रायपुर

क्वांटिफायबल आयोग की रिपोर्ट पर ही तय होगा विशेष सत्र
19-Oct-2022 4:48 PM
क्वांटिफायबल आयोग की रिपोर्ट पर ही तय होगा विशेष सत्र

दीवाली बाद आएगी रिपोर्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 अक्टूबर।
पिछड़ा वर्ग, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की आबादी और अन्य जानकारी एकत्र कर रहे क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट तकरीबन तैयार हो गई है। बताया गया कि आयोग इस महीने के आखिरी तक अपनी रिपोर्ट सरकार को दे देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर विचार कर सकती है।

प्रदेश में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक करने के सरकार से फैसले को हाईकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है। रमन सरकार ने आदिवासी आरक्षण बढ़ाकर 32 फीसदी कर दिया था। इससे आरक्षण 58 फीसदी हो गया था। मौजूदा सरकार ने आरक्षण बढ़ाकर 72 फीसदी कर दिया। मगर हाईकोर्ट के आदेश के बाद बढ़ा हुआ आरक्षण प्रभावशील नहीं हो पा रहा है।

सरकार अब क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को आधार पर आरक्षण की सीमा बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। इसके लिए जनगणना के सामान्य आंकड़ों से माना जाता है कि प्रदेश की जनसंख्या में 52 फीसदी से 54 फीसदी हिस्सा ओबीसी जातियों का है। क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग की जातियों को सबसे बड़ा डाटा बैंक होगा। इसमें एक-एक गांव, नगरीय निकाय में ओबीसी में शामिल हर जाति की संख्या, उम्र, लिंग आदि की जानकारी होगी। ग्राम पंचायतों में तो एक-एक व्यक्ति के नाम तक मिल जाएंगे।

हाईकोर्ट ने भी डाटा तैयार करने के लिए कहा है। तमिलनाडु में 69 फीसदी आरक्षण प्रभावशील है। कर्नाटक सरकार भी तमिलनाडु की तर्ज पर आरक्षण बढ़ाना चाहती थी, लेकिन कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था। इसमें इंदिरा साहनी प्रकरण का उल्लेख करते हुए कहा था कि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं रखी जा सकती है। कर्नाटक सरकार को सालभर के भीतर में जातियों का डाटा तैयार करने की छूट दी थी, ताकि आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर विचार किया जा सके। मगर कर्नाटक सरकार डाटा तैयार नहीं कर पाई। लेकिन छत्तीसगढ़ ने इस दिशा में काफी काम किया है, और रिटायर्ड जज छबिलाल पटेल की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया।

आयोग का कार्यकाल तीन साल में 7 बार बढ़ाया जा चुका है। 31 अक्टूबर तक रिपोर्ट देनी है, और उम्मीद की जा रही है कि आयोग अन्य पिछड़ा वर्ग, और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सर्वे कर डाटा सरकार को दे देगी। इस रिपोर्ट को कैबिनेट में रखेगी, और फिर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए विधेयक, अथवा शासकीय संकल्प पारित करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला करेगी। यही नहीं, सरकार रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में भी अपील करेगी। ताकि आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से अधिक हो सके।
 


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