राजनांदगांव
रोजा रखकर घरों में महिलाएं भी कर रही पांच वक्त की नमाज के साथ अल्लाह की इबादत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 3 मार्च। अल्लाह की इबादत का महीना रमजान की शुरूआत हो गई है। मस्जिदों में पांच वक्त के नमाज की रस्म के लिए मुस्लिम समुदाय के बाशिंदे रोजा रखकर इबादत कर रहे हैं। शहर के मस्जिद रोजेदारों से गुलजार है। नमाज के लिए रोजेदार मस्जिदों में तय समय पर पहुंच रहे हैं।
शहर के जामा मस्जिद की कृत्रिम रौशनी से रमजान पर्व की खासियत का पता चल रहा है। वहीं शनिवार को चांद का दीदार होने के साथ ही रोजे रखने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस महीने में चांद के अनुसार 29 या 30 रोजे पूरे होते हैं। वहीं इस्लाम धर्म को मानने वाले अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजेदारों की इस इबादत का इनाम अल्लाह इस माह के रोजे पूरे होने पर इर्द के रूप में देता है।
रमजान का महीना शुरू होने के साथ ही मस्जिदों में तरावीह की विशेष नमाज भी पढ़ाई जा रही है। रमजान का महीना अल्लाह की रहमतों से भरा हुआ होता है। मुस्लिम समाज में रमजान के महीने में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोगों द्वारा रोजे रखे जाते हैं। इस दौरान सूर्यास्त से पहले सेहरी और सूर्यास्त के बाद इफ्तार किया जाता है। रमजान महीने का पहला रोजा रविवार को रखा गया।
मिली जानकारी के अनुसार इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान साल का 9वां महीना होता है। इस पूरे महीने रोजा रखना सिर्फ खाना-पीना छोड़ देने का नाम नहीं है। असली मकसद भूख और प्यास की तकलीफ को समझना है। रोजा सब्र और गलत चीजों से परहेजगारी भी सिखाता है। रमजान महीने में अल्लाह की इबादत के साथ ही जकात यानी दान का भी बड़ा महत्व है। ईद की नमाज से पहले जकात अदा कर दी जाती है। जकात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है। जिसमें अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा मुफलिसों और जरूरतमंदों को दान किया जाता है।
प्रेमभाव व अमन-शांति के लिए प्रेरित करता है रमजान
इस्लाम धर्म में रमजान एक बहुत ही पवित्र और विशेष महीना माना जाता है। जिसमें पूरे माह रोजा यानी व्रत रखा जाता है और अंत में रमजान की समाप्ति के बाद अगले माह शव्वाल की पहली तारीख को ईदुल-फितर का त्यौहार मनाया जाता है। रमजान का महीना कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें न केवल पूरे माह रोजा रखकर इबादत की जाती है, बल्कि पूरे माह दूसरों के प्रति नफरत, ईष्र्या, भेदभाव, द्वेष की भावना से दूर रहकर आपस में हर किसी के लिए प्रेम भाव, अमन-शांति के साथ रहते हुए हर किसी को गरीब, बेसहारा और आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की सहायता के लिए प्रोत्साहित करता है।
इस महीने में यह सीख आगे के जीवनकाल में खुद के प्रति अनुशासित रहने के साथ समाज के लिए नम्र और निष्ठावान रहने के लिए पे्ररित करता है। जिससे ऐसे संपन्न और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण हो, जिसमें हर व्यक्ति एक-दूसरे का आदर और सम्मान करें।


