रायपुर

रमन सिंह की तारीफ और पंक्तियां
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 मार्च। करीब 15 वर्ष बाद मीनल चौबे ने भाजपा के मेयर के रूप में पहला बजट पेश किया। इसमें राजधानी के विकास के लिए मीनल ने अपने इरादे और बेबसी को शेर, कविता की पंक्तियों के जरिए पेश किया। भाषण की शुरूआत में मीनल ने ये पंक्ति पढ़ी-बेटी अब बेबस नहीं, कहानी नई लिख रहे। हाथों में कलम लिए शहर की तकदीर गढ़ रही। रायपुर की गलियों से चलकर, जो धीरे-धीरे आगे बढ़ी वही बेटी अब शहर की एक नई पहचान लिख रही है।
रायपुर का इतिहास बताते हुए मीनल ने कुछ यूं कहा-रख हौसला वह मंजर भी आएगा, प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा। थक कर न बैठ ऐ मंजिल के मुसाफिर मंजिल भी मिलेगी, मिलने का मजा भी आएगा। उन्होंने कहा मेरे शहर में मैंने एक अल्पविराम देखा है, पूर्ण का आधा पर एक संपूर्ण विराम देखा है। नव निर्वाचित परिषद के इरादों पर मेयर ने कहा पसीने की स्याही से जो लिखते हैं इरादे उसके मुक्कदर के सफेद पन्ने कभी कोरे नहीं होते। अगले पांच वर्ष सबकी मंगलकामना करते हुए कहा कश्ती चलाने वाले ने जब हार कर दी पतवार हमें, लहर-लहर तूफान मिले, और मौज-मौज मजधार हमें। फिर भी दिखाया है हमने और ये दिखा देंगे सबको, इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें।
मीनल ने अपने भाषण में पिछली सरकार, और पिछले परिषद की राजनीति पर भी कहा-पिछला कार्यकाल सपनों के नाम पर रहा, सपनों के दाम पर रहा। सपनों के घोड़े पर बैठे शहंशाह पर किसी का लगाम न रहा। भाजपा के संकल्प को दोहराते हुए हमने बनाया है, हम ही सवारेंगे, रायपुर को स्वर्ग सा निखारेंगे। हर गली-मोड़ चमकाएंगे। नवनिर्माण की लौ जलाएंगे। बजट हमारे विकास की पहचान नए सपनों को देंगे सम्मान।
नेता प्रतिपक्ष के रूप में अपने पिछले कार्यकाल की बेबसी पर मीनल ने कहा वो झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से, मैं ऐतबार नहीं करती, तो और क्या करती। इसके बाद भी मीनल की शायरी थमी नहीं। उन्होंने कई और पंक्तियां लिख कर सुनाकर अपनी मंजिल के इरादे का बखान किया।