रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 12 जुलाई। दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन श्रृंखला के दौरान शनिवार को साध्वी हंसकीर्ति ने कहा कि मनुष्य का शरीर पाना बहुत ही दुर्लभ बात है। लेकिन उससे भी ज़्यादा कठिन है – अच्छे धर्म और सच्चे गुणों को पाना। जैसे चिंतामणि नाम का चमत्कारी रत्न मिलना बहुत मुश्किल होता है, वैसे ही इंसान के जीवन में अच्छे संस्कार और अच्छे गुण मिलना भी बहुत मुश्किल होता है।
आजकल लोग बिना सोचे-समझे किसी के भी सामने झुक जाते हैं। अब सवाल उठता है कि झुकना सही है या गलत? असल बात यह है कि अगर आप अपने मन में विनम्रता रखते हुए किसी के सामने झुकते हैं, तो यह कोई गलत बात नहीं है। यह दिखाता है कि आप सामने वाले को मान-सम्मान दे रहे हैं। लेकिन अगर आप किसी स्वार्थ या डर की वजह से हर किसी के सामने झुकते हैं, तो यह ठीक नहीं है। और अगर आप घमंड में रहेंगे और कभी किसी के सामने नहीं झुकेंगे, तो एक दिन टूट ज़रूर जाएंगे। इसलिए समझदारी इसी में है कि जहाँ ज़रूरी हो, वहाँ झुकें। मगर बिना बात और अपने सम्मान को गिराकर नहीं।
विनम्रता कमजोरी नहीं होती। यह ताकत होती है। जो इंसान समय के साथ थोड़ा झुकना जानता है, वह मुश्किलों से टूटता नहीं। हमें चाहिए कि अपने जीवन में झुकने की समझ और अच्छाई बनाए रखें, क्योंकि यही हमारे जीवन को सफल बनाता है।