रायपुर
ट्रेवल कारोबारी की नजर में इंडिगो संकट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 दिसंबर। छत्तीसगढ़ के एक बड़े एयर ट्रैवल कारोबारी कीर्ति व्यास ने इंडिगो संकट पर एयरलाइन, डीजीसीए और केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय धज्जियां उधेड़ी हैं।
उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इंडिगो की मनमानी मुनाफाखोरी और सरकार की नाकामी को विस्तार से बताया कि ये कंपनियां किस तरह हवाई यात्रियों की लूट में लगी हैं। इस कारोबार में 4 दशकों का अनुभव रखने वाले व्यास ने साफ कहा कि सरकार का भी इन कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
उनका सोशल मीडिया पोस्ट यहां पढ़ें: पिछले सात -10 दिनों से हमारे देश में हवाई यात्रियों के ऊपर एक गाज गिर गई है और इंडिगो एयरलाइन की मनमानी कहें या डीजीसीए के नाकामी कहें, लेकिन इन दोनों की हरकतों के कारण बेचारा हवाई यात्री पूरा पैसा देने के बाद भी यात्रा नहीं कर पाया और लाचार नजऱ आया. कोई दूल्हा अपनी शादी में गंतव्य तक नहीं पहुंच पाया, कोई अपनी माँ की अंत्येष्टि में नहीं पहुँच सका, कोई अपने बीमार पिता को देखने नहीं पहुँच सका, किसी ने परिवार सहित 24 घंटे से भी ज़्यादा समय एयरपोर्ट में गुज़ारा. इन सभी बातों का एयरलाइन और डीजीसीए पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कुछ विदेशी हवाई यात्रियों ने तो ऐसा कड़वा अनुभव किया की , भविष्य में दोबारा हमारे देश में नहीं आने की बात कही।देश में एयरलाइन की मनमानी और सरकारी तंत्र दोनों ने मिलकर एवियेशन इंडस्ट्री को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।सबसे पहले ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस, उसके बाद एयर डेक्कन, जेट एयरवेज, गो एयर, किंग फिशर एयरलाइंस ने दम तोड़ दिया, स्पाइस एयर लगभग दम तोड़ चुकी है। दूसरे देशों में जैसे चाइना, अमेरिका, यूरोप, यूके ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेक्टर के लिये लगभग 40-50 से भी ज़्यादा एयरलाइन संचालित होती है. केवल चाइना में 200 से ज़्यादा एयरलाइन संचालित होती है।
ज़्यादा प्रतियोगिता होने से यात्रियों को किराया भी कम देना पड़ता है, लेकिन हमारे देश में फुल सर्विस एयरलाइन की अपेक्षा लो कास्ट एयरलाइन जैसे इंडिगो ने डिमांड एंड सप्लाई को देखते हुवे हवाई किराया निर्धारित होता रहता है. कुंभ के मेले में पूरे भारत से प्रयागराज जाने का एक साइड का किराया 35000 से 50,000 हज़ार था, तब भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था और आज भी पिछले सात दिनों से इंडिगो की फ्लाइट आयेगी या नहीं आयेगी कोई बताने वाला नहीं है और जो फ्लाइट आ रही है उसका किराया लगभग 5-7 गुना लिया जा रहा है।
इंडिगो ने हवाई यात्रियों को भी सेवर, एसएमई, एफएलईएसआई और कॉर्पोरेट श्रेणी में बांट दिया था, और केंसलेशन शुल्क भी एक वर्ष में चार बार बढ़ा दिया था. जो की 299 रूपिये से लेकर 3999 रूपिये तक है .इसके अतिरिक्त उड़ान के दौरान खाने के लिए, पीने के लिये, जहाज के अंदर अलग अलग सीट के लिए 300 से 2000 रूपिये तक चार्जेस लेना, एयर कार्गो के लिये एक एक लिफ़ाफ़े का 1500/-तक वसूलना, बैगेज के लिये निर्धारित मात्रा से एक किलो भी ऊपर होने पर 450/- प्रति किलो चार्ज वसूलना, खिलाडिय़ों की खेल सामग्री के लिये अलग से पैसा वसूलना, प्रायोरिटी चेक इन के लिये, फ़ास्ट फॉरवर्ड सुविधा के लिए अलग से पैसा वसूलना।
50 वर्षों में जितनी भी एयरलाइन संचालित की गई , उसमें सबसे ज़्यादा पैसा इंडिगो के द्वारा वसूला गया। सरकार के द्वारा भी किराए की अधिकतम सीमा तय नहीं की गई थी, जिसकी वजह से इंडिगो ने अपनी मनमानी जारी रखी, एडवांस परचेज अर्थात् अपैक्स किराया में भी यात्रियों को कोई रियायत नहीं दी गई, जबकि यात्रा करने के 6 माह पहले टिकिट बुक करने पर 50 फीसदी की छूट मिलनी चाहिये थी, ये सब आश्चर्यजनक किंतु सत्य है. जब तक सरकार जागेगी तब तक देश की भोली भाली जनता एयरलाइन का शिकार बनते रहेगी और हवाई यात्रियों को खामियाजा भुगतना पड़ेगा। डीजीसीए के नये एफडीटीएल नियम का देश की दूसरी एयरलाइन द्वारा पूर्णत: परिपालन किया जा रहा है. और डीजीसीए के द्वारा लेवल -1 का वॉयलेशन करने पर छोटे छोटे (एनएसओपी ) नॉन्सेड्यूल ऑपरेटर को 10 लाख रूपिये तक का शुल्क वसूला जाता है , किंतु यही लापरवाही एसओपी के द्वारा लगातार किये जाने के बावजूद डीजीसीए चुप बैठा था।
कल सरकार ने 1500किमी तक की यात्रा के लिए अधिकतम किराया 18000/- निर्धारित कर दिया, लेकिन यह नहीं बताया की फुल सर्विस एयरलाइन और लो कॉस्ट एयरलाइन दोनों के लिये यही किराया लागू होगा. ईतना कुछ होने के बाद ,अभी भी यात्रियों की भावना से खेला जा रहा है। जिन यात्रियों ने परिवार के साथ या दोस्तों के साथ टूर बुक किये थे, उनका होटल का किराया और घूमने के लिये टैक्सी का किराया तो डूब गया, उसके लिये कौन जिम्मेदार होगा।


