रायपुर

अब गहनों में छत्तीसगढ़ी-गोंडी की होगी छाप
16-Feb-2023 7:15 PM
अब गहनों में छत्तीसगढ़ी-गोंडी की होगी छाप

आभूषणों में दिखेगी प्रदेश के महान व्यक्तित्वों की झलक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 फरवरी।
छत्तीसगढ़ की शांता शर्मा राज्य की संस्कृति को सहेजने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने बुधवार  को छत्तीसगढ़ी प्राचीन गहना धरोहर दिवस के रूप में मनाने का संकल्प लिया है।  छत्तीसगढ़ के गहनों में रुपया, मोहर, बांदा और सूता प्रमुख हैं।इन्हीं गहनों में अब अरबी की जगह छत्तीसगढ़ी और गोंडी भाषा के महत्व को रेखांकित किया गया है।

शांता ने छत्तीसगढ़ी गहनों के सिक्कें में छत्तीसगढ़ी भाषा से जय छतीसगढ़ महतारी लिखवाया है, इसमें 7 सितारें भी बन हुए हैं जो राज्य की महान महिलाओं को समर्पित हैं, इनमें कौशल्या माता, कर्मा माता, मिनीमाता, अंवती बाई लोधी, रानी दुर्गावती, राजमोहिनी देवी, गायत्री देवी।वही जो गोंडी भाषा के सिक्के हैं उनमें 7 सितारों में गुरुघासी दास, वीर नारायण सिंह, गुण्डाधुर, सुंदरलाल शर्मा, खुबचंद बघेल, ठाकुर प्यारेलाल, मदना लाल को समर्पित हैं। छत्तीसगढ़ और गोंडी भाषा में अंकित सिक्कों के निर्माण में मुख्य रुप से श्री ज्ञान गंगा ऊँ मूर्ति माला केंद्र के संस्थापक समाजसेवी प्रभु दयाल उजाला का योगदान रहा.

रायपुर प्रेस क्लब में बुधवार को छत्तीसगढ़ी और गोंडी भाषा में निर्मित गहने का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि गीतकार मीर अली मीर के साथ समाजसेवी डॉ. मानसिंह गुलाटी, प्रभु दयाल उजाला, साहित्यकार सुधा वर्मा और वरिष्ठ पत्रकार कमल शर्मा मौजूद रहे।  सभी ने  शांता शर्मा के कार्यों पर  ने प्रकाश डाला।

कवि मीर अली मीर ने कहा कि शांता शर्मा छत्तीसगढ़ी संस्कृति गौरव पंरपंरा के लिए जो काम शांता कर रही है वह अतुलनीय है। मैं चाहुंगा छत्तीसगढ़ी गहनों पर किये उनके कामों की जानकारी सीएम बघेल  तक पहुंचे और राज्य सरकार प्रोत्साहित करें।

भिलाई के बोडेगांव निवासी की शांता  विलुप्त हो रहे छत्तीसगढ़ी गहनों को सहेजने के मकसद से 2 संभागों की यात्रा भी कर चुकी है। यात्रा के जरिये लोगो से मिलकर गहनों से परिचित कराती है राज्य की संस्कृति के प्रति लोगो को जागरुक करने का काम करती है।इसके अलावा शांता का समाज सेवा में भी कई योगदान है।गहनों को विलुप्त होने से बचाने के लिए यात्रा के जरिये वे अब तक 25 हजार सिक्कें भी बांट चुकी है।


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