रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 11 अक्टूबर। जंगल सफारी की बीमार बाघिन की गुजरात के वनतारा सफारी में मौत के मामले पर विवाद खड़ा हो गया है। वन्य प्राणी विशेषज्ञों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीमार बाघिन की मौत, के मामले पर सवाल उठाए हैं। इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।
नवा रायपुर के जंगल सफारी की मादा बाघिन को इलाज के लिए गुजरात के वनतारा सफारी भेजा गया था। शुक्रवार की रात बाघिन की मौत हो गई। मादा बाघिन बिजली किडनी और गर्भाशय की गंभीर समस्या से जूझ रही थी। पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) अरुण पांडेय ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि बाघिन की मौत की जानकारी मिलने पर जंगल सफारी के डायरेक्टर तेजस शेखर गुजरात गए हैं।
बाघिन बिजली को ट्रेन से मंगलवार को जामनगर स्थित वनतारा वाइल्ड लाइफ रीहैबिलेटेशन सेंटर भेजा गया था। मादा बाघिन को उपचार के लिए वनतारा भेजने की अनुमति वनमंत्री केदार कश्यप, और वन्य प्राणी बोर्ड ने दी थी। अब इस फैसले पर वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने सवाल खड़े किए हैं।
वन्य प्राणी विशेषज्ञ, और सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे ने कहा कि वनतारा सफारी दो साल पहले ही स्थापित हुआ है। जबकि मध्यप्रदेश में अनुभवी वन्य प्राणी चिकित्सक मौजूद हैं। इनकी सेवाएं न लेकर गुजरात ले जाने का फैसला समझ से परे है। वो भी ऐसी स्थिति में जब मादा बाघिन की तबियत काफी खराब थी। यह वन्य प्राणी अधिनियम का उल्लंघन है। उन्होंने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।


