रायपुर

नान घोटाला, शुक्ला, टुटेजा, वर्मा के बीच वाट्सएप चैट मामला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 अप्रैल। पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा के घर शुक्रवार की पड़ताल में सीबीआई ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने की जानकारी दी है। कल की कार्रवाई के बाद सीबीआई ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा किनछत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन प्रधान सचिव, तत्कालीन संयुक्त सचिव और तत्कालीन महाधिवक्ता सहित तीन आरोपियों के खिलाफ नागरिक पूर्ति निगम (नान ) और ईडी मामलों की चल रही कार्यवाही को प्रभावित करने के आरोप में फिर से मामला दर्ज कर तलाशी ली।
ब्यूरो ने छत्तीसगढ़ सरकार के तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा, आईएएस (सेवानिवृत्त), डॉ. आलोक शुक्ला, आईएएस (सेवानिवृत्त), तत्कालीन प्रमुन सचिव; सतीश चंद्र वर्मा, तत्कालीन महाधिवक्ता, तीनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध जांच ब्यूरो, (छत्तीसगढ़) में दर्ज एफआईआर संख्या 49/2024 की जांच अपने हाथ में लेते हुए भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने रायपुर में दो स्थानों पर आरोपी दो लोक सेवकों के परिसरों की तलाशी ली, जिसमें कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए। इन आरोप है कि आरोपी लोक सेवकों ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, रायपुर में उनके विरुद्ध दर्ज एफआईआर क्रमांक 9/2015 तथा एनएएन मामले के आधार पर दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चल रही कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार, आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामलों में कार्यवाही को विफल करने के लिए कई प्रयास किए। इसके अलावा, आरोपी शुक्ला, टुटेजा ने कथित तौर पर सतीश चंद्र वर्मा, तत्कालीन महाधिवक्ता, छत्तीसगढ़ को अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने तथा ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ द्वारा जांच के तहत उपरोक्त मामलों में खुद के लिए अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए अनुचित लाभ प्रदान किया। आरोप है कि अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपी लोक सेवकों ने एनएएन मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेजों तथा उच्च न्यायालय में दायर किए जाने वाले जवाब में फेरबदल करवाया।
इसके अलावा, आरोपी शुक्ला टुटेजा ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को अनुचित तरीके से सार्वजनिक कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित करने और ईडी और ईओडब्ल्यू/एसीबी, छत्तीसगढ़ द्वारा जांच के तहत उपरोक्त मामलों में खुद के लिए अग्रिम जमानत हासिल करने के लिए कथित रूप से अनुचित लाभ प्रदान किया। अग्रिम जमानत लेने के लिए, यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी लोक सेवकों ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक और विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेजों और नान मामले में उच्च न्यायालय में दायर किए जाने वाले जवाब को बदल दिया। मामले की जांच जारी है। इस मामले में वर्मा को सुप्रीम कोर्ट से कुछ राहत मिली हुई है।