रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 सितम्बर। दसलक्षण पर्व ( पर्युषण पर्व ) के नवम दीवस पर अमलतास केसल, कचना स्थित 1008 श्री मुनिसुव्रत नाथ दिगम्बर जैन मंदिर में अकिंचन धर्म की पूजा की गई। प्रात: मुनिसुव्रत नाथ भगवान के अभिषेक पश्चात बीपी, जैन, संजय, विभा, ऐश्वर्य ,आयुष, रिया, डॉ, अमित , नेहा,आरूप, आशी जैन परिवार, एवं शीतल चंद पालीवाल परिवार ने शांतिधारा की । उत्तम आकिंचन धर्म के बारे में सुरेश मोदी ने कहा कि आकिंचन्य धर्म का अर्थ होता है कि किंचित मात्र भी विकल्प का लोप होना अर्थात निर्विकल्प होना, इस शरीर में एक सुई के धागे जैसे जितना भी वस्त्र ना होना अर्थात दिगम्बरत्व को धारण करना ही उत्तम आकिंचन धर्म कहलाता है। मंदिर के अध्यक्ष हिमांशु जैन ने बताया कि पर्व के अंतिम दिन अनंत चौदस पर उत्तम ब्रम्हचर्य पर्व की पूजा कर निर्वाण लाड्डू चढ़ाया जाएगा।
रायपुर, 6 सितम्बर। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन शनिवार को अनंत चतुर्दशी पर्व पर 12 वे तीर्थंकर श्री वासुपूज्य भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाकर निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन ने बताया कि आज अंतिम दिन उत्तम ब्रह्मचर्य दिवस के दिन हमें काम, क्रोध, द्वेष, ईष्र्या आदि से खुद को दूर रखने का संकल्प लिया गया।