रायपुर

मसाला एवं सुगंध फसलों की संभावनाओं पर राष्ट्रीय कार्यशाला 14 -15 मार्च को
23-Feb-2023 5:28 PM
मसाला एवं सुगंध फसलों की संभावनाओं पर राष्ट्रीय कार्यशाला 14 -15 मार्च को

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 23 फरवरी। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सरकंडा, बिलासपुर में 14 एवं 15 मार्च  को ‘‘मसाला एवं सगंध फसलें-छत्तीसगढ़ में संभावनाएं एवं क्षमताएं’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसके आयोजक  कृषि विश्वविद्यालय,  सुपारी एवं मसाला अनुसंधान संस्थान, कालीकट, केरल, नाबार्ड रायपुर, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी निदेशालय  तथा सी- कास्ट,  रायपुर के सहयोग से किया जा

रहा है।

 कार्यशाला में दौरान हल्दी, अदरक, काली मिर्च, हरी मिर्च, इलायची, दालचीनी, लौंग, धनियां, मेथी, लहसुन, सौंफ, जीरा आदि मसाला फसलों तथा लेमन ग्रास, सेट्रोनेला, पचौली, मोनार्डा, तुलसी, खस, गेंदा, गुलाब, चमेली, चंदन आदि सगंध एवं औषधीय फसलों के छत्तीसगढ़ में उत्पादन की संभावनाओं एवं क्षमताओं के संबंध में गहन विचार-विमर्श किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध एवं औषधीय फसलों की खेती की जा रही है, जिनसे 60 हजार मेट्रिक टन से अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है। राज्य की प्रमुख मसाला फसलें अदरक, लहसुन, हल्दी, धनिया एवं मेथी हैं। प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मसाला फसलों की खेती की जा रही है, जिनसे लगभग 7 लाख मेट्रिक टन उत्पादन मिल रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंर्गत संचालित विभिन्न केन्द्रों द्वारा मसाला एवं सगंध फसलां पर अनुसंधान किया जा रहा है। यहां इन फसलां पर दो अखिल भारतीय समन्वित विकास परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसके अंतर्गत रायपुर केन्द्र में वर्ष 2010 से अखिल भारतीय औषधीय एवं सगंध फसलें समन्वित विकास परियोजना तथा रायगढ़ केन्द्र में वर्ष 1995-96 ये अखिल भारतीय मसाला फसलें समन्वित विकास परियोजना संचालित की जा रही है। इन दोनों परियोजनाओं के अंतर्गत इन फसलों की अनेक नवीन उन्नत किस्में तथा उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी विकसित की गई है।


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