रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 10 जनवरी। बदलते समय के साथ साथ ड्रोन का दायरा दिनों दिन व्यापक होता जा रहा है। एरियल फोटोग्राफी, मैपिंग, एग्रीकल्चर स्प्रे के अलावा वर्तमान में शादियों में दूल्हा-दुल्हन पर फूल बरसाने और रिंग सैरेमनी, जयमाल में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में डॉ.अरुणा राणा और उनके बेटे जयदीप व्यवसायिक रुप से न सिर्फ इस काम को कर रहे हैं वरन इसमें नई-नई तकनीक का प्रयोग कर इसकी उपयोगिता का विस्तार भी कर रहे हैं।
मिलेट्री में मानवरहित विमान की उपयोगिता पर शोध करने वाली राजधानी की डॉ. अरुणा राणा ने बताया कुछ साल पहले जब ड्रोन चलन में नहीं आया था। उस समय तकनीक के आधुनिक संयोजन से फिक्सिंग मॉडल से उन्होंने सार्वजनिक समारोहों में फूल बरसाने का काम किया था। वर्तमान में अपने बेटे जयदीप के साथ ड्रोन में नई तकनीक का ईजाद करके वह सार्वजनिक समारोहों में ड्रोन के जरिए फूल बरसाने से लेकर रिंग सैरेमनी में दूल्हा-दुल्हन तक रिंग पहुंचाने, जयमाल का काम भी कर रहे हैं।
डॉ. अरुणा कहती हैं आज से कुछ साल पहले तक ड्रोन का उपयोग एरियल फोटोग्राफी में किया जा रहा था लेकिन आज इसका दायरा बढ़ गया है। उपयोगिता के लिहाज से मोटर, बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोलर, क्लाइट कंट्रोलर, जीपीएफ का संयोजन कर हम ड्रोन असेंबल करते हैं। इन दिनों राजधानी में ड्रोन के जरिए मैपिंग भी की जा रही है। हमने हाल में इसके जरिए हॉकी स्टेडियम की मैपिंग भी की थी। वर्तमान में जबकि बड़े स्तर पर खेती की जा रही है ड्रोन के जरिए खेतों में कीटनाशक का स्प्रे भी किया जा रहा है। इस दिशा में हमारा प्रयास जारी हैऔर हमने इसके लिए छह मोटर के संयोजन से हमने हेक्जाकॉप्टर भी तैयार कर लिया है।