राजनांदगांव
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पीओपी निर्मित मूर्तियों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर मूर्तिकारों का बदला रूझान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 29 जुलाई। शहर के बड़े मूर्तिकारों ने त्यौहारी सीजन में मिट्टी से निर्मित प्रतिमा बनाने पर दिलचस्पी ले रहे हैं। प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) निर्मित मूर्तियों से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को स्थानीय मूर्तिकार बखूबी समझने लगे हैं।
अगले दो माह में गणेश पर्व, क्वांर नवरात्र समेत कुछ महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व का सिलसिला शुरू होगा। शहर में गणेश पर्व की एक अलग पहचान है। वहीं क्वांर नवरात्रि में पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके अलावा जन्माष्टमी, विश्वकर्मा और दीपावली में भी मूर्तियों की मांग होती है। पिछले कुछ सालों में पीओपी निर्मित मूर्तियों से शहर के सरोवरों की जलीय जंतु और पानी को जबर्दस्त नुकसान पहुंचा है। लगातार प्रशासन पीओपी की मूर्ति निर्माण पर पाबंदी बढ़ाई है। इस साल शहर में प्रतिष्ठित मूर्तिकारों ने मिट्टी से प्रतिमा तैयार करना शुरू किया है।
मोतीपुर के रहने वाले अनुभवी मूर्तिकार देवा रंगारी बताते हैं कि वह लगातार पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए मिट्टी की प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं। उनका मानना है कि पीओपी से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। इस बीच शहर के अलग-अलग इलाकों में पेशेवर मूर्तिकार गणेश की प्रतिमाओं को आकार दे रहे हैं। इस साल भी परंपरागत रूप से शहर में गणेशोत्सव की धूम रहेगी। अगस्त के आखिरी सप्ताह में गणेशोत्सव की शहर में धूम रहेगी।
झांकियों के लिए प्रख्यात शहर में गणेश उत्सव पर्व को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके बाद क्वांर नवरात्रि और दीपावली पर्व के लिए दुर्गा तथा लक्ष्मी माता की मूर्तियों के लिए मूर्तिकार एड़वांस बुकिंग कर रहे हैं। अगस्त से अक्टूबर तक कई धार्मिक आयोजनों के लिए मूर्तियों की अच्छी मांग है। हालांकि इस साल 15 से 20 फीसदी दाम बढऩे से मूर्ति के कारोबार में महंगाई का असर पड़ा है। बहरहाल शहर के मूर्तिकारों ने पीओपी निर्मित मूर्तियां बनाने से तौबा कर लिया है। तस्वीर /अभिषेक यादव