रायपुर
राज्यपाल उइके से कांग्रेस ने की शिकायत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 22 दिसंबर। उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य से बड़े खिलवाड़ करने जा रहा है। विभाग के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालय नियामक आयोग और विभाग में बैठे कॉकस ने निजी विश्वविद्यालयों को भी चिकित्सा और पैरामेडिकल पाठ्यक्रम संचालित करने की अनुमति देने लगा है। दुर्ग के एक विश्वविद्यालय को अनुमति मिलते ही प्रदेश के दो और विश्वविद्यालयों ने भी आवेदन दिया है।
यह मामला तब सामने आया जब आयुष विश्वविद्यालय ने आपत्ति जताई। इधर इसका कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ ने विरोध किया है। प्रकोष्ठ ने स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव और राज्यपाल सुश्री उइके को पत्र भेज आगाह किया है।
निजी विश्वविद्यालयो द्वारा। आयुर्वेद/हेल्थ एवं अलाइड साइंसेस/ पैरामेडिकल/ नर्सिंग/ फार्मेसी पाठ्यक्रम खोले जाने की प्रकिया प्रारंभ की जा रही है, निजी विश्वविद्यालय के लिए 5जुलाई 2022 के राजपत्र में अनुसार अब निजि विश्वविद्यालय चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपने पाठ्यक्रम संचालित कर सकती हैं, और दूसरों को नियमानुसार संबद्धता भी दे सकती है, इसके लिए बाकायदा उच्च शिक्षा विभाग ने, चिकित्सा शिक्षा विभाग के सभी प्रावधानों को दरकिनार करते हुए बाकायदा राजपत्र प्रकाशित भी कर दिया है।
5 जुलाई 2022 के शर्तो में स्पष्ट उल्लेख है कि इन सभी पाठ्यक्रमों को प्रारंभ करने के पूर्व राज्य शासन को पूर्व नियमो को शिथिल करने के लिए अध्यादेश लागू करना पड़ेगा, किंतु कुछ निजि विश्वविद्यालय अध्यादेश लागू करने के पूर्व ही आयुष विश्वविद्यालय के 2008 के एक्ट व राजपत्र के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपने स्वयं के विश्वविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र के सभी पाठ्यक्रम प्रारंभ कर रहे हैं।
इतना ही नहीं भारत सरकार द्वारा प्रकाशित नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के पृष्ठ क्रमांक 47 में भी यह स्पष्ट उल्लेख है की मेडिकल व लीगल पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति निजी विश्वविद्यालय को नही होगी पर सभी नियमों को दरकिनार करते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों को उक्त पाठ्यक्रम संचालन करने राजपत्र प्रकाशित किया है।
राजपत्र यह कहता है
छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण)16 सितम्बर 2008 विधि एवं विधायी कार्य विभाग, मंत्रालय, दाऊकल्याण सिंह भवन, रायपुर क्रमांक 8850/डी. 242 / 21-अ/प्रा/छ.ग./08 छत्तीसगढ़ विधानसभा का अधिनियम ’’ छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008’’ पर राज्यपाल की अनुमति प्राप्त हो चुकी हैं । इसके प्रावधानों के अनुसार छत्तीसगढ़ आयुष एवं स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2008 की धारा 06) (1), (2) एवं (3) के अनुक्रम में प्रदेश के अन्य कोई संस्था, विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय द्वारा चिकित्सा शिक्षा से संबंधित किसी भी पाठ्यक्रमों का संचालन नहीं किया जा सकता है।
चिकित्सा विभाग की आपत्ति
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 28 नवम्बर को ही पत्र लिखकर उच्च शिक्षा सचिव के समक्ष आपत्ति दर्ज करा दी थी। अवर सचिव जनक कुमार ने पत्र लिखकर बताया था कि रावतपुरा सरकार विवि धनेली, आईएसबीएम विवि छुरा, और भारतीय विवि दुर्ग में बीएससी नर्सिंग , एमएससी नर्सिंग, फिजियोथैरिपी, बीएससी (ऑप्टोमेट्री) रिनल डायलिसिस टेक्नालॉजी के पाठ्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है। ये सभी विवि उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आते हैं। और इनके द्वारा चिकित्सा पाठ्यक्रम संचालित करना नियमानुसार गलत है। अतएव निजी विवि द्वारा छात्र-छात्राओं को बिना आयुष विवि से जारी की गई डिग्री मान्य नहीं होगी।
दो विभाग में द्वंद्व
इस मुद्दे पर बीते दो दिनों से चिकित्सा शिक्षा और उच्च शिक्षा विभाग के आला अफसरों के बीच भी द्वंद्व छिड़ी हुई है। स्वास्थ्य सचिव प्रसन्ना ने परसों मंगलवार को आयुष विवि के कुलपति और रजिस्ट्रार को तलब कर एक्ट में संशोधन की बात कह चुके हैं। और कल स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा मंत्री टीएस सिंहदेव के समक्ष भी यह मुद्दा उठ चुका है। इसमें श्री प्रसन्ना, डीएमई पर नाराजगी जता चुके हैं।
यह बड़ा नीतिगत मुद्दा है
सूत्रों का कहना है कि यह मुद्दा नीतिगत है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी) के तहत विधि, स्वास्थ्य व कृषि शिक्षा राज्य सरकार के अधिकार में रखने का प्रावधान किया गया है। किन्तु बगैर कैबिनेट की सहमति के उच्च शिक्षा विभाग, चिकित्सा शिक्षा के अधिकार में दखल दे रहा है। विभाग के मंत्री व सचिव आंख बंद कर ऐसे प्रस्तावों की सिफारिश या मंजूर कर रहे है। ऐसे में जाली डिग्री बांटने वाले संस्थानों की बाढ़ आ जाएगी। वर्तमान में यह धंधा तेजी से चल रहा है और पैरा मेडिकल कॉउंसिल इसमें लापरवाही बरते हुए हैं।


