रायपुर

रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता खत्म होने से किसान असुरक्षित होंगे-बैज
18-Oct-2025 6:27 PM
रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता खत्म होने से किसान असुरक्षित होंगे-बैज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 18 अक्टूबर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कृषि भूमि की रजिस्ट्री के समय ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करने का सरकार का फैसला अदूरदर्शी है। ऋण पुस्तिका एक मात्र ऐसा दस्तावेज है जो राजस्व विभाग की तरफ से भू-स्वामी के अधिकार को प्रमाणित करता है। उन्होंने मीडिया से चर्चा में कहा कि बी-1 खसरा खतौनी सभी कुछ तो ऑनलाइन है कोई भी, कही से भी निकाल सकता है। ऋण पुस्तिका को किसान के लिए पटवारी बना कर देता है जो किसान, भू-स्वामी संभाल कर रखता है, यह उसके भूमि का प्रमाणित दस्तावेज होता है जिसमें उसकी फोटो भी लगती है।

बैज ने कहा कि बिक्री के समय रजिस्ट्रार द्वारा किसान के ऋण पुस्तिका अनिवार्य रूप से परीक्षण किया जाता था। सरकार के द्वारा ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता समाप्त करने से फर्जी रजिस्ट्री और धोखा होने की संभावना बढ़ जाएगी। यह निर्णय जमीन खरीदने बेचने वाले दोनों के हितों के खिलाफ है।

बैज ने कहा कि बिजली विभाग, जो मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का विभाग है, वहां पर सब स्टेशनों के संचालन के टेंडर प्रक्रिया में गंभीर अनियमित उजागर हुई है। संचालन दर 500 रू. प्रतिदिन के बजाय अब चार गुना बढ़ाकर 2000 दर पर टेंडर किया गया है, यही नहीं 1700 के सामान 3700 में खरीदे जा रहे हैं, इस तरह से 1950 सब स्टेशनों में 150 करोड़ रुपए से अधिक हर माह अतिरिक्त भुगतान 33/11 केवी के सब स्टेशनों के लिए किया जा रहा है।

बैज ने कहा कि भाजपा सरकार में बिजली के स्मार्ट मीटर आम जनता को लूटने का नया सिस्टम बनाया गया है, पहले जिन घरों में औसत डेढ़ सौ से दो सौ यूनिट बिजली की खपत थी, स्मार्ट मीटर लगने के बाद अचानक से खपत तीन से चार गुना बताया जा रहा है।


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