राजनांदगांव
स्थानीय नेताओं की अनदेखी से कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी हार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 फरवरी। राजनांदगांव नगर निगम में भाजपा के हाथों करारी हार ने कांग्रेस की नींव हिलाकर रख दी है। अप्रत्याशित रूप से मिली बड़ी अंतर से हुई हार ने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं। निखिल द्विवेदी को टिकट दिए जाने के फैसले पर अब पार्टी के भीतर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं।
कांग्रेस को ऐसी शिकस्त की उम्मीद नहीं थी। भाजपा प्रत्याशी मधुसूदन यादव के सामने कांग्रेस उम्मीदवार निखिल द्विवेदी टिक नहीं पाए। बड़े अंतर से मिली शिकस्त से कांग्रेस चारो खाने चित्त हो गई है। इस बुरी हार के लिए कांग्रेस का एक धड़ा पूर्व सीएम भूपेश बघेल और गिरीश देवांगन की बढ़ती दखल को भी जिम्मेदार मान रहा है।
बघेल और देवांगन की पसंद पर ही निखिल द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया गया था। पिछले डेढ़ साल के भीतर कांग्रेस विधानसभा, लोकसभा के बाद निकाय चुनाव में अपना किला बचाने में नाकाम रही।
चर्चा है कि निकाय चुनाव में स्थानीय नेताओं की खुलकर अनदेखी की। पूछपरख नहीं होने पर प्रमुख नेताओं ने प्रचार से किनारा कर लिया। पिछले विस और लोस चुनाव में भी बाहरी नेताओं का बोलबाला रहा। बताया जाता है कि पूर्व सीएम बघेल के साथ देवांगन से स्थानीय कार्यकर्ताओं का जुड़ाव नहीं हो सका। बाहरी नेताओं की बढ़ती दखलदांजी से कार्यकर्ता एकजुट होने में असहज महसूस कर रहे हैं।
बघेल के सीएम रहने के दौरान राजनांदगांव से दूरी बनाए रखने को लेकर स्थानीय मतदाताओं का मन टूटा रहा है। देवांगन को विस चुनाव में सीधे प्रत्याशी बनाने के फैसले पर पार्टी के भीतर नाराजगी बढ़ी है। देवांगन लगातार स्थानीय कार्यक्रमों के जरिये अपनी मौजूदगी को बनाए हुए हैं। कांग्रेस का एक गुट भले ही दोनों की उपस्थिति की खिलाफत नहीं कर रहा, लेकिन अंदरूनी तौर पर स्थानीय नेताओं को तवज्जों मिलने से खफा भी है। राजनीतिक तौर पर द्विवेदी को मिली शिकस्त को बघेल और देवांगन की निजी हार से जोडक़र देखा जा रहा है।
बताया जाता है कि देवांगन ने स्थानीय राजनीति को अपने प्रभाव में रखा हुआ है। यही बात कार्यकर्ताओं और मतदाताओं को चूभ रही है। सियासी हल्के में इस बात की जोरों से चर्चा है कि स्थानीय नेताओं को आगे बढ़ाने में प्रदेश स्तर के नेताओं की दिलचस्पी नहीं है। कांग्रेस की नीति स्थानीय चेहरों को लेकर स्पष्ट नहीं है।
विस और लोस चुनाव में भी कांग्रेस बिखरी रही। यही हाल निकाय चुनाव में भी रहा। ऐसे में एकजुट होने के बगैर भविष्य में कांग्रेस को सफलता मिलना बिना नींव के इमारत बनाने जैसा होगा। बहरहाल राजनांदगंाव नगर निगम में बुरी हार ने कांग्रेस के मनोबल को चूर-चूर कर दिया है।



