रायपुर

आरआई रौशन वर्मा की करतूत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 25 अप्रैल। अभनपुर तहसील के ही आरआई के सड्डू स्थित राजधानी विहार के घर में भी दबिश दी है। इनका नाम रौशन वर्मा बताया गया है। जो अभनपुर में 4-5 वर्ष से पदस्थ है। सुबह करीब सवा छह बजे तीन गाडिय़ों में एसीबी की टीम पुलिस के साथ पहुंची है। दो करीब दो घंटे की छानबीन, पूछताछ से बाद रवाना हो गई। रौशन वर्मा उस वक्त घर पर ही मिला। रौशन ने कांग्रेस शासन काल में ही अपना तबादला अभनपुर कराया था। तब तक वह रायपुर कलेक्टोरेट में पदस्थ रहा। उसकी पत्नी नीता वर्मा भी महिला बाल विकास परियोजना में कार्यरत है नियमित कर्मी है ।
साढ़ू और साली पुलिस कर्मी है। छापे की खबर के बाद इसके कलेक्टोरेट के साथी कर्मियों ने बताया कि अभनपुर जाने के बाद इसकी संपत्ति में जबरदस्त उछाल आया। इन सभी ने मिलकर काफी जमीन पैसे बनाए हैं। रौशन का रहन सहन विलासिता भरा है। दोनों पति पत्नी अलग कार मेंटेन करते हैं। इसने राजधानी विहार का निवास के-15, कुछ वर्ष पहले ही 42 लाख में खरीदा था पहले वह इसी मकान में किराए से रहता था और अभनपुर पोस्टिंग के बाद हाल में उसी कॉलोनी में 45 लाख में दूसरा मकान लिया है। यह मकान नगद भुगतान कर अपनी अध्ययनरत बेटी के नाम लिया है। यह मकान किसी नागपुर निवासी व्यक्ति से लिया था। और इसी मरान को महिला बाल विकास विभाग की छोटे बच्चों के लिए क्रैश योजना (पालना घर )के तहत किराए पर दिया है । यह कॉलोनी के भीतर होने से बाहरी लोगों बच्चों को प्रवेश नहीं दिया जाता। यानी बिना क्रैश संचालित किए हर माह हजारों का किराया ले रही हैं। इसके अलावा रौशन ने 8-9 एकड़ का एक फार्म हाउस और कई अन्य अचल संपत्ति भी लिया है। ईओडब्लू सूत्रों ने बताया कि रौशन के घर से बड़ी संख्या में ऐसे ही दस्तावेज बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई के बाद नीता वर्मा पर भी विभागीय जांच की तलवार लटक गई है।
वहीं उसी पटवारी हल्के के प्रभारी रहे पटवारी लेखराम साहू के सेजबहार में ही 04 मकानों का पता चला है। साथ ही निवास स्थान से आलमारी में रखे भारी मात्रा में सोने चांदी के जेवरात जब्त होने की जानकारी सूत्रों से मिली है। टीम को लेखराम देवांगन घर पर नहीं मिला। बताया गया है कि वह पिछले 4 दिनों से फरार है।
छापे की सूचना की आशंका के चलते गायब हो गया है। बिलासपुर में देवांगन के घर नोट गिनने की मशीन का इस्तेमाल होने की सूचना है। बताया गया है कि जमीन दलाल विजय जैन मूलत: मेवे और चायपत्ती का व्यापारी है, और साथ में जमीन दलाली का भी काम करता है। इसने मठ-मंदिरों की 64 एकड़ जमीन को मृत महिला की जगह उसी नाम की दूसरी महिला को खड़ी कर बेच डाला। इसी तरह से हरमित सिंह खनूजा ने बटांकन, नामांतरण में हेराफेरी कर मठ-मंदिरों की जमीन बेची। हरमित के परिजन राजस्व विभाग में भी काम करते हैं। ईओडब्ल्यू ने यह मामला पीएमएलए 1988 की धारा 7, 420, 120 बी के तहत जांच कर रही है।
इधर अरूण साव ने कहा-डिप्टी सीएम अरूण साव ने आज कहा परियोजना को लेकर मिली शिकायतों की तेजी से जांच चल रही है। जो भी दोषी होगा पकड़ा जाएगा।
इनके यहां भी चल रही जांच
विजय जैन, हरमीत सिंह, मनजीत सिंह, आशीष दास, उमा तिवारी, केदार तिवारी, आशीष तिवारी, रोशन वर्मा, एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी जितेंद्र साहू, दिनेश पटेल, लेखराम देवांगन।
ईओडब्ल्यू ने तेलीबांधा जलाशय के सामने स्थित कॉम्पलेक्स के तीसरे माले में दशमेश इंस्ट्रावेन्चर नामक फर्म के ऑफिस को सील कर पुलिस बिठा दिया है। यह ऑफिस देखने के लिए तो टूर और ट्रैवल्स बुकिंग का है, लेकिन यह जमीन कारोबारी हरमित खनूजा का ऑफिस है। सुबह जब टीम पहुंची, तो ऑफिस बंद था। काफी देर इंतजार के बाद जब हरमित और अन्य नहीं पहुंचे, तो ईओडब्ल्यू ने सील कर दिया। इसमें कहा गया है कि बिना अनुमति सील तोडऩे पर कार्रवाई की जाएगी।