रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 जनवरी। फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों ने पिछले दिनों काउंसिल के द्वारा भारी संख्या में जाली रजिस्ट्रेशन किए जाने की जानकारी सीएम बघेल को दी। जांच समिति के निष्कर्षों से सीएम को अवगत कराते हुए इसमें एक माफिया सदृश्य नेटवर्क के कार्य करने की आशंका व्यक्त की है।
भारी संख्या में भोले भाले छात्रों के फंसने की जानकारी मुख्यमंत्री को दी गई है। इसकी विस्तृत जांच और माफिया को बेनकाब कर कानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई। सीएम भूपेश बघेल ने सभी मांगों के प्रति संवेदनशीलता व्यक्त करते हुए इन पर समुचित कार्रवाई करने और मांगों को पूरा करने का भरोसा दिलवाया है। गुरुवार को स्वास्थ्य से जुड़े आज चार प्रमुख प्रतिनिधि मंडल ने बघेल से मुलाकात की।
आईएमए, जूडो एसोसिएशन, मेडिकल कॉलेज नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन और फार्मेसी काउंसिल के सदस्य शामिल हैं। जूडो ने अपनी लंबित शिष्यवृत्ती वृद्धि सहित ग्रामीण चिकित्सा बांड में सेवाएं दे रहे डॉक्टर को स्नातकोत्तर शिक्षा उत्तीर्ण हो जाने के बावजूद जूनियर डॉक्टर से कम वेतनमान और ग्रामीण चिकित्सा सेवा बांड की अवधि कम कराने मुख्यमंत्री से निवेदन किया। मेडिकल कॉलेज नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन ने वेतनमान समिति की रिपोर्ट लागू कराने का अनुरोध किया।
कोरोना काल में 4 हजार पंजीयन हुए, 15 सौ पड़ोसी राज्यों के
सूत्रों ने बताया कि राज्य गठन के बाद से अब तक 22 हजार से अधिक फार्मासिस्टों का पंजीयन और लाइसेंस जारी किया गया है। इनमें से 4 हजार तो अकेले कोरोना कालावधि में जारी किए गए और इनमें से भी 15 सौ, छत्तीसगढ़ के बाहर के लोगों के नाम से हैं। यानी, छत्तीसगढ़ रजिस्ट्रेशन नंबर पर पड़ोस या अन्य दूरस्थ राज्यों के शहरों के हैं। यह मरीजों की जान से खिलवाड़ है। सीएम से शिकायत करते हुए बताया गया कि बिना फार्मेसी की डिग्री के ये पंजीयन प्रमाण पत्र लिए गए हैं। इन सभी की डिग्री, क्वालिफिकेशन, ट्रेनिंग प्रमाण पत्रों की जांच नए सिरे से हो। फार्मेसी काउंसिल से पंजीयन हासिल करने फर्जी अनुभव शैक्षणिक योग्यता प्रमाण पत्र हासिल किए जाते हैं। धमतरी के आवेदक छात्र ने राजनांदगांव के मेडिकल स्टोर्स से अनुभव प्रमाण पत्र लिया, तो एक ने चेन्नई से टे्रनिंग लेना बताया। राजनांदगांव के मेडिकल दुकानदार ने 4 लोगों को फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र जारी किया। सीएम को बताया गया कि नशे की दवा सिरप बेचने वाले भी फर्जी प्रमाण पत्रधारी होते हैं। पुलिस, फार्मेसी काउंसिल और स्वास्थ्य विभाग को कार्रवाई के लिए भेजती है लेकिन नहीं होती। तो काउंसिल भी फर्जी साबित होने पर पुलिस को कार्रवाई नहीं करवाती।


