रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला में साध्वी हंसकीर्ति ने रविवार को कहा कि बिना सोचे-समझे या विचार किए कुछ भी बोलना नहीं चाहिए क्योंकि हमारे शब्दों का प्रभाव गहरा हो सकता है। जब हम किसी विषय पर बोलते हैं, तो यह जरूरी है कि उस विषय की पूरी समझ और जानकारी हमारे पास हो। यदि हमें किसी विषय की पूरी जानकारी नहीं है या हमारी समझ सीमित है, तो उस पर बहुत अधिक बात करना उचित नहीं होता। ऐसा करने से हमारी बातों में गंभीरता और सच्चाई की कमी नजर आती है।
कई बार हम बिना पूरी जानकारी के किसी विषय पर अपनी राय व्यक्त कर देते हैं, लेकिन हमें यह नहीं पता होता कि हमारे सामने जो व्यक्ति है, वह उस विषय का जानकार या विशेषज्ञ भी हो सकता है। ऐसे में हमारी अधूरी जानकारी या गलत तथ्य हमारे सम्मान को कम कर सकते हैं और दूसरों के सामने हमारी छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए विवेकपूर्ण व्यवहार यही कहता है कि किसी भी विषय पर बोलने से पहले सोच-विचार करें और जहां जानकारी कम हो, वहां अधिक बोलने से बचें। चुप रहना और सीखने का प्रयास करना, वहां ज्यादा बुद्धिमानी का काम करता है।
बच्चों के लिए विशेष रविवारीय शिविर
रविवार को बच्चों के लिए विशेष शिविर आयोजित किया गया।, जिसमें मार्गानुसारी जीवन पर आधारित जीवन जीने की कला विषय पर क्लास हुई। शिविर में 70 बच्चों ने भाग लिया और विक्की गुरुजी ने उन्हें ज्ञान और खेलों में माध्यम से जीवन को समझाया। पंकज कांकरिया ने बताया कि क्लास के बाद प्रश्नोत्तरी हुई ।
लघु नाट्य नियम का फल का हुआ मंचन
रविवार को प्रवचन के बाद लघु नाटक का 'नियम का फल का मंचन किया गया । नाट्य के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया कि नियमों का पालन करने से हमें क्या फल मिल सकता है। नाटक श्री एसपीजी महिला विंग ने प्रस्तुत किया।