राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ट्रेन नहीं, यात्री नहीं फिर वसूली कैसे?
05-Sep-2022 5:18 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ट्रेन नहीं, यात्री नहीं फिर वसूली कैसे?

ट्रेन नहीं, यात्री नहीं फिर वसूली कैसे?

यात्री ट्रेन नियमित और समय पर चलें, उनमें भीड़ हों तो रेलवे से जुड़ा हर व्यवसाय फलता-फूलता है। पर इस वक्त तो इन्हें लगातार कैंसिल करने का ही सिलसिला चल रहा है। 62 ट्रेनों को पिछले माह के आखिरी सप्ताह में रद्द किया गया था, जिनमें से ज्यादातर अभी पटरी पर आई नहीं हैं। इधर एक आदेश रविवार को फिर निकाला गया, जिसमें 10 तो रद्द रहेंगी, कई बदले रास्ते से चलेंगी, आधे मार्ग से लौटेंगी, देर से छूटेंगीं। यात्री ट्रेनों की भारी लेटलतीफी से परेशान लोग यात्रा कैंसिल भी करने लगे हैं। ऐसे विपरीत समय में टिकट चेकिंग स्टाफ अलग तरह की परेशानी से जूझ रहा है। बिना टिकट, गलत टिकट, ज्यादा लगेज आदि से वे वसूली करते हैं। यह तो तब होता है जब ट्रेन और यात्रियों की रफ्तार बनी रहे। पर उन्हें अभी भी वसूली का टारगेट मिला हुआ है। एक टीटीई के मुताबिक रायपुर, बिलासपुर जैसे स्टेशनों के लिए प्लेटफॉर्म पर ड्यूटी करने वाले टीटीई को दो हजार रुपये प्रतिदिन और ट्रेनों में चलने वाले टीटीई को 5 हजार रुपये प्रतिदिन वसूली का टारगेट है। सामान्य दिनों में तो यह हो जाता था। कुछ अपना भी निकल आता था। पर अब तो नौबत अपने जेब से भरने की आ रही है। अधिकारी कोई रियायत नहीं बरत रहे हैं। वे कहते हैं अच्छे दिनों में तो खूब मजे किए, अब ये दौर आया है तो कुछ दिन इसे भी बर्दाश्त करो।

धर्म-कर्म से जुड़ता हसदेव आंदोलन

कुछ दिन पहले बेमेतरा के एक पर्यावरण प्रेमी ने अपनी शादी के निमंत्रण कार्ड पर हसदेव बचाने की अपील छपवाई थी। तखतपुर के एक जोड़े ने भी वरमाला के स्टेज से प्ले कार्ड प्रदर्शित किया था। इसमें लोगों से हसदेव अरण्य को बचाने की अपील गई थी।

हसदेव बचाने का अभियान अब धरना, प्रदर्शन, पदयात्रा से आगे जा चुका है। लोग सामाजिक, धार्मिक समारोहों में एकत्र होने वालों के बीच इस पर जागरूकता ला रहे हैं। इन दिनों डंगनिया रायपुर के बाजार चौक में गणपति पंडाल पर रखी गई मूर्ति वन उत्पादों की है। इसमें कौड़ी, मयूरपंख, बांस, हर्रा, महुआ, इमली बीज आदि का प्रयोग किया गया है। एक बड़ा सा पोस्टर भी बगल में रखा है, जिसमें बताया जा रहा है कि हसदेव अभयारण्य में अगर पेड़ों की कटाई हुई तो क्या हानि होने वाली है।

नाराजगी अभी खत्म नहीं हुई...

राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का वर्तमान कलेक्टर से अभी तालमेल बैठा हुआ है। सुखद है, दो माह हो गए कोई विवाद खड़ा नहीं हुआ है। इसलिये कि पिछले कलेक्टरों के साथ उनका अनुभव अच्छा नहीं रहा। इस बीच लगातार दो महिला अधिकारी यहां पदस्थ हुए। एक ने ढाई साल का लंबा कार्यकाल बिताया पर दूसरे के खिलाफ जब मंत्री ने खुलकर मोर्चा खोल दिया तो 11 माह बाद ही उनका जिला बदल दिया गया। पर इन मामलों को मंत्री जी ने रात गई, बात गई की तरह नहीं लिया है। पिछले दिनों प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने दोनों कलेक्टरों के बारे में वही बातें दोहराई जो सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं। यानि, भ्रष्ट, अनियमितता, विकास के काम में बाधा डालना.. करोड़ों रुपये वसूल कर चली गई। आदि, आदि। साथ में पत्रकारों के सामने उनकी ही बिरादरी को लपेट लिया। कहा- कुछ पत्रकारों को वह कलेक्टर (पहली या दूसरी पता नहीं) अपने चेंबर में बिठाकर रखती थी और उनसे मनचाही खबर तैयार कराती थीं। शायद मौजूदा कलेक्टर ने इन बातों पर खास तौर से गौर किया होगा। पुराने कलेक्टर की ओर से कराई गई जांच की फाइल न उलटें-पलटें- बस आगे क्या करना है, ध्यान लगाए रखें।


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