रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 1 अप्रैल। 4 नए लेबर कोड वापस लेने की मांग को लेकर देश भर के श्रमिक संगठन 20 मई को आम हड़ताल करने जा रहे हैं। यह मोदी 2.0, 3.0 में पहली बार होने जा रही है। पिछले दिनों नई दिल्ली में देश के 10 केन्द्रीय श्रमिक संगठनों राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में मोदी सरकार की श्रमिकों विरोधी नीतियों को लेकर यह निर्णय लिया गया।
इन संगठनों के स्थानीय प्रतिनिधियों ने बताया कि 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियन इंटुक, घटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी के अध्यक्षों ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। ट्रेड यूनियनों के सभी महासचिवों ने सम्मेलन को संबोधित किया और मजदूर विरोधी और कारपोरेट समर्थक चार श्रम संहिताओं के बारे में बताया। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा लागू की जा रही कारपोरेट समर्थक नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों की भी आलोचना की।
इन वक्ताओं ने बताया कि किस तरह सरकार देश की संपदा को कॉरपोरेट्स के हाथों लूटने दे रही है। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा मजदूरों के ट्रेड यूनियन अधिकारों में कटौती की निंदा की। सम्मेलन में सर्वसम्मति से चार पेज का प्रस्ताव पारित किया गया। प्रमुख प्रस्ताव इस प्रकार हैं-
मजदूर विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक चार श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लिया जाए। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के निजीकरण/विनिवेश को तत्काल रोका जाए। न्यूनतम वेतन के रूप में 26,000 रुपए का भुगतान, किया जाएगा। भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन किया जाए। चार्टर ऑफ डिमांड के तहत सम्मेलन में सर्वसम्मति से 20 मई, 25 को पूरे देश में आम हड़ताल आयोजित करने का निर्णय लिया गया।