रायपुर

आरक्षण बिल पर बघेल को अजय का करारा जवाब, इसलिए कहता हूं राहुल के घोड़े लंगड़े हैं
29-Jun-2025 5:39 PM
आरक्षण बिल पर बघेल को अजय का करारा जवाब, इसलिए कहता हूं राहुल के घोड़े लंगड़े हैं

भूपेश केवल राजनीति कर रहे, आरक्षण विरोधियों को बघेल मंत्री का दर्जा देते रहे -चौधरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 29 जून।आरक्षण संशोधन विधेयक के ढाई साल से राजभवन में अटके होने पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल के कल दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया से चर्चा में पूर्व और वर्तमान राज्यपाल पर जमकर हमले किए थे।

इस बयान को लेकर आज भाजपा ने जमकर पलटवार किया है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी और पूर्व मंत्री, वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने बघेल और कांग्रेस के नेताओं को मुद्दे  विहीन लंगड़े घोड़े बताया।

श्री चंद्राकर ने सीधे कहा कि बघेल आरक्षण के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। जिस विधेयक की वो दुहाई दे रहे हैं वो एक राजनीतिक कदम था। अजय ने बघेल से पूछा कि बताइए आरक्षण और कांग्रेस का संबंध क्या है? चाहे काका कालेलकर कमीशन हो जिसकी अनुशंसा को नेहरू जी ने अस्वीकार किया था। उसके बाद 1979 में मोरारजी देसाई ने मंडल आयोग बनाया था ‌इसकी अनुशंसा को 1990 में वीपी सिंह ने स्वीकार किया था।और ओबीसी को 27% आरक्षण लागू हुआ। इसमें कांग्रेस कहां है।अब उसके बाद छत्तीसगढ़ में जो मामला आया है,उस पर बात करें तो दिसंबर 22 में विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण बिल पारित किया था। इसे पारित करने से पहले बघेल सरकार ने ही अपनी गठित क्वांटिफायबल आयोग की रिपोर्ट सदन में नहीं रखा। ऐसे में आयोग क्यों बनाया। इसलिए न कि पिछड़ों कि वास्तविक स्थिति पता चले। तो फिर सदन में क्यों नहीं रखा। इस बात को बघेल अपने बयानों से गोल कर देते हैं। चंद्राकर ने बघेल को यह भी याद दिलाया कि नरसिंह राव सरकार को समर्थन देने की कीमत वसूलने तमिलनाडु की जयललिता सरकार ने आरक्षण 68% किया था। इसे चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने 50%सीमित रखने कहा था।इसे जयललिता ने नौवीं अनुसूची में शामिल करवा दिया। बघेल ने भी ऐसा ही किया। क्वांटिफायबल आयोग की रिपोर्ट आने के पहले उन्होंने 10बार आयोग का कार्यकाल बढ़ाते रहे। 31 दिसंबर 22 के डेढ़ माह पहले बंदूक की नोक पर रिपोर्ट लेली क्योंकि भानुप्रतापपुर उपचुनाव हो रहे थे। और जब विधेयक पारित नहीं हुआ तो संकल्प लें आए कि इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कर लिया जाए ‌यह जानते हुए की अनुसूची नौ अभी समीक्षा में है। बघेल ने जानबूझकर यह किया। जो बघेल  कह रहे निरर्थक बातें हैं। इसलिए कह रहा बघेल राजनीति कर रहे। पूर्व राज्यपाल अनुसुइया उइके के हस्ताक्षर करने के आश्वासन संबंधी बघेल के दावे पर अजय ने कहा कि किसने कहा, किसने सुनाई। हम लोगों ने या और विधायकों ने भी नहीं सुना। केवल बघेल ने ही सुना। और तोड़ मरोड़कर कर बयान न दें। अजय ने फिर कहा कि मैं इसलिए कह रहा हूं कि राहुल गांधी के अस्तबल में सभी लंगड़े घोड़े हैं। इनके पास राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कोई विषय मुद्दे नहीं है। मोदी साय के सामने फेल हो रहे हैं तो क्या करेंगे गड़े मुर्दे उखाड़ रहे।

इस पर वित्त मंत्री चौधरी ने कहा कि आजादी के बाद 1953 में पहले ओबीसी आयोग का गठन हुआ था। उसकी रिपोर्ट कांग्रेस शासन में दशकों तक धूल फांकती रही। 1977 इमरजेंसी के बाद बनी भाजपा समर्थित गैर कांग्रेसी सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल आयोग का गठन किया। और 80 में जब दोबारा कांग्रेस सरकार बनी फिर मंडल आयोग की रिपोर्ट धूल फांकती रही। उसके बाद इस रिपोर्ट को लागू करने का काम गैर कांग्रेसी सरकार ने किया। आज जब मोदी भाजपा की सरकार है तो उन्होंने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। केंद्रीय मंत्रिमंडल में सर्वाधिक मंत्री इसी वर्ग के बनाए। जातिगत जनगणना के नाम पर कांग्रेस जब तक सत्ता में रही विरोध करती रही। आज अनावश्यक अनर्गल हल्ला कर रहे हैं। जातिगत आरक्षण जनगणना मोदी सरकार ने लागू किया। कांग्रेस ने हमेशा ओबीसी, अन्य वर्गों को ठगने का काम किया है। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार थी तब जो भी आरक्षण के खिलाफ कोर्ट गया उसे कैबिनेट राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाता रहा। ये इनका मूल चाल चरित्र और चेहरा है।


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