रायपुर

परीक्षाएं सिर पर और शिक्षक चुनावी तैयारी में
23-Jan-2023 4:23 PM
परीक्षाएं सिर पर और शिक्षक चुनावी तैयारी में

अंतिम महीने पढ़ाई के लिए अहम लेकिन....

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर,23 जनवरी।
परीक्षाएं सिर पर आ खड़ी हुई हैं,स्कूलों में एक पीरिएड (कालखंड)छात्रों के लिए अहम होता है। एक समय में शिक्षकों से गैर शिक्षिकीय कार्य लेना, बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा। इतना ही नहीं यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है।

जिला निर्वाचन अधिकारियों (कलेक्टर)ने पूरे प्रदेश में 24 हजार से अधिक मतदान केंद्रों के लिए बीएलओ की नियुक्तियां कर दी है। ये बीएलओ, अपने प्रभार बाले बूथ में आने वाले मतदाताओं के नाम घर-घर जाकर वेरिफाई करेंगे। इस कार्य में महीने भर चलता है। जो आज कल में शुरू होजाएगा। स्पष्ट है कि अंतिम दिन तक वे फील्ड में ही रहेंगे। उनपर जीपीएस के जरिए निगरानी भी रखी जाएगी। सो उन्हें काम पूरा ही  करना होगा। तब स्कूलों में पढ़ाई ठप ही रहने वाली है। पूर्व में एैसा नहीं होता था। बीएलओ के रूप में शिक्षकों को उनके अपने ही स्कूलों के अंतर्गत आने वाले बूथों में बीएलओ बनाया जाता था और शिक्षक दोनों कार्य साथ-साथ कर लेते थे।  किंतु 07 से व्यवस्था बदल गई और निष्पक्षता बरतने के नाम पर दूर-दूर के मतदान केद्रों का बीएलओ बनाया जा रहा है। इससे शिक्षक, क्लास लेना छोड़ ,मतदान सूची में उलझे रहते है। इसके चलते पूरे महीने भर पढ़ाई ठप रहती है। मतदान सूची का यह कार्यसाल में दो बार होता है। इससे प्रमुख सचिव, डीपीआई,डीईओ का कोई  सरोकार नहीं उन्हें तो 100 प्रतिशत रिजल्ट चाहिए। इसका अबाव भी शिक्षकों पर बनाया जाता है। बरहाल,इस साल भी दूसरे चरण का पुनरीक्षण कार्य शुरू कर दिया गया है। और मार्च से परीक्षाएं होनी है। एक माह के अंतराल में बीएलओ रूपी शिक्षक पढ़ाई से दूर रहेंगे। इन डेढ़ माह के अंतिम दिनों में रिवीज, आईएमपी प्रश्रों को चिन्हिकत करने जैसे अहम अध्यापकीय कार्य होना है। जो बच्चों के लिए अति महात्वपूर्ण होते हैं। लेकिन शिक्षकों के न होने से यह संभव नहीं ऐसे में नतीजे समझे जा सकते हैं। इसे देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार राज्यों को निर्देश दिया है। कि शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य न लिया जाए लेकिन विभाग हर वर्ष अवहेलना करता है।

दोपहर स्कूल पहुंचते हैं शिक्षक
इधर राजधानी से लेकर सुदुर हाई-हायर सेकंडरी के स्कूलों में शिक्षकों के देर से स्कूल जाने का सिलसिला थमा नहीं है। राजधानी में ही अपनी पहुंच रखने वाले नेता,अफसर पत्रकारों के परिजन पुत्र-पुत्री-पत्नी आदी जो शिक्षक हैं वे दोपहर तक स्कूल जाते देखे जा सकतेहैं। पहुंच के जरिए एक-दो पीरियेड की क्लास तय करने में सफल होते है। इस ओर ना तो बीईओ न डीईओ ही संज्ञान लेते हैं। किसी भी दिन औचक निरीक्षण करे तो ऐसे शिक्षक रंगे हाथों पकड़े जा सकले हैं।


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