राजनांदगांव

पाम संडे पर चर्चों में किया प्रभु यीशु को याद
13-Apr-2025 5:31 PM
पाम संडे पर चर्चों में किया प्रभु यीशु को याद

खजूर दिवस में ईसा मसीह की गाथाओं पर विशेष व्याख्यान
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 अप्रैल।
प्रभु ईसा मसीह के क्रुसीफाईड वाले महीने में रविवार को खूजर दिवस के रूप में मनाते ईसाई धर्मावलंबियों ने गिरजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं की। पाम संडे पर चर्चों में खजूर की डालियों को लेकर समाज ने प्रभु यीशु को याद किया।  
खजूर रविवार की पास्टरों और फादरों ने विशेष व्याख्यान के जरिये धार्मिक महत्ता पर प्रकाश डाला। लोक मान्यता है कि प्रभु यीशु के इजराईल शहर पहुंचने पर खजूर की डालियों से स्वागत सत्कार किया गया था। इसी परंपरा के तहत आज के दिन को पाम (खूजर) दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रभु यीशु को याद करते हुए समुदाय के लोगों ने आज शहर के प्रमुख मार्गों में रैली निकालते जयघोष किया। इसके बाद चर्चों में विशेष प्रार्थनाएं की गई।

रविवार को पाम संडे यानी खजूर इतवार के खास मौके पर शहर के गिरिजघरों में समुदाय के लोग शामिल  हुए। चर्चो में प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की याद में ईस्टर पर्व से पहले पाम संडे पर होने वाली सामुहिक प्रार्थना के लिए लोग जुटे। प्रभु यीशु के दोबारा जीवित होने की अलौलिक घटना से पूर्व पाम संडे को मसीही समाज उत्साह के साथ मनाता है। धार्मिक मान्यता है कि इजराईल शहर में प्रभु ईसा मसीह के आगमन होने की खुशी पर लोगों ने खजूर की डालियां बिछाकर उनका भव्य स्वागत किया था।
प्रभु ईसा मसीह के जीवनकाल में हुए अदभुत घटनाओं पर प्रकाश डालते समुदाय के लोगों का कहना है कि यीशु मसीह एक गधी में सवार होकर इजराईल पहुंचे थे। प्रभु ईसा को शांति का राजकुमार माना जाता है। वहीं गधी को भी शांति का प्रतीक माना जाता है। खजूर की डालियां बिछाकर लोगों ने स्वागत किया था। वहीं पीसी जेम्स ने बताया कि पाम संडे के अवसर पर आज चर्चों में विशेष प्रार्थना हुई। चर्चों में समाज के लोग बड़ी संख्या में शामिल होकर प्रार्थनाएं की। इधर शहर के मेन्नोनाईट, वेसलियन, वाइडनियर और मार्थोमा चर्च में समुदाय के लोग पहुंचे।  


 

अगले रविवार को समाज मनाएगा ईस्टर पर्व
प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने की खुशी में समाज अगले रविवार 20 अप्रैल को ईस्टर पर्व मनाएगा। इससे पूर्व 18 अप्रैल को प्रभु यीशु को सूली में चढ़ाने की घटना को याद करते समाज गिरजाघरों में प्रार्थना करेंगा।  इस दिन को समाज शोक के रूप में शांतिपूर्वक आध्यात्मिक गाथाओं के जरिये प्रार्थनाएं और आराधना करता है। समाज के लोगों का कहना है कि प्रभु यीशु ने मानव कल्याण के लिए स्वयं को सूली में टांगने से परहेज नहीं किया। आज दुनिया उनके ही बताए मार्गों और आदर्शों का अनुशरण कर रही है। लोक मान्यता है कि गुड फ्राईडे के एक दिन बाद रविवार को प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुए थे। इस दिन को ईस्टर पर्व के रूप में मनाया जाता है। चर्चों में विशेष आराधनाएं होती है और घरों में समाज दावत करता है।


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