रायपुर

छत्तीसगढ़ के प्राचीन किलों की स्थापत्य कला का विमोचन
23-Apr-2025 7:12 PM
छत्तीसगढ़ के प्राचीन किलों की स्थापत्य कला का विमोचन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 23 अप्रैल। पूर्व मंत्री और सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने डॉ. टी. आर रामटेके के पीएच.डी. के शोध ग्रंथ छत्तीसगढ़ के प्राचीन किलों की स्थापत्य कला का विमोचन किया। इस मौके पर अग्रवाल ने कहा कि डी. रामटेके यह शोध कार्य राज्य की भावी पीढिय़ों के लिए मार्गदर्शन करेगा। जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से एक सिविल इंजीनियर रहते हुए बड़े कलात्मक रूप से छ.ग. के प्राचीन किलों की स्थापत्य कला का विवेचना की है।

मुख्य बक्ता डॉ. सुशील त्रिवेदी ने इस ग्रंथ में छ.ग.के लगभग 100 किलों के वास्तुशात्रिय विवेचना की है। डॉ. रतनलाल डांगी ने डॉ. रामटेके को छत्तीसगढ़ का कनिधंम के रूप में निरूपित किया। और  आचार्य  रमेंद्रनाथ मिश्रा ने कहा कि वास्तुशास्त्रीय विवेचना की। प्रो.आभा रूपेन्द्र पाल ने  शोध के महत्व पर प्रकाश  डाला।  डॉ. के के अग्रवाल ने शोध ग्रंथ की विषयवस्तु की प्रशंसा की।  साहित्यकार अमरनाथ त्यागी,  डॉ. डी.एन.खुटे सेवानिवृत्त उप संचालक जी एल रायकवार ने कहा कि  उनका शोधग्रंथ प्रत्तीसगढ़ के पुरातत्व के लिए एक उत्कृष्ठ सामाग्री है। कार्यक्रम  की संचालनकर्ता सरिता यशवंत साहू रहीं डॉ. टी. आर. रामटेके ने गुरु घासीदास का जीवन चरित्र के रचनाकार शंकर टोडर का पुष्पगुच्छ एवं शाल ओढ़ाकर उनका अभिनंदन किया।

इस अवसर पर  दिलीप वासनिकर  चंद्रशेखर जनबंधू, डॉ. उदयभान सिंह चौहान, महंत चंद्रशेखरदास, देवेन्द्र श्रीवास्तव, सिद्धु देवांगन, प्रवीण प्रचंडे नितेश तिवारी, शेखर बौध  आदि उपस्थित हुए थे। कुमारी त्रिशाला रामटेके ने  आभार प्रदर्शन किया।


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