रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 अक्टूबर। स्कूल शिक्षा विभाग ने राज्यभर में शिक्षकों और विद्यालयों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्ण कर ली है। इस प्रक्रिया के तहत अतिशेष शिक्षकों का पदस्थापन जिला, संभाग और संचालनालय स्तर पर गठित समितियों के माध्यम से किया गया था। लेकिन अब विभाग के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है — कई शिक्षक पदस्थापना आदेश जारी होने के बाद भी अपने नए कार्यस्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय ने इस गंभीर लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया है कि शासन ने अब ऐसे शिक्षकों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुमति दे दी है। विभाग का कहना है कि इस तरह की ढिलाई प्रशासनिक अनुशासन का सीधा उल्लंघन है और इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
संचालनालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि संभागीय संयुक्त संचालकों द्वारा ऐसे शिक्षकों की सूची शासन को भेजी गई थी जिन्होंने अब तक कार्यभार नहीं ग्रहण किया है। इन शिक्षकों की पूरी जानकारी, गोशवारा सहित, शासन को उपलब्ध कराई गई है। इस पर विचारोपरांत शासन ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की सहमति प्रदान की है।अब विभाग इन शिक्षकों के विरुद्ध नियम 10(1) के तहत कार्रवाई प्रारंभ करेगा, जिसमें कारण बताओ नोटिस, वेतन रोकने और अंतत: निलंबन तक की कार्यवाही शामिल हो सकती है।
लोक शिक्षण संचालनालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि युक्तियुक्तकरण के बाद जारी पदस्थापना आदेश का पालन न करना न केवल प्रशासनिक उल्लंघन है, बल्कि यह छात्रों के हितों से भी खिलवाड़ है। विभाग ने कहा है कि यदि कोई शिक्षक अपने कार्यस्थल पर समय पर नहीं पहुंचता या आदेशों का पालन नहीं करता, तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री दोनों ही युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया को लेकर गंभीर हैं। विभाग का मानना है कि लंबे समय से कुछ शिक्षक अपने पसंदीदा स्थानों पर बने रहने के लिए आदेशों को अनदेखा कर रहे थे, जिससे विद्यालयों में शिक्षण व्यवस्था चरमरा गई थी। अब शासन इस व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरी तरह सख्त हो गया है।


