रायपुर

120 दिनों में 21त्न कैंसिलेशन और बर्थ बर्बाद हो रहे थे इसलिए 60 दिन किया
18-Oct-2024 4:38 PM
120 दिनों में 21त्न कैंसिलेशन और बर्थ बर्बाद हो रहे थे इसलिए 60 दिन किया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 18 अक्टूबर।
रेलवे बोर्ड ने यात्री ट्रेनों में सीट आरक्षण की अवधि में कटौती कर दी है। यह बदलाव करीब नौ वर्ष बाद किया गया है । ट्रेनों में सीट आरक्षण की व्यवस्था अप्रैल 1981 से शुरू हुई थी। तब रेलवे टिकिट बुकिंग काउंटर में मैन्युअल होता था। यात्रियों के नाम पते रजिस्टर मे  लिखकर स्लिप टिकट दिया जाता था ।उसके बाद 1988,1995,2007,2008 और  2013 में अवधि घट बढ़ होती रही। 1993 से कंप्यूटरीकृत रिजर्वेशन शुरू किया गया था ।और अब पुन बदलाव किया गया ।

सीट आरक्षण की एडवांस टाइम लिमिट को 120 से घटाकर 60 दिन कर दिया है। यह व्यवस्था 1 नवंबर से या उसके बाद की तिथियों में  आरक्षण कराने पर लागू होगी। रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर पैसेंजर मार्केटिंग संजय मिनोचा ने यह आदेश जारी किया है।

60 दिनों की आरक्षण अवधि के फायदे:  रेलवे ने महसूस किया कि सफर की योजना बनाने के लिए 120 दिन बहुत ज्यादा थे। इस वजह से यात्रियों के यात्रा नहीं करने पर ज्यादा कैंसिलेशन और सीट/बर्थों की बर्बादी हुई। वर्तमान में लगभग 21प्रतिश कैंसिलेशन होता है। 4-5त्न यात्री नहीं आते (नो-शो) हैं।कई मामलों में यह देखा जाता है कि यात्री अपने टिकट रद्द नहीं करते हैं और यात्रा के लिए नहीं आते हैं। इससे धोखाधड़ी होती है - जैसे कि प्रतिरूपण, रेलवे कर्मचारियों की ओर से अवैध रूप से पैसे लेना आदि। अब, इसे रोका जा सकता है। लंबी अवधि के साथ टिकिट दलाल व अधिकृत एजेंट के  भी लोगों के टिकट ब्लॉक करने की अधिक संभावना थी। 

क्या रहा है आरक्षण अवधि का इतिहास?
रेलवे की अग्रिम आरक्षण अवधि में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं। पूर्व में अग्रिम आरक्षण अवधि 30 दिन से 120 दिन तक रही है। विभिन्न अवधियों के अनुभव के आधार पर 60 दिन की अग्रिम आरक्षण अवधि को यात्री दृष्टिकोण से सर्वोत्तम अवधि के रूप में देखा गया है।
 


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