रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 मार्च। भाजपा विधायक ननकी राम कंवर ने कोरोना काल में पीएसयू द्वारा दिए गए 16 करोड़ रुपए फर्जी बिल के जरिए खर्च करने का आरोप लगाया।
कंवर ने अपनी ध्यानाकर्षण सूचना में कहा कि राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा कोरोना राहत कोष से लगभग 300 करोड़ रूपये, एसईसीएस मुख्यालय बिलासपुर के द्वारा 6 करोड़ रुपये एनएमडीसी लिमिटेड हैदराबाद के द्वारा 10 करोड़ रूपये की राशि संचालक, स्वास्थ्य सेवाए रायपुर को दी गयी थीं। संचालनालय ने राशि के उपयोग में अनियमितता की। अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने की नीयत से मनमाने दर पर सामानों की खरीदी की गई है और फर्जी बिल के माध्यम से करोड़ों रुपयों की अनियमितता किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि यह कथन सत्य नहीं है कि राहत आपदा प्रबंधन विभाग ने के कोरोना से राहत के उद्देश्य से लगभग 316 करोड़ संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर को दी थी,। जबकि सही यह कि शासन ने संचालनालय स्वास्थ्य सेवा को कराना काल में राहत आयुक्त,राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के माध्यम से आपदा मोचन निधि में कुल राशि रूपये 212.37 करोड़, इसके साथ ही एस.ई.सी.एल. मुख्यालय बिलासपुर के द्वारा 10 करोड़ रूपये तथा एन.एम.डी.सी. लिमिटेड हैदराबाद के द्वारा 30 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ था। वस्तुस्थिति यह है कि संचालनालय को प्राप्त राशि में से संचालनालय स्तर से सीधे सामानों की किसी भी प्रकार की खरीदी नहीं की गई है व न ही किसी प्रकार को खरीदी के बिलों का भुगतान किया गया है स्वास्थ्य सेवाएं को प्राप्त राशि में से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को रूपये 11263.53 लाख, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षकों को राशि रूपये 193.25 लाख छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड को राशि रुपये 11895.24 लाख, संचालक, चिकित्सा शिक्षा, को 600 लाख, चिकित्सा महाविद्यालय से 80 लाख इसके अतिरिक्त परिवहन विभाग को 10 लाख एवं बाय एवं औषधी प्रशासन, को 15 लाख एवं 5 लाख की राशि राज्य स्वास्थ्य एवं प्रशिक्षण संस्थान को कोरोना के रोकथाम, बचाव एवं नियंत्रण के लिए दिए गए थे।
एस.ईसीएल. एवं एनएमडीसी लिमिटेड से प्राप्त राशि रूपये 2000.00 लाख का आंबटन भी छ.ग. मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन लिमिटेड को किया गया, साथ ही संचालनालय स्तर से कोरोना महामारी के दौरान 104 आरोग्य सेवा एवं परिवहन कार्य में राशि रुपये 174.99 लाख का व्यय किया गया। कोरोना महामारी के दौरान सामानों की खरीदी विभिन्न संस्थाओं एवं जिला स्तर से की गई है व खरीदी के बिलों का भुगतान भी उन्ही संस्थाओं द्वारा ही किया गया है।


