रायपुर
रायपुर,16 अक्टूबर। जिला दवा विक्रेता संघ, रायपुर के सचिव संजय रावत ने केन्द्रीय वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखकर देशभर में दवा व्यापार से जुड़ी एक गंभीर व्यावहारिक समस्या से अवगत कराया।
संघ का कहना है कि वर्तमान में दवाइयों की कीमतें राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण एनपीपीए द्वारा निर्धारित फिक्स्ड प्राइस पर तय की जाती हैं। दवा विक्रेताओं को उन्हीं निर्धारित दरों पर दवाइयाँ बेचनी होती हैं।
संघ ने बताया कि व्यावहारिक स्थिति अत्यंत कठिन हो चुकी है —रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और अधिकांश बैंक शाखाओं से सिक्के प्राप्त करना लगभग असंभव हो गया है। दवा दुकानों में प्रतिदिन सैकड़ों लेनदेन होते हैं, जिनमें चिल्लर की अनुपलब्धता के कारण व्यापारिक असुविधा, ग्राहकों से अनावश्यक विवाद, तथा समाज में असहज स्थिति उत्पन्न हो रही है।
संघ का मत है कि यह समस्या केवल दवा विक्रेताओं की नहीं बल्कि आम जनता की भी है, क्योंकि जब सिक्के ही उपलब्ध नहीं हैं — तो ग्राहकों को सही मूल्य लौटाना असंभव हो जाता है। इसी संदर्भ में संघ ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि दवा मूल्य निर्धारण में राउंड ऑफ की व्यवस्था की जाए, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण आदेश में संशोधन किया जाए, जिससे दवाइयों का मूल्य 5 या 10 के गुणक में निर्धारित हो। संघ का कहना है कि यदि यह संशोधन लागू किया जाता है, तो इससे न केवल दवा व्यापारियों बल्कि आम ग्राहकों को भी राहत मिलेगी।


