रायपुर

जीएडी की बिना सहमति के मंत्रालय में संलग्न या पदस्थ नहीं होंगे, सीएस का आदेश
15-Oct-2022 4:11 PM
जीएडी की बिना सहमति के मंत्रालय में संलग्न या पदस्थ नहीं होंगे, सीएस का आदेश

इस समय पांच सौ अफसर, कर्मी अटैच हैं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर,15अक्टूबर।
अब कोई भी मैदानी अधिकारी कर्मचारी  सामान्य प्रशासन विभाग की सहमति के बिना  मंत्रालय में अटैच या पदस्थ नहीं किया जा सकेगा। यह आदेश  मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने प्रदेश के सभी विभागों के लिए जारी किया है। हालांकि ऐसे आदेश पिछले कई सालों से लगातार जारी होते रहे हैं, और अटैचमेंट लगातार जारी है।  महानदी भवन में इस समय पांच सौ अधिकारी कर्मचारी अटैचमेंट में कार्यरत हैं। इनमें कई तो 10 वर्ष से अधिक हो गए हैं। इनमें शिक्षक, प्रोफेसर, इंजीनियर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, जैसे कर्मचारी अधिकारी शामिल हैं। यही नहीं इनमें पति- पत्नी भी हैं। इसलिए इस आदेश को स्मरण पत्र की तरह मानता है मंत्रालयीन अमला।

बहरहाल सीएस जैन ने  निर्देश में कहा है कि किसी भी विभाग द्वारा अपने अधीनस्थ कार्यालयों के अधिकारी-कर्मचारी को अपने स्तर मंत्रालय में संलग्न-पदस्थ करने के आदेश जारी नहीं किए जाएंगे। लेकिन इस संबंध में प्रस्तावों का परीक्षण करने के बाद स्वयं स्पष्ट प्रस्ताव जीएडी  को सहमति के लिए भेजे जाएं। जीएडी  के आदेश के बिना किसी भी विभागीय अधिकारी कर्मचारियों को मंत्रालय में तैनात न किया जाए।

सेवाएं सामान्य प्रशासन को सौंपी जाए
निर्देश में ये भी कहा गया है कि बिना जीएडी  को सेवाएं सौंपे अथवा बिना सहमति के कार्योत्तर अनुमोदन या पुष्टि की प्रत्याशा में विभागीय अधिकारियों की मंत्रालय में पदस्थापना न की जाए बल्कि जीएडी  को सेवाएं सौंपी जाए।
य भी कहा गया है कि इन निर्देशों के बावजूद कई विभाग बिना जीएडी  की सहमति लिए अपने स्तर से विभागीय अधिकारी कर्मचारियों को मंत्रालय में संलग्न-पदस्थ कर रहे है। इसके बाद कार्योत्तर सहमति प्रदान करने के लिए, कक्ष आवंटित करने,मंत्रालय भत्ता,अन्य सुविधाएं प्राप्त करने के लिए इस विभाग को प्रस्ताव भेजते हैं ये नियमानुसार उचित नहीं है।

तोज् वेतन आहरण में होगी कठिनाई

मुख्य सचिव ने ये भी कहा है कि मंत्रालय में अधिकारियों की बैठक व्यवस्था के लिए कक्ष, निजी स्टाफ आदि सुविधाएं सीमित होने के कारण ये सुविधाएं उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही है। इसके साथ ही पद स्वीकृत नहीं होने या पद खाली न होने की स्थिति में वेतन आहरण में भी कठिनाई होगी।
 


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