा। अब यदि बारिश नहीं रुकी तो धान को नुकसान भी होने लगेगा। अगस्त के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक हुई बारिश ने सब्जियों को, खासकर टमाटर जैसे नाजुक फसलों को काफी क्षति पहुंच ही चुका है। धान खरीदी के काम में लगे अधिकारियों को इस बार तैयारी के लिए ज्यादा वक्त मिल गया है।

श्री से पहले जवाहर का हाल देख लें...

सन् 2016 में छत्तीसगढ़ के तब बन चुके नए जिलों में 11 जवाहर नवोदय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया। नवोदय विद्यालय प्रतिभावान छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा देने का माध्यम है, जो महंगी फीस वाले स्कूलों में दाखिला नहीं पाते। छठवीं से 12वीं तक की मुफ्त शिक्षा, आवास के साथ दी जाती है। सन् 2016 में छत्तीसगढ़ के नए जिलों में 11 नवोदय विद्यालय खोलने का निर्णय लिया गया था। 6 साल होने को हैं, ये स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी से जूझ रहे हैं। गरियाबंद जिले के पांडुका के नवोदय स्कूल को लेकर जो निर्णय लिया गया है वह हास्यास्पद है। यहां छठवीं कक्षा में दाखिले के लिए 80 छात्रों की सूची जारी की गई, लेकिन टॉप 40 को ही एडमिशन दिया गया, 40 छोड़ दिए गए। इससे भी बड़ा और अजीबोगरीब निर्णय यह लिया गया कि सुविधाएं नहीं होने का हवाला देते हुए 11वीं के छात्रों को करीब 250 किलोमीटर दूर नारायणपुर में शिफ्ट कर दिया गया। वे किसी तरह इतनी दूर जाकर पढऩे के लिए तैयार भी हो गए तो वहां भी समस्या जस की तस है। नारायणपुर में भी विद्यालय का अपना भवन नहीं, किराये की बिल्डिंग में चल रहा है। जगह की कमी है, जमीन पर सोना पड़ रहा है। भोजन ठीक नहीं मिल रहा है। पांडुका के छात्र-छात्राओं ने सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है।

गौरतलब यह है कि हाल ही में पीएम श्री योजना के तहत इसी तरह के 14 हजार 500 स्कूल खोलने की प्रधानमंत्री ने घोषणा की है, जिसके लिए 27 हजार करोड़ से अधिक बजट रखने की बात की गई है। छत्तीसगढ़ में 146 स्कूलों को इस योजना से अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है। बच्चों की शिक्षा को लेकर सरकार चिंतित है तो पहले नवोदय विद्यालयों (जवाहर शब्द वेबसाइट और पत्राचार में आजकल नहीं दिखाई दे रहे) को सुधारने के लिए फंड क्यों नहीं देती? शायद तब हेडलाइन के लायक खबर नहीं बनती।


अन्य पोस्ट