रायपुर

साधु संतों अखाड़े के महंतों ने रखी मांग दंडकारण्य का है आध्यात्मिक महत्व बस्तर नाम अंग्रेज़ों का दिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 27 जुलाई। छत्तीसगढ़ धर्म स्तंभ काउंसिल ने आज मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक पत्र भेजते हुए बस्तर संभाग का नाम बदलकर दंडकारण्य किए जाने की मांग की है।
कौंसिल के सभापति डॉ. सौरभ निर्वाणी ने कहा बस्तर कोई साधारण संभाग नहीं है,यह वह भूभाग है जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने माता सीता और भैया लक्ष्मण के साथ वनवास काल में चरण रखे, ऋषियों की रक्षा की, और धर्म की स्थापना के बीज बोए।अब समय है कि हम छत्तीसगढ़ को उसके मूल गौरव से जोड़ें।
कौंसिल ने स्पष्ट किया कि रामायणीय प्रमाण – वाल्मीकि रामायण, अध्यात्म रामायण और रामचरितमानस में दंडकारण्य का विस्तार वर्णित है। बस्तर की धरती पर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता ने कई ऋषियों के आश्रमों में निवास किया।जनजातीय परंपराओं में श्रीराम की उपस्थिति – बस्तर की गोंड-मुरिया संस्कृति में आज भी श्रीराम को बड़ेराज (महान राजा) के रूप में पूजा जाता है। वहाँ के लोकगीत, कथाएँ, चित्रकलाएँ श्रीराम के वनवास काल की जीवंत अभिव्यक्ति हैं।दंडकारण्य विकास प्राधिकरण भारत सरकार ने 1947 के बाद बंगाल से आए विस्थापितों के पुनर्वास के लिए इसी क्षेत्र में दंडकारण्य नाम से आधिकारिक योजना बनाई, जो दर्शाता है कि यह नाम केवल धार्मिक नहीं, प्रशासनिक स्वीकृति भी प्राप्त था।
नर्मदा कुंड निर्वाणी अखाड़ा रामजानकी मंदिर के महंत सुरेंद्र दास ने कहा दंडकारण्य केवल एक वन क्षेत्र नहीं है। यह वह भूमि है जहाँ भगवान राम ने राक्षसी प्रवृत्तियों के विरुद्ध शस्त्र उठाया और ‘मर्यादा’ की स्थापना की। इस मांग को अखाड़ा परिषद, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ, और प्रदेशभर के संत-महंतों का व्यापक समर्थन प्राप्त है। प्रमुख संतजनों में महंत नरेंद्र दास राष्ट्रीय सचिव संत परिषद निर्मोही अखाड़ा ,दिगंबर अखाड़ा ,महंत हेमंत दास चित्रकूट ,महंत नंदकिशोर दास,संत पंचराम दास डॉ. रविन्द्र द्विवेदी,राघवेंद्र दास आदि प्रमुख हैं।
धर्म स्तंभ काउंसिल के डॉ रवीन्द्र द्विवेदी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अभियान केवल एक नामकरण नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पुनर्रचना का आरंभ है। इसके लिए संत समाज बस्तर में जन समर्थन हस्ताक्षर अभियान,दंडकारण्य पुनर्जागरण यात्रा सांस्कृतिक संवाद करेगा। वहीं विधान सभा में नाम परिवर्तन प्रस्ताव के लिए सांसदों विधायकों नेता प्रतिपक्ष और से भी मिलेगा।काउंसिल के राघवेंद्र दास ने प्रदेश के समस्त सनातन अनुयायियों, मठ-मंदिर संस्थानों, और संस्कृति प्रेमियों से इस पुनीत कार्य में सहयोग का आह्वान किया है।