रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 अक्टूबर। 25 अक्टूबर दिवाली के अगले दिन को आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। भारत में सूर्यास्त के पहले अपराहन में ग्रहण आरम्भ होगा तथा इसे अधिकांश स्थानों से देखा जा सकेगा। हालांकि ग्रहण अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तर-पूर्व भारत के कुछ स्थानों (जिनमें से कुछ के नाम हैं आइजॉल, दिब्रुगड़, इम्फाल इटानगर, कोहिमा सिसागर,सिलचर तामलोंग इत्यादि) में दिखाई नहीं देगा। ग्रहण का अंत भारत में दृश्य नहीं होगा क्योंकि वह सूर्यास्त के उपरांत भी जारी रहेगा। भारत में उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय सूर्य पर चंद्रमा द्वारा आच्छादन लगभग 40 से 50 प्रतिशत के बीच होगा। देश के अन्य हिस्सों में आच्छादन का प्रतिशत उपरोक्त मान से कम होगा।
दिल्ली एवं मुम्बई में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य के आच्छादन का प्रतिशत क्रमश: 44 प्रतिशत एवं 24 प्रतिशत के लगभग होगा। ग्रहण की अवधि प्रारम्भ से लेकर सूर्यास्त के समय तक दिल्ली और मुम्बई में क्रमश: 1 घंटे 13 मिनट तथा 1 घंटे 19 मिनट की होगी। चेन्नई एवं कोलकाता में ग्रहण की अवधि प्रारम्भ से लेकर सूर्यास्त के समय तक क्रमश: 31 मिनट तथा 12 मिनट की होगी।
ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पञ्चमी एशिया, उत्तर अटलांटिकमहासागर तथा उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा।
अगला ग्रहण जो भारत से दिखाई देगा, वह पूर्ण चंद्र ग्रहण है जो 8 नवंबर 2022, मंगलवार को होगा। यह चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा। भारत में अगला सूर्य ग्रहण 2 अगस्त 2027 को दृश्य होगा। वह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा। देश के सभी हिस्सों से यह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में परिलक्षित होगा। अमावस्या को सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। तथा वे तीनों एक सीध में स्थित हो जाते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चन्द्र चक्रिका सूर्य चक्रिका को आंशिक रूप से ही ढक पाती है।
सूर्य ग्रहण को थोड़ी देर के लिए भी नंगी आँखों से नहीं देखा जाना चाहिए। चंद्रमा सूर्यक अधिकतम हिस्सों को इक दे तब भी इसे खाली जान्थों से न देखें क्योंकि यह बाँखों को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है जिससे अंधापन हो सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है ऐलुमिनी माइत्तर काले पॉलिमर 14 नं. शेड के अलाईदार काँच का उपयोग कर अथवा टेलेस्कोप के माध्यम से खेत पट पर सूर्य की छाया का प्रक्षेपण कर इसे देखना । भारत के कुछ स्थानों की ग्रहण से संबंधित स्थानीय परिस्थितियों की सारिणी सुलभ संदर्भ के लिए अलग से की जा रही है।