रायपुर

रायपुर, 21 जून। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष नरेश वाढेर ने 6 डे वर्किंग के प्रस्ताव को कर्मचारी के प्रति घोर अन्याय कहा है। उन्होंने कहा कि अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से चले आ रहे द्वितीय और तृतीय शनिवार अवकाश के साथ रविवार अवकाश का लाभ लंबे अर्से से कर्मचारियों को दिया जा रहा था और वो जायज भी था।
फिर छत्तीसगढ़ की पूर्व कांग्रेस सरकार ने बिना मांग के कर्मचारियों को केंद्र के जैसे समान वेतनमान एवं सुविधा के तहत पांच दिन का कार्य एवं प्रत्येक शनिवार रविवार को अवकाश घोषित कर कार्यालय में कार्य अवधि भी बढ़ाई, पूर्व में प्रात: 10:30 से संध्या 5:30 तक कार्यालय लगते बाद में नवीन आदेशानुसार प्रात: 10 से संध्या 5:30 बजे तक किया । शायद इसके प्रति उनकी मंशा यही होगी कि 5 दिन मंत्रालय, सचिवालय में कार्य करने के उपरांत सांसद, मंत्री, विधायक 2 शेष दिन अपने अपने क्षेत्र में जनता से रूबरू होकर उनकी जनसमस्या का निवारण कर सके और दूरस्थ गांव की जनता को नवा रायपुर राजधानी ना आना पड़े तथा वे आर्थिक एवं शारीरिक कष्ट से बच सके।
वैसे भी छत्तीसगढ़ की आधी से ज्यादा जनसंख्या आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में निवासरत हैं, और शासकीय कार्यालय भी परियोजना क्षेत्र में लगती हैं और प्राय: शहर से लगे कई दूरस्थ जिलों में भी संपूर्ण सुविधा का अभाव हैं।
जहां साप्ताहिक हाट लगने के कारण कर्मचारी जीवकोपार्जन का आवश्यक सामान सप्ताह भर की इक_ी सब्जी और राशन पानी ले आते हैं। वहीं कुछ महिला एवं पुरुष कर्मचारी अपने बूढ़े मां बाप, बच्चों का देखरेख कर आते हैं उनका चिकित्सा उपचार/ ईलाज कर पाते हैं एवं शहर स्थित बच्चों की स्कूल कॉलेज में बच्चों से भी मिलना हो जाता हैं। फलस्वरूप कर्मचारियों में एक मानसिक शुकून रहता हैं एवं कार्यालय में भी उनके कार्य क्षमता में वृद्धि होती हैं।
वाढ़ेर ने मुख्यमंत्री से निवेदन हैं कि वे आदिवासी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों एवं जनता की सुख सुविधा का ध्यान रखते हुए कार्यालयों में पांच दिवसीय कार्य पूर्वानुसार जारी रखे। अगर प्रदेश में कार्य की अधिकता लग रही हो या कार्य में गति लाना हैं तो समस्त विभागों में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों का सांख्येतर पदों में नियमित कर एवं रोजगार के अवसर बढ़ाकर युवाओं में बेरोजगारी दूर कर प्रदेश को बेरोजगार मुक्त बनावे।