रायपुर

चार दिग्गजों के उलझन में भाजपा
08-Apr-2023 3:05 PM
चार दिग्गजों के उलझन में भाजपा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 8 अपै्रल।
चुनाव के लिए 7 माह शेष हैं। और प्रदेश भाजपा, सत्ता में वापसी के लिए अब तक कोई पंच लाईन तय नहीं कर पाई है। प्रदेश संगठन के प्रथम पंक्ति और द्वितीय पंक्ति के नेता चार-चार दिग्गजों के बीच उलझ कर रह गए हैं। इतना ही नहीं, संगठन यह तय नहीं कर पाया है कि उसे किस वोट बैंक के साथ आगे बढऩा है। चर्चा है कि पीएम नरेंद्र मोदी 10 मई के आसपास छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। इस दौरान पार्टी विधायकों से मिल सकते हैं।

इस बात कि चर्चा जोरों पर है कि प्रदेश में पार्टी आलाकामान माने जाने वाले शीर्ष के 4 नेताओं में ही एका नहीं है। एक नेता कोई निर्णय या प्लान तैयार करता है, तो दूसरा उसे फील्ड में आने से पहले ही खारिज कर रोक देते हैं। ये चार नेता हैं-राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री, प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री। ये चारों, दो धड़े में बंट गए हैं।

अब इनकी कार्यप्रणाली पर बारीक नजर रखने वाले कुछ लोग बताते हैं कि एक नेताजी तो अपने सह प्रभारी की सोच और प्लान पर निर्भर रहते हैं, तो एक अन्य छत्तीसगढ़ मुख्यालय होकर भी मप्र में ज्यादा समय गुजारते हैं। उनका अब तक छत्तीसगढ़ से जुड़ाव नहीं हो पाया है। कार्यकर्ता भी उनसे छिटके  हुए हैं। इनकी मदद, राष्ट्रीय महामंत्री को करनी पड़ती है। जबकि ठीक उससे उलट होना चाहिए। सौदान सिंह जैसी भूमिका वाले नेता तो संगठन के भीतर ही जातिगत राजनीति की रणनीति हर उस नेता के साथ साझा कर रहे हैं। जो नेतृत्व का हकदार था या रहा है।

एक बानगी बता दे कि प्रदेश में संगठन के कर्ताधर्ता इन नेताजी ने पार्टी राष्ट्रीय नेत्री सांसद को हाल में डिनर टेबल पर नेताजी ने सामान्य वर्ग को लेकर पार्टी नेतृत्व की नापसंदगी को ही उजागर कर दिया। जबकि सामान्य वर्ग चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। नेताजी ने यहां तक कह दिया कि पार्टी ओबीसी, और 32 प्रतिशत आदिवासी वोट बैंक के इर्द गिर्द ही राजनीति करेगी। नेताजी का कहना था कि एससी वोटर भाजपा से पूरी तरह नहीं जुड़ पाए हैं, और ज्यादातर वोट कांग्रेस को ही मिलते हैं।

पार्टी के कुछ सूत्रों का कहना है कि नेताजी, प्रदेश अध्यक्ष और एक प्रदेश महामंत्री के प्रभाव में ज्यादा हैं, और उन्हीं तथ्यों को सांसद के समक्ष पेश कर दिया गया। प्रदेशाध्यक्ष और महामंत्री, एक-दूसरे के सहारा बनकर अपनी-अपनी संभावनाओं को आगे बढ़ा रहें है। इनके अहम मददगार बने हुए है। नेताजी ने इन दोनों की प्लानिंग से राष्ट्रीय नेतृत्व को सहमत कराने की कोशिश में लगे रहते हैं।

ये नेताजी भी चारों राष्ट्रीय नेताओं को मैनेज कर चल रहें है। वैसे इन्हें राष्ट्रीय सह महामंत्री उन्हें फ्री हैंड दे चुके हैं। इन चारों में से कोई एक निर्णय लेता है तो दूसरा बदलने में देर नहीं करते  इनके निर्णयों में एकरूपता का अभाव है। और चारों नेताओं में दो ही नेता ऐसे हैं जो रणनीतिक रूप से कुछ गंभीर और प्लानिंग वाले है। यही वजह है कि विस घेराव का सफल आयोजन चर्चित रहा।

इस द्वंद में पडऩे के बजाए पूर्व सीएम , नेता प्रतिपक्ष एक - दो पूर्व सांसद भी अपनी चाल को चल रहे हैं। हल्ला यह भी है कि प्रदेश संगठन की ऐसी चाल को भांपते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने सिर्फ विधायकों से मिलने के बजाए रायपुर आकर सभी से मुलाकात कर संदेश भिजवाया है। संकेत है कि  मोदी 10 मई के आसपास यहां आ सकते है। कुछ सरकारी योजनाओं के शिलान्यास भूमिपूजन कर सकते हंै। उसके बाद ही संगठन में नया स्वरूप देखने मिल सकता है।
 


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